हिमाचल, उत्तराखंड के हिल स्टेशनों से आगे बढ़ो और दक्षिण भारत की इन बेहद खूबसूरत जगहों पर नज़र डालो!

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उत्तर भारत को छोड़, दक्षिण भारत पर भी नज़र डालें। हम नहीं चाहते की औरों की तरह आप भी भारत भ्रमण के नाम पर वही ऊंटी, महाबलेश्वर में छुट्टियों की प्लानिंग करें। अगर आप दक्षिण भारत घूमने का प्लान बनाते हैं तो इंटरनेट पर ढूढ़ने पर आपको 8 -10 ऐसी जगह मिल ही जाएँगी जहाँ सैलानी हर साल जाते हैं।छुट्टियों के लिए अगर इन जगहों पर जाएँगे तो भीड़ देख के खुद समझ जाएँगे की भेड़चाल होती क्या है और क्यों आपको अपने अगले सफर में इससे बचना चाहिए.

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आपकी मदद के लिए हमने खोजे हैं दक्षिण भारत के वो अनदेखे-अनसुने शहर और गाँव जहाँ आज भी सैलानियों की भीड़ नहीं पहुणची है, लेकिन ये देखने में उतनी ही सुंदर और मज़ेदार है।

10. अब भूल जाइए ऊंटी, छुट्टियाँ बिताएँ कोटागिरी के शांत पहाड़ो में

दक्षिण भारत में पहाड़ी इलाकों के बारे में इंटरनेट पर खोजा नहीं कि ऊंटी का नाम सबसे पहले आ जाता है। मज़ाक की बात यह है कि सिर्फ आपको ही नहीं, बल्कि गूगल हज़ारों लोगों को भी यही बता कर हर रोज़ ऊंटी भेज रहा है। वहाँ की सड़को की भीड़ से ही आपको पता चल जाएगा की ऊंटी अब वो पहाड़ी क़स्बा नहीं रहा जो अपनी शांत वादियों के लिए जाना जाता था। पर ऊंटी से 30 कि.मी. दूर और कनूर से 17कि.मी. दूर कोटागिरी नाम की जगह आज भी वो शांत जगह है जहाँ प्रकृति की संगीत के बीच आप अपनी छुट्टियां बिता सकते हैं। यहाँ आज भी इतने सैलानी नहीं आते जितने सप्ताहांत में ऊंटी जैसी लोकप्रिय जगहों पर जाते हैं। शान्ति और सुकून की तलाश है? तो ऊंटी छोड़ कोटागिरी की प्लानिंग करें।

कोटागिरी में देखने के लिए जगहें: कोडानाडू व्यू पॉइंट से नीलगिरि पर्वतों का जो लुभावना नज़ारा दिखता है वो आपकी छुट्टियाँ सफल कर देगा। चाय के बागानों के बीच से कुछ दुरी तक चलें तो आप कैथरीन वाटरफॉल्स पर पहुँच जाएँगे। हालाँकि इस जगह पहुँचने के लिए आपको काफी चलना पड़ेगा लेकिन जो नज़ारे आपको यहाँ पहुँच कर मिलेंगे वो आपकी थकान मिटा देंगे। अगर आप पहाड़ों में ट्रेकिंग करने के इच्छुक हो तो आप रंगास्वामी पर्वत पर भी चढ़ाई कर सकते हैं। फुर्सत के कुछ पल आप जॉनस्टोन में टहल कर भी बिता सकते हैं और यहाँ मिलने वाली चाय और केक खाना न भूलें!

जानिए कैसे पहुँचें कोटागिरी

रेल मार्ग: 23 कि.मी की दूरी पर कोटागिरी से सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन है मेट्टुपालयम रेलवे स्टेशन.

हवाई मार्ग : कोटागिरी से सबसे पास कोयंबटूर हवाईअड्डा है। हवाईअड्डे से कोटागिरी की दूरी 70 कि.मी. है जो की आप किसी भी टैक्सी या बस से पूरी कर सकते हैं.

