उत्तराखंड की हिमालयी झीलें , ताल, कुंड और सरोवर...

Tripoto
3rd Jul 2022
Photo of उत्तराखंड की हिमालयी झीलें , ताल, कुंड और सरोवर... by Pankaj Mehta Traveller

       नंदिकुण्ड के बारे में बहुत कम लोगों को पता है। नंदिकुण्ड रुद्रप्रयाग जिले में एक हाई आलटिटूड झील है। इस झील का रास्ता 5250 मीटर पर घिया विनायक पास हो कर जाता है। ये झील द्वितीय केदार मदमहेश्वर और चतुर्थ केदार रुद्रनाथ के बीच में पड़ती है। आप चाहे तो अपना ट्रेक रांसी से शुरू कर के मदमहेश्वर होते हुए नंदिकुण्ड तक कर सकते हैं और रुद्रनाथ होते हुए सगर गाँव में उतर सकते हैं। आप चाहे तो रुद्रनाथ से पंचम केदार कल्पेश्वर भी जा सकते हैं। दूसरा आप ये ट्रेक कल्पेश्वर से शुरू कर के रुद्रनाथ या डुमक होते हुए मदमहेश्वर से होते हुए रांसी में ख़त्म कर सकते हैं।

Photo of Nandikund Tall by Pankaj Mehta Traveller

         हेमकुण्ड झील सिक्ख धर्म के लिए काफी खास है।यहाँ पहले एक मंदिर था जिसका निर्माण भगवान राम के अनुज लक्ष्मण ने करवाया था। सिखों के दसवें गुरु गोबिन्द सिंह ने यहाँ पूजा अर्चना की थी। बाद में इसे गुरूद्वारा घोषित कर दिया गया। इस दर्शनीय तीर्थ में चारों ओर से बर्फ़ की ऊँची चोटियों का प्रतिबिम्ब विशालकाय झील में अत्यन्त मनोरम एवं रोमांच से परिपूर्ण लगता है। इसी झील में हाथी पर्वत और सप्त ऋषि पर्वत श्रृंखलाओं से पानी आता है।ये झील चमोली जिले में आती है। इस झील का रास्ता गोविंदघाट से होते हुए घंघरिया जाता है। घंघरिया से 6 किलोमीटर की खड़ी चढाई के बाद ये मनोरम झील मिलती है।घंघरिया से 3 km पर फूलों की घाटी भी है। इस झील की ऊंचाई करीब 4550 मीटर है।

Photo of Hemkund by Pankaj Mehta Traveller

          रूपकुण्ड  को रहस्यमई झील भी कहा जाता है। ये झील चमोली जिले में है। यहाँ पहुँचने के लिए आपको वान या लोहाजंग से ट्रेक करना पड़ेगा।रूपकुंड झील को “कंकालों की झील” कहा जाता है।यहां इंसानी हड्डियां जहां-तहां बर्फ़ में दबी हुई हैं. साल 1942 में एक ब्रिटिश फॉरेस्ट रेंजर ने गश्त के दौरान इस झील की खोज की थी।इतने सारे कंकालों और हड्डियों को देख ऐसा आभास होता था कि शायद पहले यहां पर जरूर कुछ न कुछ बहुत बुरा हुआ था। शुरुआत में इसे देख कई लोगों ने यह कयास लगाया कि हो न हो यह सभी नर कंकाल जापानी सैनिकों के होंगे, जो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारत में ब्रिटेन पर आक्रमण करने के लिए हिमालय के रास्ते घुसते वक्त मर गए होंगे। इस झील की ऊंचाई करीब 4700  मीटर है।

Photo of Roopkund by Pankaj Mehta Traveller

       ब्रह्मताल ट्रेक की शुरुआत लोहाजंग से होती है। ये झील विंटर में बर्फ से जमी रहती है उस समय यहाँ पर बहुत सारे लोग ट्रेक्किंग के लिए आते हैं। ये ट्रेक विंटर में बहुत ज्यादा खूबसूरत हो जाता है। इस ताल से नंदाघून्टी और त्रिशूल का बहुत ही अद्भुत नजारा दिखाई देता है। ब्रह्मताल की हाइट 3734 मीटर है।

Photo of BrahmaTal Trek by Pankaj Mehta Traveller

        देव ताल को सरस्वती नदी का उदगम स्थल माना जाता है। ये ताल बद्रीनाथ धाम से करीब 50 km आगे माना पास के रास्ते में है। यहाँ तक पूरी रोड जाती है लेकिन यहाँ जाने के लिए आपको स्पेशल परमिशन की जरुरत होगी यहाँ की ऊंचाई  करीब 5420 मीटर है।

