हिमालयी अनुभव और साफ़ चंचल नदियों को देखना है तो जाएं उत्तराखंड के मोरी

Tripoto
25th Feb 2021

यमुना को खुद यमुना से ज्यादा जल देकर उसमें मिल जाने वाली साफ़ और इठलाती टोंस नदी के तट पर, हरे और पीले धान के खेतों से घिरा टोंस घाटी का प्रदेशद्वार और एक आश्चर्यजनक सुंदर गाँव है मोरी। घाटी का महत्वपूर्ण हिस्सा होने और हिमाचल-उत्तराखंड की सीमा पर बसे होने से मोरी में एक अद्वितीय हिमालयी संस्कृति और इतिहास का अनुभव आपके सामने होता है। आजकल ये अपने एडवेंचर वाटर स्पोर्ट्स के लिए तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।

MORI

Photo of Uttarakhand by Roaming Mayank

दिल्ली से 12 घंटे(450 किमी) और लखनऊ से दो दिन (950 किमी) की सड़कयात्रा की दूरी पर ये गांव स्थित है। समुद्रतल से 1150 मीटर की ऊंचाई पर, गोविंद नैशनल पार्क के रास्ते में पड़ने वाला यह गांव, उत्तराखंड (गढ़वाल क्षेत्र) के उत्तरकाशी जिले में स्थित है और यात्रियों के दिलों में अपनी सांस्कृतिक विविधता के कारण एक विशेष स्थान रखता है। एशिया का सबसे ऊँचा देवदार जंगल, स्थानीय लोग जो कौरवों और पांडवों के वंशज होने का दावा करते हैं, प्राचीन ऐतिहासिक मंदिर जहां महाभारत के खलनायक दुर्योधन को पूजा जाता है, लुनागाड क्रीक, एक संकरा बीहड़, एक मनमोह लेने वाला छोटा झरना और अन्य कई शानदार नजारों के साथ प्रकृति के सौन्दर्य को जी भरके देखने के लिए इंतजार नहीं इस खुबसूरत सफर की तैयारी कीजिए...

पौराणिक मंदिरों, वास्तुशिल्प और पौराणिक कथाओं से लबरेज़ मोरी की सांस्कृतिक विविधता आकर्षक है। मोरी में लोग मुख्यतः कौरवों के अनुयायी हैं और उन्हें देवता के रूप में मानते हैं। यहाँ के लोग मिट्टी के चिलम, नारियल का हुक्का या बीड़ी पीते हुए मिल जाएंगे। यहाँ की महिलायें चांदी से बने आभूषण पहनने की शौकीन हैं। यहाँ पांडव और कौरव दोनों ही थे पर मोरी के निवासी विशिष्ट रूप से कौरवों के अनुयायी हैं। कुछ लोग पांडवों के वंशज होने का भी दावा करते हैं।

एक किंवदंती के अनुसार अतीत में तमसा कही जाने वाली टोंस नदी का जन्म कौरवों की हार के बाद पांडवों के रोने से निकले आंसुओं से हुआ था। वहीं एक अन्य किंवदन्ती के अनुसार टोंस नदी का जन्म, सुर्पनखा की नाक लक्ष्मण द्वारा काट दिए जाने पर उसकी आंखों से बहे आंसुओं से हुआ था। टोंस यमुना की सबसे बड़ी सहायक नदी है।

यहां के मुख्य आकर्षण और पर्यटन स्थल :

लुनगाड क्रीक: मोरी से 2 किमी की पैदल दूरी पर एशिया के सबसे ऊंचे देवदार के घने जंगलों के बीच से गुजरने वाले रास्ते पर रुककर विलेज हट्स और धान के खेतों को देख सकते हैं।

यहां एक साफ़ नीले पानी का छोटा तालाब और एक छोटा झरना भी है। यह तैराकी का आनंद (सुरक्षा का ध्यान रखते हुए) लेने के लिए एक बढ़िया स्पॉट है।

Photo of Mori by Roaming Mayank

ये खूबसूरत रास्ता आपको मोरी से सांकरी की ओर ले जाता है

बेहद पहाड़ी ग्रामीण क्षेत्र का अनुभव करें।

नेटवार: मोरी से 11 किलोमीटर दूर नेटवार है, जहां रुपिन और सुपिन नामक दो जलधारायें आपस में मिलकर टोंस नदी बहती है। यहीं पर महाभारत के योद्धा कर्ण का एक प्राचीन मंदिर है जिसमे एक आयताकार लकड़ी का ढांचा मुख्य मूर्ति है।

नेटवार के निकट ही ये प्राचीन प्रसिद्ध पोखू देवता मंदिर है।

मोरी में स्थित यह 60MW का प्रोजेक्ट एक महत्वपूर्ण जीवनरेखा है।

मोरी से 20 किलोमीटर दूर ऊपरी टोंस घाटी में स्थित एक छोटा सा गाँव है जहां आपको दुर्योधन का मंदिर मिलेगा।