कोटागिरी में रहने की सुविधा: आरामपसंद लोगों के लिए कोटागिरी में मौजूद V resorts एक अच्छा विकल्प है। रहने के लिए और होटल्स और होमस्टे खोजने के लिए यहाँ क्लिक करें।

9. पुडुच्चेरी छोड़ जाएँ कराईकल, भारत में बसी एक और फ्रेंच कॉलोनी

पॉन्डिचेरी तो आप गए ही होंगे। इस जगह को पूर्व का गोवा भी कहा जाता है और गोवा जैसी ही भीड़ आपको यहाँ पूरे साल मिलेगी। अगर आपको तलाश है लीक से हटकर कोई ऐसी जगह जो समंदर के किनारे भी हो और आम बीच से शांत भी हो, तो तमिल नाडु के कराईकल जाएँ। समुद्री तट पर एक बंदरगाह में बसा ये क़स्बा पॉन्डिचेरी से सिर्फ 3 घंटे की दूरी पर है। इस छोटी-सी जगह में शान्ति और संस्कृति का मिलन होता है। कराईकल में बसा पुराना बंदरगाह गवाह है बदलते समय और बदलती सभ्यता का। कराईकल में चोला वंश द्वारा बनाए गए मंदिर भी पर्यटकों को ख़ास पसंद आते हैं।

कराईकल में देखने के लिए जगहें: काराइकाल अम्मैयार मंदिर, थिरुनल्लारु का दरबारनयेस्वरार मंदिर, वेलंकन्नीऔर नागोरे

जानिए कैसे पहुँचें कराईकल

रेल मार्ग : नागोरे रेलवे स्टेशन कराईकल से सबसे नज़दीक रेलवे स्टेशन है। यहाँ से कराईकल पहुंचने के लिए आप बस या टैक्सी ले सकते हैं।

हवाई मार्ग: त्रिची हवाईअड्डा कराईकल से सबसे नज़दीक है। टैक्सी यहाँ पर आसानी से मिल जाती है।

कराईकल जाने का सबसे अच्छा समय: दिसंबर और जनवरी के महीने में यहाँ सबसे सुहाना मौसम होता है।

कराईकल में रहने की सुविधा: पढ़वाई गेस्ट हाउस यहाँ का जाना माना गेस्ट हाउस है। और विकल्पों के लिए यहाँ क्लिक करें.

8. हम्पी के हिप्पियों से दूर भारत की वैश्विक धरोहर पत्तदकल में समय बिताएँ

मालप्रभा नदी के तट पर बसी यह छोटी सी जगह कर्नाटक के बागलकोट जिले में आती है। यहाँ पर हिन्दू और जैन मंदिरों का एक ऐसा भव्य समूह है जो किसी भी इतिहास में रूचि रखने वाले को आकर्षित करेगा। ये जगह पट्टादकल्लु या रक्तपुरा के नाम से भी जानी जाती है। मंदिरों का ये समूह उत्तरी और दक्षिणी वस्तुकला का मेल दिखता है। UNESCO ने पत्तदकल को "उत्तर और दक्षिण भारत की वास्तुशैली में अभूतपूर्व सामंजस्य" दिखाने वाली जगह बताया है। चालुक्य वंश के राज में इस जगह पर राजाओं के राज्याभिषेक हुआ करते थे। 7वी शताब्दी में विनयादित्य नाम के राजा का भी राज्याभिषेक यहीं हुआ था। अगर आप 3 -4 दिन की छुट्टियों का प्लान बना रहे हैं तो आप पास में स्तिथ बादामी और ऐहोल भी जा सकते हैं।

पत्तदकल में देखने के लिए जगहें: इस भवन समूह में विरुपाक्ष, कादसिद्देश्वर, जम्बूलिंगेश्वर, संगमेश्वर, गळगनाथ, कशी विश्वनाथ और जैन नारायण के मंदिर है। पास में स्तिथ बादामी की गुफाएं यहाँ से 23 कि.मी. की दूरी पर हैं और ऐहोल पत्तदकल से 10 कि.मी. दूर है.

