कुछ तो था वहां पे जो मुझे आज तक खींच रहा है,
पर दिखाई नही देता।
उन वादियों से आती हुई तेज हवाए मानो कोई कहानी सुना रही हो,
लगता है जेसे मे ऊसी कोई कहानी का किरदार हु।
यहां की वादीया, यहां के लोग, यहां की नदीया, पेड, झमीन, पशु, पक्षी सभी से कोई सदीयो पुराना गहरा रिश्ता लग रहा है।
वहां से आने के बाद कीसी पर कुरबान हो जाऊ या कोई मुझ पर कुरबान हो जाये कुछ एसा महसुस कर रही थी।
पर वह कोई ईन्सान की तो बात थी नही तो फिर ये मन किस पर फना होना चाहता था.?
कहानी या नझ्मो मे तो बयाँ भी ना हो सके ईतना खुबसुरत एहसास था।
कोई नास्तिक को भी दो पल के लिए खुदा का दिदार हो जाए एसी शांति है यहा की सादगी मे।
यहा पर रह कर शायद शैतान भी फरिश्ता हो जाए ईतना प्यार है यहा के लोगो मे।
कुदरत का ये वह करिश्मा है जिसे समजा नही जा सकता सिर्फ प्यार हो सकता है।