2023 से हम सभी के लिए काफ़ी आसान होगा कैलाश मानसरोवर यात्रा कर पाना

Tripoto
24th Mar 2022
Photo of 2023 से हम सभी के लिए काफ़ी आसान होगा कैलाश मानसरोवर यात्रा कर पाना by Roaming Mayank
Day 1

2023 से कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए नहीं जाना पड़ेगा चीन या नेपाल, उत्तराखण्ड से बन रहा सीधा रास्ता होने वाला है पूरा !!

पिथौरागढ़, उत्तराखंड

कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाना हर एक शिवभक्त और हर एक ट्रैवलर का सपना होता है। पर कई सारे लोग इस यात्रा के रास्ते की दुर्गमता, लगने वाले अधिकाधिक समय और पैसों की आवश्यकता के चलते इस यात्रा पर कभी जा ही नहीं पाते थे। लेकिन अब भारत सरकार इस समस्या को काफ़ी हद तक सुलझाने जा रही है। 2023 तक चीन और नेपाल के बजाय अब उत्तराखंड के पिथौरागढ से लिपुलेख के जरिए, आप और हम सभी सीधा मानसरोवर तक सड़क मार्ग से गाड़ी के जरिए यात्रा कर सकेंगे। यहां पर बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन BRO मानसरोवर तक एक सुरक्षित और पहले से काफ़ी सुगम रोड का निर्माण करने में तेजी से लगा हुआ है।

पिथौरागढ, उत्तराखंड

Photo of Kailash Parvat (Mount Kailash), Burang County, Ngari Prefecture, Tibet, China by Roaming Mayank

कैलाश मानसरोवर यात्रा प्रोजेक्ट

केंद्रीय परिवहन मंत्री ने सदन में हाल ही मे ये बताया है कि मानसरोवर यात्रा के इस नए मार्ग का 85% कार्य पूर्ण हो चुका है और बाकी कार्य 2023 तक पूरा हो जाएगा, जिसके बाद 2023 में ही इस मार्ग से कैलाश मानसरोवर यात्रा की जा सकेगी।

कैलाश मानसरोवर यात्रा की वर्तमान स्थिति

वर्तमान में भारत से कैलाश मानसरोवर यात्रा दो मार्गों से करायी जाती है जोकि उत्तराखंड और सिक्किम से होकर गुजरती हैं। तीसरा यात्रा मार्ग नेपाल से है जिसे नेपाल सरकार द्वारा चलाया जाता है।

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पहला मार्ग सिक्किम के 14500 फीट ऊंचे नाथूला दर्रे से होकर भारत-चीन सीमा से होते हुए तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र से मानसरोवर जाता है। यह मार्ग अपेक्षाकृत सरल है और मोटरेबल मार्ग है। सीनियर सिटिजन और चलने में समस्या वाले व्यक्तियों के लिए यह मार्ग बेहतर है। लेकिन अभी इस मार्ग से यात्रा पूरी करने में करीब 21 दिन लगते हैं। इस मार्ग से प्रति व्यक्ति खर्चा करीब 2.5 लाख होता है, जिसमें दिल्ली से दोनों तरफ का एयर टिकट शामिल है।

सिक्किम मार्ग

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दूसरा मार्ग उत्तराखंड के पिथौरागढ जिले मे करीब 17500 फीट ऊंचे लिपुलेख दर्रे से होकर मानसरोवर कैलाश जाता है। यह सबसे कठिन और लंबा मार्ग है जिसमें करीब 28 दिनों का समय लगता है। इसका कुल खर्च करीब 1.8 लाख रुपये आता है जिसमें दिल्ली से उत्तराखंड तक वोल्वो बस का रिटर्न किराया शामिल है। मार्ग में काफ़ी ज्यादा हिस्सा यात्रियों को पैदल ट्रेक करके जाना होता है। लिपुलेख दर्रा उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र को तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र से जोड़ता है। इस मार्ग पर यात्रियों को अपेक्षाकृत बहुत दुर्गम रास्ते और काफ़ी कठिन मौसम से होकर गुजरना पड़ता है। अधिक ऊंचाई के साथ साथ इस मार्ग पर अक्सर होने वाले भूस्खलन इसकी दुर्गमता को बढ़ा देते हैं। करीब 24 साल पहले इसी मार्ग कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान हुए एक बड़े भयावह भू स्खलन के दौरान लगभग 190 तीर्थ यात्रियों की दुखद मृत्यु हो गई थी।

Photo of Lipulekh Pass by Roaming Mayank

तीसरा मार्ग नेपाल के जरिए होकर जाता है जिसे नेपाल सरकार द्वारा नियंत्रित और संचालित किया जाता है। इसके लिए आपको काठमांडू पहुंचना होता है और फिर नेपाली टूर संचालकों के माध्यम से यात्रा करायी जाती है जिसका खर्च करीब 2 लाख रुपये आता है। यहां ल्हासा, सिमलीकोट और ओवरलैंड तीन तरह की यात्रा के ऑप्शन मिलते हैं। इसमें आपको काठमांडू से करीब 12-17 दिनों का समय लगता है।

