*सैलानियों के स्वागत में खड़ा है नर्मदा नदी में नवनिर्मित सैलानी टापू*
यूं तो मध्यप्रदेश पर्यटकों के लिए स्वर्ग के समान है । पहाड़ , जंगल व जलाशय यंहा की खासियत हैं तो धर्मिक स्थल विश्वप्रसिद्ध है ।यहां पचमढ़ी जैसा हिल स्टेशन है जिसकी धूपगढ़ चोटी से सूर्योदय व सूर्यास्त निहारा जा सकता है । वहीं दूसरी ओर पेंच व कान्हा किसली जैसे टाइगर रिजर्व पर्यटकों का मन मोह लेते है । धार्मिक पर्यटन स्थल उज्जैन के महाकालेश्वर व ओंकारेश्वर द्वादश ज्योतिर्लिंग में शामिल है जो देश भर के पर्यटकों के तीर्थ स्थल बन चुके हैं ।। भीमबेटका व सांची प्राचीन धरोहरों में शामिल है ।
मध्य प्रदेश अब कुछ नए पर्यटन स्थलों को विकसित कर एक नया अध्याय लिख रहा है । इसमे वाटर स्पोर्ट के लिए हनुवंतिया और शांत व रमणीय स्थानों में सैलानी टापू शामिल हैं ।
नर्मदा नदी पर बने ओंकारेश्वर डैम के बैक वाटर में एक छोटा सा टापू निकल आया है जिसे प्रदेश सरकार के पर्यटन विकास निगम ने सैलानी टापू के नाम से विकसित किया है।
यह टापू शांति निर्जन स्थान पर घने जंगलों के बीच स्थित है। खरगोन जिले की बड़वाह तहसील मुख्यालय से कच्चे रास्तों के माध्यम से जंगलों में घुसकर लगभग 15 से 20 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद सैलानी टापू पर जाने के लिए जेटटी आती है । जहां से बोट के जरिए टापू तक जाया जा सकता है।
हम लोगों ने यहां जाने के पहले सैलानी टापू के बारे में नहीं सुना था । सहकर्मी चार मित्रों के साथ ओमकारेश्वर की यात्रा करने का विचार था किंतु जैसे ही बड़वाह की ओर आगे बढ़े बड़वाह से पहले बाईं और सैलानी टापू का साइन बोर्ड देखा तो लगा यहां जाना चाहिए और अकस्मात गाड़ी मोड़ दी । वन विभाग के कच्चे रास्तों से होकर धीरे-धीरे जंगलों में आगे बढ़ने लगे । दोपहर 1 बजे का वक्त था और महीना अक्टूबर का था। करीब पेंतालिस मिनिट की यात्रा के बाद हमने नर्मदा नदी के किनारे गाड़ी पार्क की । आगे बढ़े सामने 3 - 4 बोट जेट्टी के आसपास सैलानियों को ले जाने के लिए खड़ी थी । टिकट कटवाया और बोट में बैठ गए ।नर्मदा का हिलोरें लेता पानी अथाह गहराई लिए हुए था । हमारी बोट तेजी से आगे बढ़ती हुई टापू की ओर जा रही थी । जेटटी से टापू की दूरी 700 मीटर होना चाहिए चालक ने हमें नर्मदा की विपुल जल राशि के दर्शन कराते हुए टापू पर जाने के लिए घाट पर ले जाकर छोड़ दिया । घाट से ऊपर सीढ़ियां चढ़कर हम पहाड़ी पर पहुंचे । सामने सागवान का जंगल और जंगल के बीच पर्यटन विकास निगम का बना हुआ होटल। इसमें रहने के लिए कमरे व रेस्टोरेंट था । बैठक के लिए कुर्सियां लगी हुई थी । हमने जाकर पूरा नजारा आंखों मे कैद किया । चाय नाश्ता कर जंगल में कुछ दूर पैदल गए । अत्यधिक आनंद की अनुभूति हुई । सैलानियों के लिए यहां पर स्कूटर रखे हुए थे । जिनके माध्यम से वे जंगल की सैर कर सकते हैं । हालांकि जंगलों में किसी तरह कोई वन्य प्राणी नहीं है। किंतु हरियाली व प्राकृतिक वातावरण के बीच रहने का आनंद कुछ और है । हम यहां पर होटल की प्री बुकिंग करा कर नहीं आये थे इस कारण से हमें होटल में रूम नहीं मिला । फिर भी यंहा सुकूनभरे 4 घंटे बिताकर ओंकारेश्वर के लिए निकल पड़े । मन में यह विचार लेकर आए प्री बुकिंग करा कर फिर आएंगे । सुबह जल्दी उठकर पेड़ो से बतियाएंगे और निर्जन वन में पक्षियों का कलरव सुनेंगे । यहां रुकने घूमने का आनंद उठाएंगे।
सैलानी टापू जाने के लिए सबसे अच्छा समय सेप्टेम्बर से मार्च तक का है ।इस बीच कभी भी आ सकते हैं । जो लोग शांत स्थान पर रहने वह प्रकृति से भरे वातावरण के बीच रहने के इच्छुक हैं वे यंहा एक बार अवश्य आयें । यहां प्रकृति से साक्षात्कार तो होगा ही पर्यटन विकास निगम की होटल का लजीज भोजन भी आपके आनंद को और बढ़ा देगा ।यात्रियों को एक बात का जरूर ध्यान रखना होगा कि प्री बुकिंग करवा कर ही सैलानी टापू जाएं अन्यथा वहां रहने के लिए तुरंत कोई कमरा उपलब्ध नहीं हो पाता है। बुकिंग मेक माय ट्रिप जैसी ट्रेवल साइट पर उपलब्ध है।
* हरिशंकर शर्मा
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