व्योम विपिन में वसंत सा खिलता नव पल्लवित प्रभात -सुमित्रानंदन पंत

Tripoto
3rd Jul 2019

पर्वत से लघु धूलि.

धूलि सेपर्वत बन ,पल में साकार --

काल चक्र से चढ़ते गिरते,

पल में जलधर,फिर जलधार;

कभी हवा में महल बनाकर,

सेतु बाँधकर कभी अपार ,

हम विलीन हों जाते सहसा

विभव भूति ही से निस्सार ! --सुमित्रानंदन पंत

Day 1
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