जानिए कैसे पहुँचें पत्तदकल

रेल मार्ग: यहाँ से सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन बादामी रेलवे स्टेशन है। आप यहाँ से टैक्सी या बस से पत्तदकल पहुँच सकते हैं।

हवाई मार्ग: साम्ब्रा बैलगाम हवाईअड्डा पत्तदकल से सबसे नज़दीकी हवाईअड्डा है। टैक्सी दिन-भर बेलगाम से पत्तदकल चलती हैं.

पत्तदकल जाने का सबसे अच्छा समय: पत्तदकल जाने के लिए अक्टूबर से मार्च और जुलाई से सितम्बर के महीने सबसे उत्तम समय है

पत्तदकल में रहने की सुविधा: डी हेरिटेज रिसोर्ट बादामी। होटल और होमस्टेस के और विकल्पों के लिए यहाँ क्लिक करें.

7. कूर्ग की पहाड़ियों और नदियों से आगे बढ़कर, अगली छुट्टियों सकलेशपुर में मनाइए।

कूर्ग को भारत का स्कॉटलैंड भी कहा जाता है और बेंगलुरू में रहने वाले लोगों के लिए ये पहाड़ी इलाका छुट्टियों में जाने के लिए सबसे पास और एक आसान विकल्प है। पर अगर आपको छुट्टियों में शान्ति की तलाश है तो कूर्ग से बेहतर सकलेशपुर है। टॉलीवूड और बॉलीवुड फिल्मो की शूटिंग यहाँ अक्सर होती है। आपको जान कर हैरानी होगी की सकलेशपुर में बहुत सारे झरने और जल प्रपात भी हैं, जैसे मूकानमाने फाल्स। दिन बिताने के लिए यह जगह काफी सुकून भरी है और पास में एक पहाड़ी पर बना पुराना किला भी है। काफी सैलानी यहाँ बेंगलुरू से सप्ताहांत में आते हैं पर आज भी यहाँ कूर्ग से कम भीड़ होती है।

सकलेशपुर में देखने के लिए जगहें: मांजराबाद फोर्ट काफी नज़दीक और घूमने के लिए एक बढ़िया जगह है। घूमने के लिए और जगह हैं, जैसे रोटिकालू फाल्स और जेनुकाल्लु सनसेट प्वाइंट, सलेकशपुर के पास मूकानमाने फॉल्स जरूर जाएँ।

जानिए कैसे पहुँचें सकलेशपुर

रोड मार्ग: सिर्फ 240 कि.मी. की दूरी पर बेंगलुरू से आप सकलेशपुर 5 घंटे में पहुंच सकते हैं.

रेल मार्ग: सकलेशपुर का अपना रेलवे स्टेशन है। कुक्के सुब्रमण्या से सकलेशपुर जाने वाली रेल गाड़ी आपको रास्ते में पश्चिमी घाट के नज़ारे दिखाते हुए लेते जाएगी।

हवाई मार्ग: मंगलोर स्तिथ बाजपे हवाईअड्डा सकलेशपुर से सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा है। यहाँ से आपको सकलेशपुर जाने के लिए आसानी से बस मिल जाएगी।

सकलेशपुर जाने का सबसे अच्छा समय: आप पूरे साल ही यहाँ घूमने आ सकते हैं। मौसम यहाँ हमेशा ही सुहाना बना रहता है।

सकलेशपुर में रहने की सुविधा: मूकानना रिसॉर्ट्स और रोटिकालू रिज़ॉर्ट रहने की सबसे बढ़िया जगहें हैं।

6. वास्तुकला के दीवाने हैं तो मदुरई नहीं, तंजावूर जाएँ

वास्तुकला के प्रसंशक हमेशा से ही मदुरई के मंदिरो में आते रहे हैं। मिनाक्षी मंदिर में हज़ार स्तम्भों वाला मंदि आपकी आँखें चकाचौंद कर देगा पर अगर आप वास्तुशैली में रूचि रखते हैं वो तंजावूर का बृहदेश्वर मंदिर आपको और भी पसंद आएगा। तंजावूर चेन्नई से 340 कि.मी. दूर है और ये दक्षिण भारत का एक आद्वितीय पर्यटन स्थल है। एक समय पर ये चोला साम्राज्य की राजधानी थी और आज UNESCO द्वारा एक हेरिटेज साइट घोषित की गयी है। बृहदेश्वर मंदिर राजा चोला I ने 1011 इस्वी में चोला साम्राज्य की विजय का उत्सव मानाने के लिए बनाया था। दक्षिण भारत की वास्तुकला में ये आज भी एक अद्भुत नमूना माना जाता है।

