इतवार.।
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कोई लम्बी नींद मे सोया होगा, तोह कोई थोड़ा दूर कहीं खोया होगा। वैसे इन दिनों इतवार की कोई परिभाषा नहीं रहीं, रफ़्तार थोड़ी कम सी हो गई है। घर पे रहो का नारा जो सड़को पे गूंज रहा है। खर्च कर दिया सबने वक़्त कही ना कहीं, खेर ये वक़्त भी गुजर जायेगा