कई बार ज़्यादातर लोग का घूमना सिर्फ़ इसलिए नहीं हो पाता क्योंकि ट्रैवलिंग के लिए लम्बी प्लानिंग की ज़रूरत पड़ती है। अगर आपकी ये समस्या मैं कम कर दूँ तो क्या कहोगे? तो याद कर लो ऐसी कुछ जगहें जिनके लिए बस बैग पैक करने की ज़रूरत है, इससे आगे कुछ नहीं।
1. कुर्ग
दक्षिण का यह हिल स्टेशन कोडगु के नाम से भी बहुत मशहूर है।
बंगलुरू से महज़ 260 कि.मी. दूर कई सारे झरनों का घर भी है। हाइकिंग के लिए, ट्रेकिंग के लिए बढ़िया इस ऐतिहासिक जगह को आप अपना अगली मंज़िल बना सकते हो। नागरहोल राष्ट्रीय पार्क भी यहाँ से बहुत दूर नहीं। अपने परिवार और दोस्तों के साथ घूमने के लिए इस ट्रिप के बारे में बहुत ज़्यादा सोचने की ज़रूरत नहीं है। बस निकल पड़ना है भारत के स्कॉटलैंड के सफ़र पर।
यात्रा कार्यक्रम
कुर्ग के लिए बंगलुरू से रात को बस पकड़ें। किराया ₹500 तक।
दिन 1- पहले दिन के लिए कुर्ग में एब्बी वॉटरफॉल देखने के लिए है। मॉनसून के मौसम में मोर भी नाचते मिल जाते हैं और हाथी भी मस्ती से झूमते हैं। इसके अलावा मंडलपट्टी का प्लान बना सकते हैं। फिर रात को होटल में आराम करें। कल लम्बी मेहनत करनी है।
दिन 2- नेपाल, भूटान और तिब्बत की संस्कृति को पसन्द करने वालों के लिए भगवान बुद्ध का मठ है यहाँ पर। दर्शन और पूजा के लिए अद्भुत जगह है ये। अगर दिल ना कहे तो मदिकेरी घूमने निकल जाएँ। और फिर शाम को कुर्ग से घर वापसी।
बंगलौर से कुर्ग पहुँचने का समय- क़रीबन 9 घंटे
मुंबई, यहाँ से 260 कि.मी. दूर सह्याद्रि की पहाड़ों की लंबी रेंज है। महाबलेश्वर वो जगह है जहाँ हर समय देश विदेश के मुसाफ़िर आपको दिख जाएँगे। कुछ तो अपनी प्राकृतिक छटा से और कुछ इंसान की मेहनत से यह जगह ख़ूबसूरत हुई है। वेना झील, महाबलेश्वर मंदिर, माप्रो बाग़, प्रतापगढ़ क़िला, लिंगमाला झरना, तपोला की शिवसागर झील, बैबिंग्टन पॉइंट और लौडविक पॉइंट, इसके साथ और कई सारी जगहें, जहाँ आप ख़ुद के लिए वक़्त निकाल सकते हैं।
महाबलेश्वर का यात्रा कार्यक्रम
मुंबई से महाबलेश्वर की बस कर लें। किराया लगभग ₹350 तक होगा। सुबह होते होते आप महाबलेश्वर में होंगे।
दिन 1- सबसे पहले दिन की शुरुआत करें महाबलेश्वर मंदिर में दर्शन के साथ। फिर वहाँ से वेना झील और लिंगमाला झरने को निकल जाएँ। अगर समय बचे तो शिवसागर झील को भी गाड़ी दौड़ा दें। होटल में रुकें।
दिन 2- एक क़िला है प्रतापगढ़ क़िला। यहाँ घूमने के बाद लौडविक पॉइंट और बैबिंग्टन पॉइंट के लिए निकल जाएँ। इसी रात महाबलेश्वर से घर की ओर प्रस्थान करें।
मुंबई से महाबलेश्वर पहुँचने का समय- क़रीबन 7 घंटे।
नाम तो सुना ही होगा। उत्तराखण्ड के रामनगर में जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय पार्क सन् 1936 में बना देश का पहला राष्ट्रीय पार्क है। कई सारी वनस्पतियों का अकेला घर है यह जगह, जिनमें तो कुछ ज़हरीली भी हैं। इसलिए थोड़ा दूर ही रहिएगा। जंगल लवर्स के लिए जन्नत है यह और उन फ़ोटोग्राफ़र्स के लिए भी, जो बाघ, तेंदुआ, हिरण, जंगली हाथी, काला हिरण और लकड़बग्घे की तस्वीरें खींचने के लिए उत्सुक हैं। यह राष्ट्रीय पार्क नई दिल्ली से 233 कि.मी. की दूरी पर है।
जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय पार्क का यात्रा कार्यक्रम
रात को बस या गाड़ी से जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय पार्क के लिए निकलें। सुबह आप उत्तराखण्ड की वादियों में होंगे।
