ज्योतिर्लिंग सोमनाथ,ज्योतिर्लिंग नागेशवर महादेव ,द्वारका धाम,अहमदाबाद यात्रा केवल 10,000 रूपये मे

Tripoto
25th Jan 2018
Photo of ज्योतिर्लिंग सोमनाथ,ज्योतिर्लिंग नागेशवर महादेव ,द्वारका धाम,अहमदाबाद यात्रा केवल 10,000 रूपये मे by Anurag Chaturvedi
Day 1

Lucknow to Dwarka by train

Gorakhpur Okha Express Train 3 Ac

द्वारिकाधीश मंदिर, द्वारकाधाम, गुजरात

परंपरा के अनुसार, मूल मंदिर का निर्माण कृष्ण के पड पोते वज्रनाभ ने हरि-गृह (भगवान कृष्ण के आवासीय स्थान) पर किया था। मंदिर भारत में हिन्दुओं द्वारा पवित्र माने जाने वाले चार धामो का हिस्सा बन गया,

मंदिर के ऊपर का ध्वज सूर्य और चंद्रमा को दर्शाता है, जो माना जाता है कि यह दर्शाता है कि कृष्ण तब तक रहेंगे जब तक सूर्य और चंद्रमा पृथ्वी पर मौजूद रहेंगे

रुक्मिणी मंदिर

कथा के अनुसार, द्वारका का निर्माण कृष्ण द्वारा भूमि के एक टुकड़े पर किया गया था जो समुद्र से प्राप्त हुआ था। ऋषि दुर्वासा एक बार कृष्ण और उनकी पत्नी रुक्मिणी से मिलने गये दुर्वासा की इच्छा थी कि जोड़ा उन्हें अपने महल में ले जाए। यह जोड़ा आसानी से सहमत हो गया और ऋषि के साथ उनके महल में जाने लगा। कुछ दूर जाने के बाद रुक्मिणी थक गईं और उन्होंने कृष्ण से कुछ पानी मांगा। कृष्णा ने एक पौराणिक छेद खोदा जो गंगा नदी में लाया गया था। ऋषि दुर्वासा उग्र हो गए और रुक्मिणी को जगह में रहने के लिए शाप दिया। जिस मंदिर में रुक्मिणी का मंदिर पाया जाता है, माना जाता है कि वह जिस स्थान पर खड़ी थी।

Dwarikadish temple

Photo of Dwarkadhish Temple, Dwarka, Gujarat, India by Anurag Chaturvedi

Rukmani temple

Photo of Dwarkadhish Temple, Dwarka, Gujarat, India by Anurag Chaturvedi

भेट द्वारका ओखा गुजरात

द्वारका से बस द्वारा आप यहा आयेगे फिर यहा समुद्र में नाव से भेंट द्वारका पहुँचते हैं यह एक छोटा टापू है

श्री कृष्ण मथुरा में उत्पन्न हुए, पर राज उन्होने द्वारका में किया। यहीं बैठकर उन्होने सारे देश की बागडोर अपने हाथ में संभाली। पांड़वों को सहारा दिया। धर्म की जीत कराई और, शिशुपाल और दुर्योधन जैसे अधर्मी राजाओं को मिटाया। द्वारका उस जमाने में राजधानी बन गई थीं। बड़े-बड़े राजा यहां आते थे और बहुत-से मामले में भगवान कृष्ण की सलाह लेते थे। इस जगह का धार्मिक महत्व तो है ही, रहस्य भी कम नहीं है। कहा जाता है कि कृष्ण की मृत्यु के साथ उनकी बसाई हुई यह नगरी समुद्र में डूब गई। आज भी यहां उस नगरी के अवशेष मौजूद हैं।

यहा समुद्र में नाव से जाया जाता है

भेट द्वारका ओखा

Photo of Bet Dwarka, Gujarat by Anurag Chaturvedi

समुद्र में नाव का सफर

Photo of Bet Dwarka, Gujarat by Anurag Chaturvedi
Photo of Bet Dwarka, Gujarat by Anurag Chaturvedi

ज्योतिर्लिंग नागेशवर महादेव

भगवान्‌ शिव का यह प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग गुजरात प्रांत में द्वारका से लगभग 17 मील की दूरी पर स्थित है। इस पवित्र ज्योतिर्लिंग के दर्शन की शास्त्रों में बड़ी महिमा बताई गई है। कहा गया है कि जो श्रद्धापूर्वक इसकी उत्पत्ति और माहात्म्य की कथा सुनेगा वह सारे पापों से छुटकारा पाकर समस्त सुखों का भोग करता हुआ अंत में भगवान्‌ शिव के परम पवित्र दिव्य धाम को प्राप्त होगा।

हिन्दू कथा के अनुसार

सुप्रिय नामक एक बड़ा धर्मात्मा और सदाचारी वैश्य था। वह भगवान्‌ शिव का अनन्य भक्त था। वह निरन्तर उनकी आराधना, पूजन और ध्यान में तल्लीन रहता था। अपने सारे कार्य वह भगवान्‌ शिव को अर्पित करके करता था। मन, वचन, कर्म से वह पूर्णतः शिवार्चन में ही तल्लीन रहता था। उसकी इस शिव भक्ति से दारुक नामक एक राक्षस बहुत क्रुद्व रहता था

