वैली ऑफ फ्लावर्स - फूलों का खजाना

Tripoto
Photo of वैली ऑफ फ्लावर्स - फूलों का खजाना by krishna kumar

हैलो दोस्तों, आप सभी का स्वागत है आज हम आपको बताने वाले हैं उत्तराखंड में स्थित एक ऐसे नेशनल पार्क में जो जानवरो के लिये फेमस न होकर अपने फूलों के लिये जाना जाता है । हां दोस्तों आप बिल्कुल सही हैं आज हम आपको बताने वाले हैं फूलों की घाटी के बारे में जो कि उत्तराखंड के गढ़वाल में स्थित है और यूनेस्को द्वारा सन् 1982 में घोषित विश्व धरोहर स्थल नन्दा देवी अभयारण्य नन्दा देवी राष्ट्रीय उद्यान का एक पार्ट है । दोस्तों आप यहां कैसे आये, कहां रुके, यात्रा में कुल कितना खर्च आता है साथ ही यहां पर पहुंचने के लिये घांघरिया बेस कैम्प कैसे पहुचेंगे व घांघरिया से कितना ट्रेक करना पड़ेगा व और भी बहुत कुछ । बस आप हमारे साथ बने रहे और देखें हमारा यह छोटा सा पूरा विडियो ।

दोस्तों उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित फूलों की घाटी पर्यटकों के लिए 1 जून, 2022 से खोल दी जाएगी । समुद्र तल से लगभग 3,600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस विश्व प्रसिद्ध घाटी में आपको दुर्लभ एवं आकर्षक फूलों की 600 से अधिक प्रजातियां देखने को मिलेंगी । यह घाटी ट्रैकिंग में रुचि रखने वालों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है । नैसर्गिक सुंदरता को देखने के लिये आप भी यहां पर जरुर आएं ।

चलिये दोस्तों सबसे पहले बात करते हैं कि घाटी को एक्सप्लोर करने के लिये कौन सा सीजन बेस्ट रहेगा ।- दोस्तों अगर आपको फूलों को फुल ब्लूम पर व कहे घाटी को बिल्कुल फूलों से भरा हुआ देखना चाहते हैं तो जुलाई से सिम्बर तक का समय बेस्ट है ।

Photo of वैली ऑफ फ्लावर्स - फूलों का खजाना by krishna kumar

चलिये दोस्तों अब बात करते हैं कि आप यहां कैसे पहुंच सकते हैं –

चलिये सबसे पहले बात करते हैं ट्रेन की- तो यहां आने के लिये आप उत्तराखण्ड में स्थित हरिद्वार, ऋषिकेश, या देहरादून रेलवे स्टेशन में से किसी भी रेलवे स्टेशन पहुंच सकते हैं । लेकिन भारत के सभी प्रदेशों से ज्यातर ट्रेनें देहरादून या हरिद्वार ही आती हैं । आपको बता दें कि फ्लावर्स ऑफ वैली पहुंचने के लिये इन तीनों ही स्टेशन से आपको वाया रोड टैक्सी या बस से उत्तराखण्ड के गोविन्दघाट पहुंचना होगा, जोकि बद्रीनाथ धाम से 25 कि0मी0 पहले ही है । दोस्तों बसों व टैक्सी के बारे में हम आपको आगे विस्तार से बताने वाले हैं ।

दोस्तों अगर बात करें दूरी कि तो देहरादून रेलवे स्टेशन से गोविन्द घाट की दूरी 303 कि0मी0 है, हरिद्वार रेलवे स्टेशन से गोविन्द घाट की दूरी 290 कि0मी0 है, जबकि ऋषिकेश से गोविन्द घाट की दूरी सबसे कम 268 कि0मी0 है ।

दोस्तों यदि बात करें हवाई मार्ग की तो-

फूलों की घाटी पहुंचने के लिये जो नजदीकी हवाई अड्डा है, वो है ज़ॉली ग्राण्ट एयर पोर्ट, जो कि देहरादून में स्थित है । यहां पहुंचकर भी आपको वाया रोड टैक्सी या बस से ही उत्तराखण्ड के गोविन्दघाट पहुंचना होगा ।

और अगर आप अपने निजी वाहन से आ रहे हैं तो भी आपको हरिद्वार, ऋषिकेश होते हुये गोविन्दघाट ही पहुंचना होगा । दोस्तों गोविन्दघाट से आगे का सफर आप निजी वाहन से नहीं कर सकते । गोविन्दघाट में आपको गाड़ी पार्क करने के लिये बहुत ही बड़ी पर्किंग की व्यवस्था है । गोविन्दघाट से आगे आपको यूनियन की शेयरिंग टैक्सी द्वारा पूलना गांव तक जाना होगा, जो कि 04 कि0मी0 दूर है । जिसका किराया 50 रुपये प्रतिव्यक्ति पड़ता है । व पूरी टैक्सी का लगभग 400 रुपये लगता है । उसके आगे आपको ट्रेक करके घांघरिया बेस कैम्प तक जाना होता है ।