दिन 1- पहले दिन कड़ी तपस्या करने की बजाय मौज मस्ती पर ध्यान दे सकते हैं। चाहें तो राफ़्टिंग के लिए निकल जाएँ या फिर कॉर्बेट झरना और कॉर्बेट म्यूज़ियम देखने निकल सकते हैं। यहीं कोसी नदी भी बहती है। उसका आनन्द लेने निकल सकते हैं। रात को होटल में रुकें।
दिन 2- ये दिन मेहनत वाला है। पूरा दिन आप कॉर्बेट पार्क में शेर, चीता और दूसरे जंगली जानवरों को देख सकते हैं। हाथी की सवारी या फिर जीप पर घूम सकते हैं आप। रात को बस पकड़कर घर को प्रस्थान कर लें।
दिल्ली से जिम कॉर्बेट पहुँचने का समय- 6.5 घंटे।
4. गंगटोक
हिमालय की ऊँचाइयों सा गंगटोक सिक्किम की राजधानी है, एक सुन्दर हिल स्टेशन है जहाँ आश्चर्यजनक रूप से पर्यटक की संख्या उतनी नहीं होती, जितनी होनी चाहिए। अब तो नया हवाई अड्डा भी खुल गया है, तो वीकेंड के लिए प्लान करना गंगटोक कोई घाटे का सौदा नहीं है। सफ़ेद सरमाई बर्फ़ पर तुम्हें ताकती हिमालय की चोटियाँ, या फिर सैकड़ों फुट की ऊँचाई पर झीलें, तस्वीर पसन्द गाँव और प्यारे प्यारे निवासियों से दोस्ती पूर्वोत्तर की तरफ़ देखने का बहुत अच्छा मौक़ा देते हैं।
गंगटोक का यात्रा कार्यक्रम
रात को कोलकाता से बस सीधा सिलिगुड़ी के लिए जाती हैं। सुबह आप सिलिगुड़ी से गंगटोक की बस ले लें। किराया क़रीब ₹600 तक होगा।
दिन 1- अपने दिन की शुरुआत ताशी व्यू पॉइंट के साथ करें। सूरज उगते हुए देखने का मौक़ा मिला तो जो पूरे आसमान में केसर बिखरा हुआ नज़ारा दिखेगा, उससे क़ीमती कुछ नहीं। यहाँ से रुख़ करिए एमजी मार्ग का। यहाँ शॉपिंग करने निकलने जाइए। रात का डिनर 'टेस्ट ऑफ़ तिब्बत' में करें। रात को होटल में रुकें।
दिन 2- अगले दिन नाथूला और lत्सोंगमो झील घूमने का मौक़ा ना छोड़ें। थोड़ा सुकून की तलाश में रुमतेक मठ जाएँ। फ़ैंमोग लो वाइल्डलाइफ़ सैंचुरी भी जा सकते हैं। शाम होते ही घर को निकल लें क्योंकि लंबा सफ़र बाक़ी है अभी।
कोलकाता से गंगटोक तक पहुँचने का समय- 16 घंटे।
5. गोआ
गोआ निकलना है तो दोस्तों के साथ तब प्लान करो, जब वीकेंड लम्बा हो। चाहे मीलों लम्बा अरब सागर हो, या फिर दूधसागर झरना, अंजुना हो कालंगुट बीच, घूमने के लिए समय तो चाहिए। बीच पर बने रेस्तराँ का खाना भी चखना है और पूरा गोआ भी देखना है और टाइम भी नहीं लगना चाहिए, ऐसे कैसे चलेगा दीदी। वैसे वीकेंड की प्लानिंग में पूरा गोआ देखना इतना कठिन भी नहीं है, क्योंकि गोआ पूरी तरह से सड़क, ट्रेन और हवाई अड्डों से बहुत अच्छे से जुड़ा है।
गोआ यात्रा का कार्यक्रम
पुणे से गोआ के लिए बस ले लें, जो क़रीब ₹600 में आपको गोआ पहुँचा देगी।
दिन 1- सुबह सुबह की शुरुआत आप किसी बीच से कर सकते हैं। अंजुना बीच का नाम बहुत प्रसिद्ध है। पास में ही कोल्वा और बागा बीच भी हैं। तो उसका प्लान भी कर सकते हैं आप। रात को किसी होटल में सोने की बजाय गोआ की नाइटलाइफ़ का आनन्द लें।
दिन 2- अगले दिन को थोड़ा हल्का बनाने के लिए शॉपिंग पर जाएँ। उसके बाद चपोरा क़िले को भी घूमकर आएँ। गोआ के चर्च बहुत प्रसिद्ध हैं। वहाँ भी अपना समय गुज़ार सकते हैं। रात को घर वापसी सीधा पुणे की ओर।
पुणे से गोआ पहुँचने का समय- क़रीबन 9 घंटे।
तो आप कोरोना के जाने के बाद कहाँ घूमने जाना चाहेंगे? हमें कॉमेंट में बताएँ।
अपनी यात्राओं के अनुभव को Tripoto मुसाफिरों के साथ बाँटने के लिए यहाँ क्लिक करें।
रोज़ाना वॉट्सऐप पर यात्रा की प्रेरणा के लिए 9319591229 पर HI लिखकर भेजें या यहाँ क्लिक करें।