उसे भगवान्‌ शिव की यह पूजा किसी प्रकार भी अच्छी नहीं लगती थी। वह निरन्तर इस बात का प्रयत्न किया करता था कि उस सुप्रिय की पूजा-अर्चना में विघ्न पहुँचे। एक बार सुप्रिय नौका पर सवार होकर कहीं जा रहा था। उस दुष्ट राक्षस दारुक ने यह उपयुक्त अवसर देखकर नौका पर आक्रमण कर दिया। उसने नौका में सवार सभी यात्रियों को पकड़कर अपनी राजधानी में ले जाकर कैद कर लिया। सुप्रिय कारागार में भी अपने नित्यनियम के अनुसार भगवान्‌ शिव की पूजा-आराधना करने लगा।

अन्य बंदी यात्रियों को भी वह शिव भक्ति की प्रेरणा देने लगा। दारुक ने जब अपने सेवकों से सुप्रिय के विषय में यह समाचार सुना तब वह अत्यन्त क्रुद्ध होकर उस कारागर में आ पहुँचा। सुप्रिय उस समय भगवान्‌ शिव के चरणों में ध्यान लगाए हुए दोनों आँखें बंद किए बैठा था। उस राक्षस ने उसकी यह मुद्रा देखकर अत्यन्त भीषण स्वर में उसे डाँटते हुए कहा- 'अरे दुष्ट वैश्य! तू आँखें बंद कर इस समय यहाँ कौन- से उपद्रव और षड्यन्त्र करने की बातें सोच रहा है?' उसके यह कहने पर भी धर्मात्मा शिवभक्त सुप्रिय की समाधि भंग नहीं हुई। अब तो वह दारुक राक्षस क्रोध से एकदम पागल हो उठा। उसने तत्काल अपने अनुचरों को सुप्रिय तथा अन्य सभी बंदियों को मार डालने का आदेश दे दिया। सुप्रिय उसके इस आदेश से जरा भी विचलित और भयभीत नहीं हुआ।

वह एकाग्र मन से अपनी और अन्य बंदियों की मुक्ति के लिए भगवान्‌ शिव से प्रार्थना करने लगा। उसे यह पूर्ण विश्वास था कि मेरे आराध्य भगवान्‌ शिवजी इस विपत्ति से मुझे अवश्य ही छुटकारा दिलाएँगे। उसकी प्रार्थना सुनकर भगवान्‌ शंकरजी तत्क्षण उस कारागार में एक ऊँचे स्थान में एक चमकते हुए सिंहासन पर स्थित होकर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हो गए।

उन्होंने इस प्रकार सुप्रिय को दर्शन देकर उसे अपना पाशुपत-अस्त्र भी प्रदान किया। इस अस्त्र से राक्षस दारुक तथा उसके सहायक का वध करके सुप्रिय शिवधाम को चला गया। भगवान्‌ शिव के आदेशानुसार ही इस ज्योतिर्लिंग का नाम नागेश्वर पड़ा। #हरहरमहादेव

Photo of ज्योतिर्लिंग सोमनाथ,ज्योतिर्लिंग नागेशवर महादेव ,द्वारका धाम,अहमदाबाद यात्रा केवल 10,000 रूपये मे by Anurag Chaturvedi
Photo of ज्योतिर्लिंग सोमनाथ,ज्योतिर्लिंग नागेशवर महादेव ,द्वारका धाम,अहमदाबाद यात्रा केवल 10,000 रूपये मे by Anurag Chaturvedi
Photo of ज्योतिर्लिंग सोमनाथ,ज्योतिर्लिंग नागेशवर महादेव ,द्वारका धाम,अहमदाबाद यात्रा केवल 10,000 रूपये मे by Anurag Chaturvedi

द्वारका से ट्रेन द्वारा सोमनाथ एक रात का सफर

Day 2

ज्योतिर्लिंग सोमनाथ महादेव

सुबह 6 बजे सोमनाथ मंदिर इस स्थान पर तीर्थयात्रियों के लिए गेस्ट हाउस, विश्रामशाला व धर्मशाला की व्यवस्था है। साधारण व किफायती सेवाएं उपलब्ध हैं।

ज्योतिर्लिंग श्री सोमनाथ महादेव मंदिर की छटा ही निराली है। यह तीर्थस्थान देश के प्राचीनतम तीर्थस्थानों में से एक है और इसका उल्लेख स्कंदपुराणम, श्रीमद्‍भागवत गीता, शिवपुराणम आदि प्राचीन ग्रंथों में भी है। वहीं ऋग्वेद में भी सोमेश्वर महादेव की महिमा का उल्लेख है।

