
इलाहाबाद (प्रयागराज) का अल्फ्रेड पार्क (आजाद पार्क)। 27 फरवरी, 1931 को अंग्रेजों ने इसी पार्क में स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद को घेर लिया था। उस समय आजाद के पास 1903 की बनी यूएस मेड सेमी ऑटोमेटिक पिस्टल थी। वह इसी पिस्टल से पुलिस वालों का अकेले मुकाबला कर रहे थे। ब्रिटिश पुलिस चंद्रशेखर आजाद को निशाना बनाकर लगातार फायरिंग कर रही थी। जबकि, वह एक पेड़ का ओट लेकर अंग्रेजों को छका रहे थे। 8 बुलेट की मैगजीन वाली इस पिस्टल से उन्होंने कई पुलिस अफसरों को घायल कर दिया था। लेकिन, एक ऐसा पल आया जब उनके पास मात्र एक ही गोली बची थी। चंद्रशेखर आजाद ने अंग्रेजों की गोली से मरने की बजाय अपने पिस्टल से खुद पर गोली दाग दी।
शहीद चंद्रशेखर आजाद की यह ऐतिहासिक पिस्टल अब प्रयागराज के म्यूजियम में रखी गई है। म्यूजियम में इसे एक बुलेटप्रूफ़ शीशे में रखा गया है। जब चंद्रशेखर आजाद ने खुद को गोली मार ली। तब अंग्रेस पुलिस अधीक्षक जॉन नॉट बावर ने उस पिस्टल को जब्त कर लिया था। आजादी मिलने के बाद पिस्टल को भारत सरकार को सौंप दिया गया। अब यह भारत की एक बड़ी धरोहर है।