अब बात करते हैं हरिद्वार, ऋषिकेश, देहरादून रेलवे स्टेशन या एयरपोर्ट पहुंच आप आगे का सफर कैसे करेंगे ।

दोस्तों बात करें बसों की तो आपको बसे हरिद्वार रेलवे से बाहर निकलते ही सरकारी बस स्टैण्ड की ओर बढ़ने पर सरकारी बस अड्डे से मात्र 100 मी0 आगे दाहिने ओर से बसे मिल जायेगीं । यह दोस्तों यह बसें सुबह 04 बजे से 07 बजे के बीच मिलती हैं । मेरी राय में आप सुबह जल्दी ही 04 से 05 के बीच वाली बस पकड़कर निकल लें क्योंकि यह सफर करीब 9 से 10 घण्टे का होता है और जल्दी गोविन्दघाट पहुंचकर आप आसानी से रुम वगैरह, लेकर आराम कर सकते हैं, क्योंकि अगले दिन भी आपको सुबह जल्दी ही गोविन्दघाट से पूलना व फिर वहां से ट्रेकिंग के लिये निकलना होता है । दोस्तों बस टिकट आप बस के कण्डेक्टर से या किसी ट्रैवेल एजेन्सी या खुद भी ऑनलाइन बुक कर सकते हैं । जिसका किराया 500 से 650 रुपये के आसपास होता है । आनलाइन टिकट बुक करने पर आपको कुछ महंगा पड़ सकता है । लेकिन आप मनचाही सीट बुक कर सकते हैं व पीक सीजन की भीड़भाड़ में जा रहे हैं तो मेरी राय में आप ऑनलाइन ही टिकट करा लें । और इस वर्ष तो कोरोना की भी समस्या नहीं है तो यात्रियों की संख्या भी ज्यादा होने वाली है । दोस्तों आपको यही बसें यहां से चलकर ऋषिकेश से मिलती हैं । इसके अलावा ऋषिकेश बस स्टैण्ड से भी उत्तराखण्ड परिवहन की भी बस सुबह 05 के आसपास गोविन्दघाट होते हुये बद्रीनाथ जाती है ।

आपको बता दें इसी स्थान से आपको केदारनाथ व अन्य धामों के लिये भी सीधी बसे मिलती हैं ।

चलिये अब टैक्सी की बात करते हैं । दोस्तों शेयरिंग टैक्सी का हरिद्वार से गोविन्दघाट तक का किराया लगभग 800 रुपये प्रतिव्यक्ति लगता है । और यहां ज्यातर आपको शेयरिंग टैक्सी में टाटा सूमो मिलेगी । आप प्राइवेट टैक्सी भी बुक कर जा सकते हैं ।

चलिये दोस्तों अब बात करते हैं कि आप कहां ठहरेगें ।

दोस्तों आप यदि सुबह हरिद्वार या ऋषिकेश से निकलते हैं तो देर शाम ही गोविन्द घाट पहुंच पायेगें व इससे आगे का सफर आप रात में नहीं कर सकते हैं । इसलिये आप चाहे तो गोविन्दघाट से 20 कि0मी0 पहले जोशीमठ में भी रुक सकतेहैं या तो आप गोविन्दघाट में ही रुकें । दोस्तों इन दोनों ही जगहों को आप होमस्टे व होटल मिल जायेगें । जिनके लिये आपको 800 से 1200 रुपये तक खर्च करने पड़ सकते हैं ।

Photo of Govind Ghat, Chamoli by krishna kumar

दोस्तों यदि आप बद्रीनाथ धाम के दर्शन के बाद फ्लावर्स वैली जा रहे हैं तो आपको बता दें, बद्रीनाथ धाम से भी आप सुबह ही गोविन्द घाट के लिये निकल आयें । बद्रीनाथ धाम से सुबह में आपको बस भी मिल जायेगी । यदि नहीं मिलती हैतो आपको वहां से टैक्सी लगभग 500 रुपये में मिल जायेगी ।

दोस्तों आपको बता दें कि – गोविन्दघाट से जब आप पूलना के लिये जाते हैं तो आपको गोविन्द घाट में अपनी डिटेल भी नोट करानी होती है और यहां से आगे आप दोपहर 02 बजे के बाद नहीं जा पायेगें । तो थोड़ा समय का ध्यान रखें ।