यह लिंग शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। ऐतिहासिक सूत्रों के अनुसार आक्रमणकारियों ने इस मंदिर पर 6 बार आक्रमण किया। इसके बाद भी इस मंदिर का वर्तमान अस्तित्व इसके पुनर्निर्माण के प्रयास और सांप्रदायिक सद्‍भावना का ही परिचायक है। सातवीं बार यह मंदिर कैलाश महामेरु प्रसाद शैली में बनाया गया है। इसके निर्माण कार्य से सरदार वल्लभभाई पटेल भी जुड़े रह चुके हैं। यह मंदिर गर्भगृह, सभामंडप और नृत्यमंडप- तीन प्रमुख भागों में विभाजित है। इसका 150 फुट ऊंचा शिखर है। इसके शिखर पर स्थित कलश का भार दस टन है और इसकी ध्वजा 27 फुट ऊंची है। इसके अबाधित समुद्री मार्ग- त्रिष्टांभ के विषय में ऐसा माना जाता है कि यह समुद्री मार्ग परोक्ष रूप से दक्षिणी ध्रुव में समाप्त होता है। यह हमारे प्राचीन ज्ञान व सूझबूझ का अद्‍भुत साक्ष्य माना जाता है। इस मंदिर का पुनर्निर्माण महारानी अहिल्याबाई ने करवाया था।

धार्मिक महत्व- पौराणिक अनुश्रुतियों के अनुसार सोम नाम चंद्र का है, जो दक्ष के दामाद थे। एक बार उन्होंने दक्ष की आज्ञा की अवहेलना की, जिससे कुपित होकर दक्ष ने उन्हें श्राप दिया कि उनका प्रकाश दिन-प्रतिदिन धूमिल होता जाएगा। जब अन्य देवताओं ने दक्ष से उनका श्राप वापस लेने की बात कही तो उन्होंने कहा कि सरस्वती के मुहाने पर समुद्र में स्नान करने से श्राप के प्रकोप को रोका जा सकता है। सोम ने सरस्वती के मुहाने पर स्थित अरब सागर में स्नान करके भगवान शिव की आराधना की। प्रभु शिव यहां पर अवतरित हुए और उनका उद्धार किया व सोमनाथ के नाम से प्रसिद्ध हुए।

कैसे पहुंचें?

वायु मार्ग- सोमनाथ से 55 किलोमीटर स्थित केशोड नामक स्थान से सीधे हर जगह के लिए वायुसेवा है। केशोड और सोमनाथ के बीच बस व टैक्सी सेवा भी है।

रेल मार्ग- सोमनाथ के सबसे समीप सोमनाथ स्टेशन और वेरावल रेलवे स्टेशन है, जो वहां से मात्र सात किलोमीटर दूरी पर स्थित है। यहाँ से अहमदाबाद व अन्य स्थानों का सीधा संपर्क है।

सड़क परिवहन- सोमनाथ और वेरावल से पूरे राज्य में इस स्थान के लिए बस सेवा उपलब्ध है।

सोमनाथ से अहमदाबाद Ac स्लीपर बस द्वारा किराया 600 प्रति व्यकित 400 KM.

Photo of Somnath, Gujarat, India by Anurag Chaturvedi
Photo of Somnath, Gujarat, India by Anurag Chaturvedi
Photo of Somnath, Gujarat, India by Anurag Chaturvedi

Sea Side Seen

Photo of Somnath, Gujarat, India by Anurag Chaturvedi
Day 3

बस ने सुबह गीता मंदिर पर उतारा फिर

Hotel Ritz Inn जो कि रेलवे स्टेशन, अहमदाबाद के पास था, वह पर रूके उसके बाद पूरे दिन अहमदाबाद के कुछ स्थानों की यात्रा के लिए गए जैसे

अक्षरधाम मंदिर, गांधीनगर

साबरमती आश्रम

साबरमती रिवरफ्रंट

बाला जी मंदिर

इशकान मंदिर , वैष्णो मंदिर

उसके बाद वहा की लोकल बाजार मे सामान खरीदा गया फिर होटल आ गये !

Photo of Ahmedabad, Gujarat, India by Anurag Chaturvedi
Photo of Ahmedabad, Gujarat, India by Anurag Chaturvedi
Photo of Ahmedabad, Gujarat, India by Anurag Chaturvedi

रात्रि भोजन के बाद हम लोगो ने सुबह 4 बजे होटल Checkout किया ,फिर वहा से Airport आ गये 06:30 की Flight Ahmedabad to Lucknow 9 बजे सुबह लखनऊ वापस घर आ गये !

#राधेराधे #हरहरमहादेव

अगर फैमिली के साथ कही घूमने जाना चाहते हैं तो इन स्थानों पर आप जा सकते हैं वहा के गुजराती खाने का स्वाद सोचकर आज भी मन मीठा कर देता है

यात्रा जानकारी के लिए नि:शुल्क सलाह

WhatsApp +919792938576

Lucknow Airport

Photo of Ahmedabad Airport (AMD), Hansol, Ahmedabad, Gujarat, India by Anurag Chaturvedi
Photo of Ahmedabad Airport (AMD), Hansol, Ahmedabad, Gujarat, India by Anurag Chaturvedi