Photo of Kathmandu by Roaming Mayank

तीनों ही मार्गों से कैलाश मानसरोवर यात्रा करने के लिए सभी यात्रियों को मानक स्वास्थ्य परीक्षणों से होकर गुजरने के बाद ही अनुमति दी जाती है।

कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग, तिब्बत

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कैलाश मानसरोवर यात्रा के उत्तराखंड वाले मार्ग का नवीनीकरण

कैलाश मानसरोवर यात्रा का उत्तराखंड मार्ग मुख्य रूप से तीन भागों में बंटा हुआ है। पिथौरागढ से तवाघाट तक 107 किमी की रोड, तवाघाट से घाटियाबगढ़ तक फ़िलहाल 19 किमी की एकल रोड और घाटियाबगढ़ से लिपुलेख दर्रे तक 80 किमी का हिस्सा जिसमें अधिकतर पैदल मार्ग है।

बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन ने इस मार्ग के दूसरे भाग यानी तवाघाट से घाटियाबगढ़ तक की एकल रोड को दो लेन की सड़क बनाने का कार्य, पिछले वर्ष ही गर्मियों में पूरा कर लिया था। इस मार्ग को पार करने में लगने वाले पहले के 5 दिनों की अपेक्षा अब केवल 2 दिन ही लगेंगे और कुल 6 दिनों के समय और खर्च की बचत होगी। घाटियाबगढ़ से लिपुलेख तक की सड़क का निर्माण कार्य BRO द्वारा 2023 में ही कर लिया जाएगा जिससे लगने वाले समय तथा खर्च में और कमी आयेगी। इस भाग का कार्य पूरा होते ही कैलाश मानसरोवर यात्रा के नवीनीकृत उत्तराखंड मार्ग से यह यात्रा शुरू हो जाएगी। शिवभक्तों, तीर्थयात्रियों और सैलानियों के लिए ये बिल्कुल नया और अद्भुत मौका होगा।

BRO द्वारा पिछले वर्ष बनाई गई लिपुलेख पास रोड by ANI

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उत्तराखंड कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग पर और क्या-क्या अद्भुत स्थान देखें?

1. ओम पर्वत

कैलाश मानसरोवर यात्रा के भारतीय सीमा के आखिरी पड़ाव नाभि डांग, कालापानी से आप ओम पर्वत के दर्शन कर सकते हैं। सर्दियों की ज़मी बर्फ़ जब पिघलने लगती है तब इस पहाड़ की चोटी पर प्राकृतिक रूप से ओम की आकृति बन जाती है। हिन्दुओं के लिए ये एक बहुत पवित्र स्थान है।

ओम पर्वत

Photo of Om Parvat by Roaming Mayank

2. आदि कैलाश

आदि कैलाश ट्रेक अनुभवी ट्रेडर्स और तीर्थयात्रियों के लिए एक बहुत ही विशेष स्थान रखता है। इस ट्रेक से कई लोग ओम पर्वत की तलहटी तक जाने के लिए 12 दिन का अलग ट्रेक भी करते हैं।

आदि कैलाश

Photo of Adi Kailash by Roaming Mayank

3. धारचूला

पिथौरागढ जिले में पड़ने वाला धारचूला अपने आप में कई नैसर्गिक स्थानों जैसे ओम पर्वत, आदि कैलाश, नारायण आश्रम, काली नदी जोकि भारत और नेपाल की सीमा बनाती है और जौलजीबी।

4. कालापानी

भारत का ये सीमावर्ती हिस्सा जहां से काली नदी निकलती है, पिछले कुछ समय से विवादों में रहा है। भारत का अभिन्न अंग ये स्थान कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग का भारत में अंतिम पड़ाव है और बेहद ही खूबसूरत और विस्मयकारी है।

5. कैलाश मानसरोवर

मानसरोवर

Photo of Mount Kailash by Roaming Mayank

हिंदू और बौद्ध धर्म में इस पर्वत और झील की मान्यता इतनी अधिक है कि सिर्फ शब्दों से उसका वर्णन संभव नहीं। हिन्दुओं के लिए यह भगवान महादेव शिव और माँ पार्वती का निवास स्थान माना जाने के कारण बहुत ही पवित्र स्थल है। वहीं मानसरोवर झील को भगवान विष्णु का क्षीर सागर माना जाता है जहां वह देवी लक्ष्मी के साथ शेषनाग पर विद्यमान होते हैं, इसलिए इसकी भी मान्यता और पवित्रता अद्वितीय है।

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