चलिये दोस्तों अब बात करते हैं गोविन्द घाट से अपने आगे के सफर कि दोस्तों गोविन्द घाट से आपको जाना होगा पूलना जोकि 04 किमी0 दूर है, यहां के लिये आपको शेयरिंग टैक्सी मिल जायेगी । जिसका किराया लगभग 50 रुपये प्रतिव्यक्ति लगता है । इसके आगे शुरु होता आपका ट्रेक । दोस्तों पूलना में ही आपका घोड़ा व पोर्ट स्टैण्ड जहां से आप घोड़ा ले सकते हैं । जिसके लिये आपको लगभग 2000 रुपये प्रति घोड़ के हिसाब से खर्च करने पड़ सकते हैं । दोस्तों पूलना से घांघरिया बेस कैम्प तक का ट्रेक करीब 11 किमी0 का है । जो कि प्राकृतिक रुप से बहुत ही सुन्दर है व ट्रेक दौरान आपको रास्ते कई गांव मिलेगें । दोस्तों यहीं यदि आप श्री हेमकुण्ड साहिब जाना चाहते हैं तो भी आपको घांघरिया ही पहुंचना होता है। दोस्तों लगभग सभी लोग घांघरिया मे 02 दिनों तक ठहर कर दोनों ही जगहों फ्लावर्स वैली व श्री हेमकुण्ड साहिब की यात्रा करते हैं ।

दोस्तों बस थोड़ा इंतजार करें श्री हेमकुण्ड साहिब की यात्रा का डिटेल वीडियो इसके बाद आयेगा ।

दोसतों अगर पूलना से घांघरिया तक के ट्रेक की बात करें तो यह Easy to moderate है । इस ट्रेक को करने में आपको करीब 05 से 06 घंटे लग सकते हैं । दोस्तों यह ट्रेक बिल्कुल घने जंगलो से होता हुआ कई गावों व नदियों को पार करते हुये घांघरिया पहुंचता है । रास्तें में आपको चाय नाश्ते की दुकाने पूरे ट्रेक पर मिल जायेगी । लेकिन आप किसी तरह रात होने से पहले घांघरिया पहुंचने की कोशिश करें । क्योंकि इस ट्रेक पर रात्रि में भालुओं का खतरा रहता है । इसलिये ट्रेकिंग दौरान अंधेरा हो जाये तो ग्रुप में चलें ।

दोस्तो घांघरिया स्टे की बात करें तो यहां होटल आपको लगभग 1000 रुपये से 2000 रुपये तक में मिल जायेगें । इसके अलावा आप यहां फ्री में भी रुक सकते हैं । दोस्तों घांघरिया में एक गुरुद्वारा है जहां रुम मिलते हैं, जिसके लिये कोई भी चार्ज नहीं लिया जाता है । और गुरुद्वार में आपको लंगर भी मिलता है । दोस्तो घांघरिया में होटल आपको पीक सीजन कुछ मंहगे मिलेगें लेकिन यदि आप आखिर में सितम्बर या अक्टूबर में आते हैं तो यहां आपको होटल आधे से भी कम दामों में मिल जायेगें । और तब भीड़ भी कम हो जाती है । हमने 2021 में यहां पर एक रुम जिसमें 05 लोग आराम से रुक सकते थे और 05 लोग भी थे मात्र 900 रुपये में लिया था । लेकिन जैसा आपको बताया वैली में फूलों को पूरे सबाब पर देखना हो तो लास्ट जुलाई से अगस्त व सिम्तबर में आयें ।

Photo of वैली ऑफ फ्लावर्स - फूलों का खजाना by krishna kumar

दोस्तों अब आते हैं इस यात्रा के सबसे रोमांचक व खूबसूरत पार्ट पर दोस्तों रात में घांघरिया में होटल लेकर आराम वगैरह करने के बाद मेरी राय में आपको अगले दिन सुबह जल्दी उठकर किसी भी हालत में 06 बजे तक फ्लावर्स वैली के ट्रेक के लिये निकल जाना चाहिये । क्योंकि फ्लावर्स वैली के अन्दर आप रुक नहीं सकते हैं आपको किसी भी हालत में शाम 05 बजे तक वापस आना होता है । और सबसे जरुरी बात आपको बता दें कि फ्लावर्स वैली मे एण्ट्री के लिये आपको 150 रुपये का टिकट लेना पड़ेगा व दूसरे देश के नागरिकों को 600 रुपये का टिकट लेना होता है । आपको बता दें घांघरिया से फ्लावर्स वैली का ट्रेक करीब 03 से 04 किमी का पड़ता है । और उसके बाद करीब 03 किमी तक आप वैली के अन्दर जा सकते हैं । दोस्तों आप अपने होटल से ही पराठा वगैरह रास्ते के लिये पैक कराकर ले जायें क्योंकि वैली के अन्दर आपको कोई भी शॉप नहीं मिलेगी । और हां जो भी समान ले जा रहें हैं उन्हें वापस जरुर लायें, कोई भी सिंगल रैपर वैली में न फेंके ।