तंजावूर में देखने की जगहें: भगवान शिव को समर्पित बृहदेश्वर मंदिर, महल और सरस्वती महल पुस्तकालय, यहाँ स्तिथ आर्ट गैलरी, शिव गंगा उद्यान और श्वॉर्टाज़ चर्च।

जानिए कैसे पहुँचें तंजावुर

रेल मार्ग: तंजावूर का अपना खुद का रेलवे स्टेशन है जहाँ रोज़ चेन्नई, बैंगलोर और मदुरई से ट्रैन आती हैं।

हवाई मार्ग: तिरुचिपल्ली सबसे नज़दीकी हवाईअड्डा है। चेन्नई से यहाँ रोज़ उड़ान भरी जाती है। टैक्सी से तिरुचिपल्ली से तंजावूर का सफर 1500 रुपए में पूरा होगा।

तंजावूर आने का सही समय: अक्टूबर से फरवरी के बीच के महीने यहाँ आने के लिए सही समय है।

तंजावूर में रहने की सुविधा: स्वात्मा तंजोर। 

5. हनीमून के लिए अगर आप मुन्नार गए थे तो शादी की पहली सालगिरह के लिए पोनमुडी जाएँ

इंटरनेट पर ढूंढा जाए तो भारत में हनीमून मनाने के लिए पहली 10 जगहों में मुन्नार का नाम ज़रूर आता है। मानते हैं की ये जगह काफी रूहानी है लेकिन आपको अपनी पहली और दूसरी सालगिरह मानाने के लिए भी तो कुछ ऐसी ही जगह की तलाश होगी। त्रिवेंद्रम के पास बसी छोटी-सी जगह पोनमुडी एक ऐसा ही शहर है। केरल की राजधानी से ये सिर्फ 65 कि.मी. की दूरी पर है और यहाँ से दिखने वाले पश्चिमी घाट की पर्वतमाला का मनोरम दृश्य इस जगह की खासियत है। त्रिवेंद्रम से पोनमुडी तक का सफर जाना जाता है अनगिनत सुन्दर दृश्यों और पहाड़ी रस्ते में 22 हेयर पिन जैसे मोड़ के लिए। अक्सर प्रेमी जोड़े और परिवार यहाँ छुट्टियां मनाने आते हैं। त्रिवेंद्रम यहाँ से काफी कम दूरी पर है और अगर आप दूर से आएँ तो त्रिवेंद्रम भी साथ में घूम सकते हैं।

पोनमुडी में देखने की जगहें

पोनमुडी टी फैक्ट्री, गोल्डन वैली, मीनमुट्टी फॉल्स। चिड़ियाओं में रूचि रखने वाले लोगों के लिए कल्लर भी एक बहुतअच्छी जगह है।

जानिए कैसे पहुँचें पोनमुडी

रेल मार्ग और हवाई मार्ग दोनों के लिए ही आपको त्रिवेंद्रम पहुँचना पड़ेगा। उससे आगे रास्ता कुछ इस तरह से है: पेरूरकडा – नेदुमंगद- चुल्लीमनूर – विठुरा – पोनमुडी