Photo of Lake Deo Tal by Pankaj Mehta Traveller

    रुइंसारा झील उत्तरकाशी में स्थित है, यहाँ जाने के लिए आपको संकारी से तालुका जाना पड़ेगा और वहाँ से ट्रेक करते हुए ओसला, सीमा होते हुए यहाँ पंहुचा जा सकता है। ये झील बहुत ज्यादा खूबसूरत है। इसकी ऊंचाई करीब  3550 मीटर है।

Photo of Ruinsara Lake by Pankaj Mehta Traveller

        ये झील चमोली जिले में है, यहाँ जाने का रास्ता विष्णुप्रयाग या फिर गोविंदघाट से शुरू होता है। इस झील का ट्रेक बेहद ही ख़तरनाक है। यहाँ तक बहुत ही कम लोग पहुँच पाते हैं। यहाँ से हाथी घोड़ी पर्वत का बहुत सुन्दर नजारा देखने को मिलता है। इसकी हाइट करीब  4800 मीटर है।

Photo of Kagbhusandi lake by Pankaj Mehta Traveller

      सहस्त्र ताल सात तालो का समूह है जो की उत्तरकाशी और टिहरी जिले के बॉडर पर हैं। ये खतलिंग भमक के पश्चिमी छोर पर करीब 4287 मीटर की ऊंचाई पर है। यहाँ का ट्रेक बूढा केदार से शुरू होता है। इन झीलों को " the lake of gods "बोला जाता है।

Photo of Sahastra Tal Trek Uttarakhand by Pankaj Mehta Traveller

      केदारताल बहुत ही सुन्दर झील है इसका ट्रेक गंगोत्री से शुरू होता है। केदारताल हिमालय के सुंदरतम स्थलों में से एक है। यह मध्य हिमालय के गढ़वाल क्षेत्र में स्थित है इसमें जोगिन शिखर पर्वत श्रृंखला के ग्लेशियरों का पवित्र जल है यह समुद्र तल से 5000  मीटर  ऊंचाई पर स्थित है। इसके पास ही मृगुपंथ और थलयसागर पर्वत हैं। केदारताल से केदारगंगा निकलती है जो भागीरथी की एक सहायक नदी है।

Photo of Kedartal by Pankaj Mehta Traveller

         ये ट्रेक माना गाँव से शुरू होता है। झील की हाइट 4600 मीटर है।सतोपंथ हिमालय की गोद में स्थित उत्तराखंड की लोकप्रिय झीलों की सूची में एक और है और हिंदुओं के लिए धार्मिक महत्व रखता है।  किंवदंती कहती है कि यह वह स्थान था जहां भीम को स्वर्ग में प्रवेश से वंचित कर दिया गया था।  इसके अलावा सतोपंथ स्वर्गारोहिणी शिखर रूप तक फैला हुआ है जहाँ युधिष्ठिर और उनके साथ आए कुत्ते को स्वर्ग में प्रवेश करने के लिए माना जाता है।

      एकांत परिवेश के साथ इस उत्तराखंड झील की पगडंडी बिल्कुल लुभावनी है।  विश्राम गृह या आस-पास के गाँव ढूंढना कठिन है, इसलिए सितारों के नीचे डेरा डालना ही एकमात्र विकल्प है।

Photo of Satopanth Lake by Pankaj Mehta Traveller

        वासुकी ताल को ले कर बहुत सारे लोगों को संसय है। आज संसय दूर करता हूँ। वासुकी ताल 2 अलग अलग ताल हैं। एरियल डिस्टेंस देखा जाय तो दोनों की ज्यादा नहीं है। एक वासुकी ताल केदारनाथ के ठीक ऊपर है और दूसरी तपोवन, नन्दनवन के आगे जो सतोपंत पर्वत का बेस कैंप भी है। दोनों की हाइट 4200 मीटर से ऊपर है।

Photo of Vasuki Tal by Pankaj Mehta Traveller

सप्तऋषि कुंड -

      सप्तऋषि कुंड यमुनोत्री नदी का उदगम स्थल है।4421 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, सप्तऋषि कुंड एक उच्च ऊंचाई वाली झील है और यमुना नदी का मूल स्रोत है।  बंदरपुछ पर्वत द्वारा बनाई गई पर्वत श्रृंखला के ऊपरी हिस्सों में स्थित चंपासर ग्लेशियर द्वारा झील को बनाया जाता है। ये यमुनोत्री के ऊपर 12 km ट्रेक के बाद मिलता है।

Photo of उत्तराखंड की हिमालयी झीलें , ताल, कुंड और सरोवर... by Pankaj Mehta Traveller