प्रसिद्ध चकराता के निकट हनोल में न्याय के देवता महासू का मंदिर और गांव देखें।

महासू देवता मंदिर

Photo of Hanol by Roaming Mayank
Photo of Chakrata by Roaming Mayank

इस गांव के यहां के हरे भरे खेत देखना न भूलें।

यहां आपको कुदरत के शानदार नजारे रास्ते से गुज़रते हुए देखने को मिलेंगे।

पुरोला रेंज

Photo of Purola Range by Roaming Mayank

एडवेंचर स्पोर्ट्स :

मोरी को वाटर स्पोर्ट्स के लिए जाना जाता है। मोरी की यात्रा के दौरान टोंस नदी पर व्हाइटवॉटर राफ्टिंग और अविभाजित पहाड़ी इलाकों पर ट्रेकिंग करना एडवेंचर की चाह रखने वालों के लिए ये परफेक्ट ऑप्शन है। यहां कैंपिंग, हाइकिंग, ट्रेकिंग, नेचर वॉक का आनंद लेने के लिए भी लोग आते हैं। रॉक क्लाईबिंग भी यहां की जाती है। टोंस एक प्रबल और तेज गति वाली अभी तक ज्यादा प्रदुषित नहीं हुई नदी है और इसलिए यहां आपको साफ और चंचल पहाड़ी नदी का अनूठा अनुभव मिलेगा।

राफ्टिंग

सर्वोत्तम मौसम: मई/जून और सितंबर/अक्टूबर के बीच

रिवर राफ्टिंग के लिए सबसे अच्छा समय मई-जून है जबकि ग्रीष्मकाल ट्रेकिंग और अन्य गतिविधियों के लिए सही समय है।

ट्रैकिंग

मोरी और उसके आसपास सुंदर केदारकांठा, चकराता, रुइंसारा ताल और हर की दून ट्रेक किए जा सकते हैं। टोंस नदी दून घाटी को हिमाचल प्रदेश से अलग करता है या यूं कहें कि ये नदी ही दोनों राज्यों की सीमा है। यहां स्वर्गारोहिणी की चोटी, कालानाग और बंदरपूंछ को ट्रेक करके देखा जा सकता है। ये गढ़वाल के सबसे कम खोजे जाने वाले भागों में से एक है। सांकरी भी यहां नजदीक का एक कम घुमा गया सुंदर इलाक़ा है। ट्रेकिंग के लिए अच्छा समय अप्रैल से जून, बीच अगस्त से नवंबर।

समय हो तो गोविंद पशु विहार नैशनल पार्क विजिट करें और कुदरत की खूबसूरती और कुदरत की सौगात जंगल के जानवरों को उनके प्राकृतिक माहौल में देखें।

जैसे यहां के माहौल में देवदार की गंध और टोंस नदी के साफ पानी में रोमांच सालभर रहता है ठीक वैसे ही मोरी में सालभर खुशनुमा मौसम रहता है। हरीभरी पहाड़ियाँ, घुमावदार नदी घाटी और चुंबक की तरह अपनी ओर खींचते धान के खेत इसे घूमने के लिए इसे काफी दिलचस्पी जगह बनाते हैं। मॉनसून के दौरान इस नदी पर बहुत सारे झरने बनते हैं जो इसकी खूबसूरती में इजाफा कर देते हैं।

मोरी के परिवेश में ट्रेकिंग की बहुत सारी गतिविधियाँ, पैदल चलने की पगडंडियों को नापना, टोंस नदी पर पिकनिक करना या फिर अपने टेंट को पिच करें और घाटी की ताज़ी हवा का पास के कैंपसाइट पर लुत्फ उठाएं, नदी में तैरें या लुनागाड क्रीक में डुबकी लगाएँ, नेचरवॉक, बर्ड-वॉचिंग का आनंद लें या बस पड़े रहें प्रकृति की गोद में और कुछ न करें। मोरी में घाटी के आसपास की हरी पहाड़ियों में घूमने के लिए बहुत कुछ है।

मोरी एक शांत हिल स्टेशन है जो अनूठी संस्कृति और इतिहास को अतीत की चादर में लपेटे, एकांत और एडवेंचर की चाह रखने वाले यात्रियों के लिए एक बढ़िया पर्यटक आकर्षण और छुट्टियां बिताने की जगह है। ये आपके शरीर, मन और ईच्छा को फिर से जीवंत करने और आराम करने के लिए बहुत ही उम्दा स्थान है।

ये जानकारी और इस जगह के बारे मे कैसा लगा कमेंट करके बतायें और भी कोई ऐसी जगह हो जिसके बारे मे आप जानना चाहते हों तो वो भी कमेंट करें।

जय हिंद!!

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