पोनमुडी जाने का सबसे अच्छा समय: मार्च से मई तक का समय सबसे बढ़िया है।

पोनमुडी में रहने की सुविधा : रिवर कंट्री रिसॉर्ट्स।

4. समुद्र के किनारों की असली खूबसूरती देखनी है तो गोकर्णा नहीं उडुपी जाएँ

दूर देशों से आए हुए सैलानी अक्सर दक्षिण भारत में या तो हम्पी जाते हैं या फिर गोकर्णा। यहाँ के शांत तटों और रंगीन माहौल का कुछ ऐसा आकर्षण है की लोग खींचे चले आते हैं। लेकिन अगर आपको समंदर के शांत किनारों की ही तलाश है तो उडुपी ज़रूर जाइए। कर्णाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले में स्तिथ उडुपी से अरब महासागर का असीम दृश्य आपको छू लेगा। यहाँ पर उडुपी श्री कृष्णा मठ होने के कारण अक्सर तीर्थयात्री बहुत आते हैं पर आम सैलानियों के लिए भी यहाँ घमने के लिए बहुत कुछ है। एक तरफ पश्चिमी घाट में आप कई ट्रेक्स के लिए जा सकते हैं, वहीं समंदर के किनारे कापू बीच जैसे कई और समुद्र तट हैं जहाँ आप सूरज ढलते हुए देख सकते हैं।

उडुपी में देखने की जगहें: रत्न बिधि श्री कृष्णा मठ और मंदिर, कापू बीच, मालपे बीच, स्टेल्ला मारिस चर्च, सैंट मैरीज टापू

जानिए कैसे पहुँचें उडुपी

रेल मार्ग: कोंकण रेलवे मार्ग में उडुपी एक बड़ा जंक्शन है। यहाँ रेल सीधे बैंगलोर से भी आती है।

हवाई मार्ग: बाजपे अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा उडुपी से सबसे नज़दीक है। हवाईअड्डे की दूरी यहाँ से 60 कि.मी. है।

उडुपी जाने का सही समय: अक्टूबर से फरवरी के महीने यहाँ आने के लिए सही समय हैं।

उडुपी में रहने के जगहें: सी बर्ड रिसोर्ट। होटल और होमस्टे के और विकल्प ढूढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें.

3. गुफाओं में ही घूमना है तो बेलूम केव्स नहीं, जाएँ बोर्रा केव्स

बेलूम गुफाएँ भारतीय उपमहाद्वीप में दूसरी सबसे बड़ी गुफाएँ हैं। इस सूची में सबसे पहले आती हैं मेघालय में स्तिथ क्रम लिअत प्रह गुफाएँ। आंध्र प्रदेश में जो भी गांदीकोटा आता है वो बेलूम केव्स भी ज़रूर आता है। लेकिन आंध्र प्रदेश के पूर्वी छोर में एक ऐसा गुफा परिसर भी है जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं। इसका नाम है बोर्रा गुहलु और अंग्रेजी में इसे बोर्रा केव्स भी कहा जाता है। यह जगह विशाखापट्नम के पास स्तिथ अरकू वैली से ज्यादा दूर नहीं है। कारस्टिक लाइमस्टोन से बनी ये गुफाएं 80 मीटर लम्बी हैं जिस कारण इनको देश की सबसे गहरी गुफाएं भी माना जाता है। बेलूम केव्स के पास के क्षेत्र में जतापू, पुर्जा, कोंडाडोरा, नुकड़ोरा जैसी जनजाति के लोग बसे हुए हैं।

बोर्रा केव्स में देखने की जगहें: बोर्रा केव्स में शिवलिंग के आकार की चट्टानें है जिनका धार्मिक महत्व है। यहाँ एक गाय की मूर्ती भी है जिसे कामधेनु कहा जाता है। पास ही में बसी अरकू घाटी में भी काफी सैलानी जाते हैं।

जानिए कैसे पहुँचे बोर्रा केव्स

रेल मार्ग: बोर्रा गुहलु एक रेलवे स्टेशन है। विशाखापट्टनम से आने वाली रेलगाड़ी यहाँ पहुँचने से पहले करीब तीस सुरंगों से होते हुए आती है।

रोड मार्ग: विशाखापट्टनम से यहाँ रोज़ बसें चलती हैं।

हवाई मार्ग: विशाखापट्टनम स्तिथ हवाईअड्डा यहाँ से 85 कि.मी. दूर है.

