MONSOON IN MANALI - एक 'चिलम'यी दुनिया | BAWRAY BANJARAY

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Photo of MONSOON IN MANALI - एक 'चिलम'यी दुनिया | BAWRAY BANJARAY by Bawray Banjaray

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मन और मौसम का क्या है कि ये कहीं भी, कभी भी, कैसे भी बदल ही जाते हैं - समय के साथ भी और समय के बाद भी! अब ऐसे में अगर आपके कॉसमॉस एक गहरी साज़िश रच लें, तो ये समझ जाना चाहिए कि एक पूरी कायनात आपको इस बदलाव का आय विटनेस बनाने में लग गई है! वैसे, एक वीकेंड एक हफ़्ता कैसे बन सकता है और एक हफ़्ते का ट्रैवल आपको क्या क्या दिखा सकता है - इस बात का जवाब तो ख़ुद पंडित राहुल भी नहीं दे पाए!

MONSOON IN MANALI - एक 'चिलम'यी दुनिया

बर्फ़, वंडरलस्ट और हनीमून की चकाचौंध तले, मनाली एक ऐसी दुनिया है जहाँ बादल बस यूँ ही, आते जाते आपको बदल कर चले जाते हैं! इस बारिश हम मनाली में थे और रोहतांग दर्रे से घुमड़ते लुढ़कते इन बादलों ने हमें एक ऐसी जादुई दुनिया दिखाई जिसका हिसाब किताब बस 'चिलम'य था! चिलमय होना प्रकृति की उस संस्कृति का नाम है जहाँ समय और वक़्त की रेस में, समय कछुए की शेल ओढ़े वक़्त की नई परिभाषाएं गढ़ता है! बारिशों वाली मनाली की इस ट्रिप पर अपनी नई पहचान लिए, ये वक़्त हम बावरे बंजारों के पल्ले पड़ गया और फिर शुरू हुआ संजोग, समय और संभाव का एक अलौकिक चक्र - बिलकुल वॉटर साइकल जैसा! अब देखिए न इन बादलों को - आपको संयोग के सारे शेड्स नजर आएंगे! और हम तो इनके अड्डे पर थे - एकदम केंद्र में! उड़ते कालीन के सपने देखने वाले हम बन्दे, वक़्त की रेस दौड़ते दौड़ते इस बालकनी में अटक गए थे और संजोग से, नुमाइश लगी थी - बादलों की!

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जब समय मंदा पर जाए और दोस्तों की जागीरी आपके नाम हो, तब पैदा होता है ये चमत्कारी संजोग - 'चिलम' यी दुनिया वाला! और इस दुनिया में न तो मनाली का शोर है, न ही सफ़ेद से जुड़ी इसकी पहचान - या तो सब हरा है या सब धूसर, ग्रे वाला! और ऐसा नहीं है कि समय, यहाँ बस मंदा ही रहता है - गाहे बगाहे कहीं किसी कोने में वक़्त और समय का पहिया एकदम बराबरी पर घूमता है - पूरे घमासान के साथ! लेकिन तब भी, शोर बस इतना ही होता है कि पानी की चादर तले, शान्ति अपनी अलग दुनिया ही रच लेती है। इस दुनिया में, आपको हिस्ट्री और हेरिटेज दूर कहीं, किसी टीले पर पैर लटकाए, वादियों में बादलों को ताड़ते नज़र आएंगे। अगर आप हिस्ट्री से मिलोगे तो वो हेरिटेज की दुहाई देता मिलेग और हेरिटेज से आमना सामना हुआ, तो हिस्ट्री के नाम तीन चार कसीदे तो यूँ ही निकल पड़ेंगे!

संजोग और समय के इस अलौकिक चक्र में हम बावरे बंजारे इसी संभाव के साक्षी थे! बर्फ़ की सफ़ेदी, वंडरलस्ट के दिखावे और हनीमून की गर्माहट से दूर, इस चिलमयी दुनिया में, हमारे और हिमालय के इस हिस्से के बीच, शोर, शान्ति और समन्वय का जो संभाव बना न - बस उसी का नाम मनाली है !

एक वीकेंड एक हफ़्ता कैसे बन सकता है और एक हफ़्ते का ट्रैवल आपको क्या क्या दिखा सकता है ?

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