
चौमासी-खाम-मनणी-केदारनाथ ट्रैकिंग रूट आज भी पर्यटकों की नजरों से ओझल है। पर्यटन और रोजगार की अपार संभावनाओं को समेटे यह प्राचीन ट्रैकिंग रूट प्राकृतिक सौंदर्य से भरा है। चौमासी के ग्राम प्रधान मुलायम सिंह तिंदोरी के नेतृत्व में चौमासी-खाम बुग्याल-मनणी की ट्रैकिंग कर लौटे छह सदस्यीय दल का कहना है कि यह रूट केदारनाथ यात्रा का वैकल्पिक मार्ग भी बन सकता है। कहना है कि यात्राकाल में इस ट्रैकिंग रूट का उपयोग किया जाए तो खाम व मनणी बुग्याल के साथ केदारनाथ यात्रा को भी नई पहचान मिलेगी।
चौमासी के प्रधान मुलायम सिंह तिंदोरी के नेतृत्व में सुभाष सिंह, योगंबर सिंह, अमित सिंह, भूपेंद्र सिंह, सर्वेश सिंह का दल पांच दिन बाद लौटा। उन्होंने बताया कि ऊखीमठ विकासखंड के कालीमठ घाटी के अंतिम गांव चौमासी से शुरू ट्रैकिंग रूट ऐडवेंचर टूरिज्म का प्रमुख केंद्र बन सकता है। 24 किमी लंबे इस प्राचीन रूट पर हरेभरे बुग्यालों के साथ ही रंग-बिरंगे फूलों से लदे मैदान, प्राकृतिक जलस्रोत मौजूद हैं, जो पर्यटन के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह ट्रैकिंग रूट मनणी बुग्याल और केदारनाथ का पहुंच मार्ग भी है, लेकिन शासन, प्रशासन और पर्यटन विभाग ने आज तक इसकी सुध नहीं ली हैं। दल का कहना है कि इस रास्ते पर बारामासी पर्यटन के साथ साहसिक पर्यटन की गतिविधियां भी संचालित की जा सकती है। बताया कि चौमासी से दस किमी आगे खाम बुग्याल है, जहां से दाई तरफ लगभग 8 किमी की दूरी पर मनणा बुग्याल है। यहां कई हेक्टेयर क्षेत्र में फैले खेतनुमा बुग्याल हैं, जो रंग-बिरंगे फूलों से लदे रहते हैं। इस क्षेत्र को देवताओं की वाटिका भी कहा जाता है।
जनपद में प्राचीन ट्रैकिंग रूट को विकसित करने के लिए विभागीय स्तर पर कार्ययोजना तैयार कर वार्षिक कैलेंडर में शामिल किया जा रहा है। चौमासी-खाम-मनणी-केदारनाथ ट्रैकिंग रूट का पर्यटन, ऐडवेंचर एवं यात्रा संचालन के लिए उपयोग हो, इसके लिए जल्द प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा।


























