वैसे यात्रा मेरी रूटीन सी हो गई है ! पर अभी जयपुर की बात कर रहा हूँ सवाई जयसिंग का बसाया शहर कल्पना से परे कहा जा सकता है , एक ऐसा शहर जहाँ सड़के भीं किले में परावर्तित होते दिखाई देता है छोटे शब्दों में जयपुर का इतिहास बता रहा हूँ ..राजा सवाई जयसिंह जी द्वारा स्थापित इस गुलाबी नगरी की खूबसूरती पूरी दुनिया में मशहूर है। किले, महल और दूसरे कई स्थलों से भरपूर इस नगरी को 1727 में स्थापित किया गया था। दिल्ली से लगभग 267 कि.मी. दूर बसी हुई इस नगरी का इतिहास बारहवीं सदी तक पुराना है। उस समय कछवाह जाती के राजपूतों नेंअरावली की पहाडियों में बसे पुराने अंबर के किले को जीत लिया। इस से पहले यहाँ पर सुसावत मीना लोग रहते थे जो की भारत के सबसे बड़े खजाने के रखवाले थे। इस फ़तह के बाद कछवाह राजपूतों ने मुग़लों के साथ मिल कर एक महान राज्य की स्थापना की। इसी कछवाह राजपूतों के कुल में जन्मे राजा सवाई जयसिंहजी ने जयपुर की स्थापना की।
मै वहां के कुछ स्थानीय लोगों से पूछा , उन्होंने बताया की आमेर फोर्ट को लगभग 2०० साल लगे बनाने में 27 राजाओ के कार्यकाल में बनकर तैयार हुआ आमेर का किला बनने के बाद कुछ ही सालो तक वहां राजपरिवार वहां राज पर पाये फिर फ्लेग की बीमारी फ़ैलाने की वजह से उन्होंने जयपुर की स्थापना की और पूरा राज परिवार और प्रजा वहां आकर रहने लगे !
जब मै आमेर फोर्ट में था तब मै महसूस कर सकता था , वहां की जीवन शैली , महल के अंदर हाथियों का प्रवेश , सैनिक टुकड़ियो का परेड , महेमान कक्ष , दीवाने आम जहाँ लोगो की समस्या सुनी जाती ,झगड़ो का निपटार भी यही की जाती थीं , एक विशाल मैदान जहाँ सभी समाहरो एवं जलसों का कार्यक्रम हुआ करता था !
मै देख सकता था बावली में पानी लेने के लिए उतरती महिलाये , बड़ी बड़ी दीवारों में बने खिड़कियाँ जहाँ से रानी बहार देखा करती थी । उन ऊंचे बने मीनारों से रानियों का फुल बरसना , मैं कल्पनाओं की दरियों में गोता लगाने लगा था ।
कहते है राजा की ११७ रानी थी उन सभी के लिए ऐसा महल तैयार किया गया था जहाँ सभी रानी रहती थी, राजा किस रानी की कमरे में जा रहा है यहाँ किसी को पता नही चल पाता था जिसे भूल भुलाया या शीश महल भी कहते है एक और बात यहाँ एक रानी के कमरे में दुसरे रानी का जाकर बात करना मना था । राजा का विचार था की अकेले में स्त्री चुगली करती है इसलिए एक बड़ा सा आंगन बनवाया गया था, जिसमें सभी रानी हवा लेती एवं बाते करने निकलती थी !
पहाड़ो के तराई में बसा आमेर गाँव कितना सुन्दर दृश्य था बरसात के मौसम में चार चंद लग जाता है इनकी प्रकृतिक सोंदर्य को ........
बाकि यहाँ का खाना लाजवाब , लोगों का आदर, विभिन्न संस्कृति , जन्तर मन्तर , हवा महल , जलमहल , नाहरगढ़ , बिरला मंदिर, अलबर्ट हल इत्यादी !
फिर देख आइये आप भी कभी ......