Lucknow to Kathgodam By Bagh Express ।। Travel Vlog ।। Amit Singh Paliwall

Tripoto
15th Dec 2019
Photo of Lucknow to Kathgodam By Bagh Express ।। Travel Vlog ।। Amit Singh Paliwall by Amit Singh Paliwall

किसी यात्रा को लेकर जो बेहद ज़रुरी होता है- यात्रा का प्लान, वही मैं कभी भी नहीं कर पाता हूँ। हमेशा यही सोचता हूँ कि इस महीने यहाँ जाना है और सोचता ही रह जाता हूँ। इस बार सबकुछ अचानक तय हुआ। छुक- छुक करती ट्रेन से सुबह लगभग दो घंटे की देरी से 11 बजे काठगोदाम पहुँची। काठगोदाम रेलवे स्टेशन की भौगोलिक संरचना बेहद लुभावना है क्योंकि यह स्टेशन पहाड़ी और पठारी दोनों संरचनाओं को जोड़ती है।

मकान, टीले और कचरा के ढ़ेरों के बाद अब ऊँचे पहाड़ दिखने लगे थे, यह सब देखना आँखों को नमी और ठंडक दे रहा था। देखते ही देखते सोहनलाल द्विवेदी जी की एक कविता याद आ गई, जो मैंने बचपन में खूब दौड़-दौड़कर पढ़ी थी - पर्वत कहता शीश उठाकर, तुम भी ऊँचे बन जाओ। सागर कहता है लहराकर, मन में गहराई लाओ। पर्वत जैसा महान और शांत बनना इतना आसान तो नहीं है फिर भी उसके जैसा तटस्थ तो बना ही जा सकता है।

दोनों प्लेटफार्म को जोड़ने वाली रेलवे ओवर ब्रिज से यात्रीगण इधर - उधर भाग रहे थे, बेहद शांत इन पहाड़ों में भी लोग अब रुकना नहीं चाहते हैं, उनकी भी अब इच्छा है कि वह भी मेट्रो शहर के लोगों की तरह एस्केलेटर पर दौड़कर समय बचा सकें। हेलो जी , मेरी एक फोटो खींच देंगे। पीछे मुड़कर देखा तो राजशाही अंदाज में कंबल समेटे एक जनाब दोनों हाथ में बैग लिए खड़े थे।

बिल्कुल, लाइए मोबाइल दिजिए। बहुत बढ़िया, एकदम बेहतरीन फोटो क्लिक किया है आपने । "अरे नहीं सर यह जगह ही बेहतरीन है और आपका तो कोई जवाब ही नहीं " मेरे यह बोलते ही जनाब ठहाका मारकर हँसने लगे। दोपहर के अब यही कोई 12 बज रहे थे , धीरे - धीरे समय और सूरज दोनों ही तेजी से एक छोर से दूसरी छोर की तरफ भागे जा रहे थे।

पहाड़ियों के बीच बादलों की छुअमछुआई देख मजा आ रहा था, वीडियो और फोटो में उसे कैद तो कर लिया पर साक्षात देखने का मज़ा ही कुछ और था। ऊपर सड़क पर ट्रैवल एजेंट यात्रियों को ट्रिप ऑफर कर रहे थे, कुछ लोग भाव-ताव करके जा भी रहे थे। देखते ही देखते स्टेशन एकदम सूनसान पड़ गया, स्टेशन पर एक मालगाड़ी , एक सवारी गाड़ी और महज गिनती के ही कुछ रेलवे सहयोगी दिखाई दे रहे थे। यह स्टेशन पूर्वोत्तर जोन की अन्तिम रेलवे टर्मिनल भी है, जो लगभग समुद्र तल से 520 मीटर की ऊँचाई पर है। मैं अपने इस सफर में अब तक समुद्र तल से 400 मीटर की ऊँचाई पर पहुँच गया था।

दोनों बैग लिए अब मैं रानीबाग- हल्द्वानी मार्ग पर पहुँच गया , तापमान भी अब धीरे - धीरे गिर रहा था। हल्की धूप भी थी, पर गलन में कोई कमी भी नहीं थी। इसी रोड से कुमाऊँ के सभी भागों में बसे जाती हैं,पर हल्द्वानी से बसें बिल्कुल भरी आ रहीं थी।

भूख से हाल अब बेहाल हो रहा था, मोड़ से कुछ दूरी पर ठेले पर पराठा बन रहा था, पास जाने पर पता चला कि गोभी का पराठा भी मिल जाएगा। पराठा खाते वक्त ठेलेवाले ने बताया कि बस के लिए इंतज़ार करना पड़ेगा, दाम सही लगाकर यहाँ से जा रही किसी चार पहिया से निकल जाना ही उचित है।

5 मिनट इंतजार के बाद उसी रोड से भीमताल जाने वाली एक कार मिल गई, रास्ते में तभी..........

- शेष यात्रा दूसरी पोस्ट में

यात्रा वीडियो लिंक - https://youtu.be/xS0tCzy82ZI

नोट - इस यात्रा के सभी मनमोहक दृश्यों को वीडियो के माध्यम से देखने के लिए अभी यूट्यूब चैनल Amit Singh Paliwall पर जाइए और चैनल को सब्सक्राइब कर वीडियो का आनंद लीजिए। आपके फीडबैक का इंतजार रहेगा !

इस यात्रा की खूबसूरत तस्वीरों के लिए आप मेरे इंस्टाग्राम अकाउंट @amit_singh_paliwall को फॉलो कर सकते हैं।

यात्रा दिनांक - 15 दिसंबर 2019

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