बोर्रा केव्स जाने का सही समय: दिसंबर से फरवरी के महीने यहाँ आने के लिए बढ़िया वक्त है।

बोर्रा केव्स के पास रहने की सुविधा: Novotel Vizag।

2. दक्षिण भारत में ठंड महसूस करनी है तो अरकू घाटी नहीं, लांबासिंगी जाएँ

विशाखापट्टनम के पास स्तिथ अरकू घाटी तो बहुत सारे सैलानी हर साल जाते हैं पर क्या आप लांबासिंगी के बारे में जानते हैं? लांबासिंगी को दक्षिण भारत का कश्मीर भी कहा जाता है। 2012 में जब यहाँ पहली बार बर्फ पड़ी तो पहली बार लोगों का ध्यान इस जगह की तरफ पड़ा। पूरा साल ही यहाँ एक धुंध सी छायी रहती है और इस रूहानी मौसम को देखने के लिए पूरे आंध्रा प्रदेश से लोग यहाँ आते हैं। स्थानिय भाषा तेलगु में इस जगह को "कोर्रा बेलूयु" भी कहा जाता है जिसका मतलब है " अगर किसी को रात भर यहाँ बाहर खड़ा कर दिया जाए तो सुबह तक वो जमी हुई लकड़ी बन जाएगा"।

लांबासिंगी घाटी में घूमने की जगहें: कूठापल्ली जल प्रपात, तहजांगी जलाशय। आप यहाँ पर रात को कैंपिंग भी कर सकते हैं।

जानिए कैसे पहुँचें लांबासिंगी

रेल मार्ग: चिंतापल्ले नामक रेलवे स्टेशन लांबासिंगी से मात्र 20 कि.मी. की दूरी पर है।

रोड मार्ग: विशाखापट्टनम से लगभग 100 कि.मी. का ये सफर मनमोहक दृश्यों से भरा हुआ है।

हवाई मार्ग: 107कि.मी. की दूरी पर विशाखापट्टनम सबसे नज़दीकी हवाईअड्डा है।

लांबासिंगी आने का सबसे सही समय: नवंबर से जनुअरी के बीच के महीने यहाँ आने का सबसे अच्छा समय है.

लांबासिंगी में रहने की सुविधा: घाटी में बने कैंप्स में आप रह सकते है। बाकी विकल्पों के लिए यहाँ क्लिक करें.

1. कोच्ची के तटों को भूल अब कासरगोड की लहरों का आनंद लें

दुनियाभर में प्रसिद्ध, अरब महासागर की रानी कही जाने वाली कोच्ची में आज भी पूरे विश्व से सैलानी आते हैं। आप भी शायद वहाँ जा चुके होंगे। पर अगर आप शांत तटों की तलाश में कुछ दूर और घूमना चाहते हैं तो केरल और कर्नाटक की सीमा में बसे तटवर्ती कस्बे कासरगोड में ज़रूर आएँ। इस जगह में मंदिर भी हैं और प्राचीन काल के किले भी। केरल में अगर लीक से हटके कोई तट है जो आज भी आम सैलानियों की नज़रों से बचा हुआ है तो वो है कासरगोड। यहाँ पर स्तिथ बेकल फोर्ट और बन्दरगाह से अरब महासागर के दिल छु लेने वाले दृश्य रोज़ दिखते हैं.

कासरगोड में घूमने की जगहें: बेकल किला, चंद्रगिरि किला, मुज़हैप्पिलानगड़ तट, अनंतपुरा झील मंदिर।

जानिए कैसे पहुँच सकते हैं कासरगोड

हवाई मार्ग: मंगलौर स्तिथ हवाई अड्डा यहाँ से सिर्फ 60 कि.मी. दूर है।

रेल मार्ग: कासरगोड का अपना रेलवे स्टेशन है जहाँ चेन्नई और मुंबई से रोज़ ट्रेन आती है।

रोड मार्ग: मंगलौर से 60 कि.मी. दूर, यहाँ रोज़ ही सरकारी और निजी बस सेवा मिल जाती है।

कासरगोड जाने का सही समय: नवंबर से फरवरी के महीने यहाँ जाने के लिए सबसे अच्छा समय है।

कासरगोड में रहने की सुविधा: अमीरात रीजेंसी।

क्या आप भी दक्षिण भारत की उन छोटे शहरों और गाँवों में गए हैं जिनके बारे में कम सैलानी जानते है। हमें उन जगहों के बारे में बताएं और अन्य यात्रियों की मदद करें.

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