Photo of वैली ऑफ फ्लावर्स - फूलों का खजाना by krishna kumar

दोस्तों ट्रेक बहुत ही ज्यादा सुन्दर बिल्कुल अन्टज्ड सा । बहुत ही ज्यादा नैचुरल और ऊपर से इसके अद्भुत फूल । दोस्तों आप जैसे ही टिकट लेकर वैली के लिये आगे बढ़ते हैं आपको लक्ष्मण गंगा बहती हुई दिख जायेगी । जोकि अपने आप में अद्भुत नजारा है । यहां से पुल पार करने के बाद आपको करीब अच्छा खासा ट्रेक करना पड़ता है । जोकि काफी टफ भी है । लेकिन फूलों की चाहत हमें आगे बढ़ने में मदद करती है । यकीन मानिये फ्लावर्स वैली के नजारे बिल्कुल ही अद्भुत व रोमांचक हैं। हमने तो 2021 में वैली को अच्छे से एक्सप्लोर किया था । यहां पहाड़ों पर से बहते झरनों को पार करने के लिये लकड़ी व टिन से बने कई पुल मिलेगें । जिनको पार करते वक्त आपको रोमांच व डर दोनों का एहसास होगा । इसलिये कहा था आप सुबह जल्दी ही घांघरिया से निकले जिससे कि आप अच्छे से वैली को एक्सप्लोर कर पायें । दोस्तों इस घाटी का पता सबसे पहले ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक एस स्मिथ और उनके साथी आर एल होल्डसवर्थ ने लगाया था, जो कि 1931 में अपने कामेट पर्वत के अभियान से लौट रहे थे और रास्ता भटक कर यहां पहुंच गये । इसकी बेइंतहा खूबसूरती से प्रभावित होकर स्मिथ 1937 में इस घाटी में वापस आये और, 1938 में “वैली ऑफ फ्लॉवर्स” नाम से एक किताब प्रकाशित करवायी। हिमाच्छादित पर्वतों से घिरा हुआ और फूलों की 500 से अधिक प्रजातियों से सजा हुआ यह क्षेत्र बागवानी विशेषज्ञों या फूल प्रेमियों के लिए एक विश्व प्रसिद्ध स्थल बन गया ।

Photo of वैली ऑफ फ्लावर्स - फूलों का खजाना by krishna kumar

दोस्तों वर्ष 1939 में रॉयल बोटेनिक गार्डन केयू द्वारा नियुक्त एक वनस्पति विद जोन मार्गरेट लीज को इस घाटी के फूलों का अध्ययन करने के लिए वहां भेजा गया था। लेकिन रास्ते में कुछ चट्टानी ढलानों से फूल इकट्ठा करते समय वह फिसल गई और उनकी वहीं मृत्यु हो गई थी। बाद में उनकी बहन ने उस घाटी का दौरा किया और वहां एक स्मारक बनवाया। यह स्मारक आज भी मौजूद है जिसको देखने के लिये आपको वैली में करीब 03 किमी0 तक अन्दर जाना होगा ।

Photo of वैली ऑफ फ्लावर्स - फूलों का खजाना by krishna kumar

दोस्तों इस घाटी की खास बात यह है कि फूलों की घाटी हर 2 सप्ताह में अपना रंग भी बदलती है। कभी लाल तो कभी पीले फूलों के खिलने से घाटी में प्रकृति रंग बदल कर पर्यटकों को आकर्षित करती है ।

दोस्तों इसके अच्छे से एक्सप्लोर करके आप 02 बजे तक घाटी जहां भी पहुंचे हों आपको वापस घांघरिया के लिये निकल लेना चाहिये । ऐसा टिकट लेते वक्त रेंजर्स द्वारा भी गाइड किया जाता है ।

और सबसे जरुरी बात आप जो भी साथ सामान ले जारहे हों वो वापस लेकर जरुर आयें, वहां बिल्कुल भी कूड़ा करकट न फैलायें । जिससे ये हमारी प्राकृतिक धरोहर हमारी आगे आनी वाली पीढ़ियों के लिये ऐसे ही फूलों से सजी रहे ।

चलिये दोस्तों इसी के साथ मेरा यह वीडियो समाप्त होता है । और यदि यात्रा के सम्बन्द अन्य कोई जानकारी चाहते हैं तो आप कमेंट कर या मेरे इंस्टाग्राम अकाउंट @imtravelfoots पर भी जाकर मैसेज कर जानकारी ले सकते हैं ।

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जय हिन्द जय भारत

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