
आइये, आपको मिलवाते है एक ऐसे युवा से जिसने पूरा एक साल अपनी वैन में सारा भारत घूमते हुए बिताया। इनका नाम है रवि संगनामैना Ravi Sangnamaina जो हैदराबाद, तैलांगना के रहने वाले है और इनकी इको वैन का नाम है बेला। करीब 24-25 साल के रवि ने दिसंबर 2023 में सम्पूर्ण भारत का सफ़र अपनी वैन में रहकर घूमने का सोचा और तैयारी शुरू की। उन्होंने मारुती ecco गाड़ी को मॉडिफाई करवाकर अपनी caravan "बेला" को तैयार किया जिसमें बिस्तर, गैस टंकी, पानी की टंकी, छोटा किचन, सोलर रूफ टॉप, शावर, चार्जिंग पॉइंट आदि लगवाए। ये सब करने में उन्हें करीब 10 लाख का खर्च आया।
1 जनवरी 2024 से 31 दिसंबर 2025 तक उन्होंने पूरे भारत के लगभग सभी राज्य अपनी वैन से घूम लिये। वैन में रहते, सोते, खाते, काम करते हुए पूरे 365 दिन वैन में बिताये। उनके यूट्यूब चैनल, इंस्टाग्राम और फेसबुक को फॉलो करते हुए ये सब जानकारी मिली। रवि ने अपनी इस यात्रा के हर दिन के वीडियो बनाये और उन्हें अलग अलग प्लेटफार्म पर डाला। इन वीडियो में वो अपने ऑडियंस से अलग अलग सवाल भी करते थे जैसे - आज मैं अपनी वैन के किचन में क्या बनाऊं? तो लोगों के कमेंट के अनुसार वो बनाकर उसका वीडियो भी अपलोड करते थे। इसी तरह उनके followers भी उनसे सवाल करते थे जिसका उत्तर वो अपने वीडियो से देते थे। जैसे आपको इस यात्रा में कितना खर्च आया?, कहाँ सोते थे?, अपनी यात्रा का खर्च कैसे निकालते थे? टॉयलेट या शावर के लिये क्या करते थे? कौन से गेजेट उपयोग करते हो? आदि।
कुछ बातें जो मुझे उनके चैनल को देखकर पता चली वो ये कि इस एक साल कि यात्रा में उनको करीब 4.80 लाख का खर्च आया और करीब 10 से 12 लाख में वैन तैयार हुई। हर महीने उन्होंने करीब 40 से 50 हजार रुपये गाड़ी के पेट्रोल, गैस, किराणा, नेट, मेंटेनेंस, साफ सफाई आदि पर खर्च किये। लेकिन एक सवाल अब भी बचा रह जाता है कि बिना कमाई किये कैसे मैनेज किया ये सब?
इसका भी जवाब उन्होंने खुद दिया कि मैंने पार्ट टाइम काम किया अपने वीडियोस को अलग अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर डाला, अनेक ब्रांड्स जैसे hotel, resorts, रेस्टोटेंट, वाशिंग सेंटर, ट्रेवल एजेंसी आदि से टाई अप किया और ब्रांड endorsement करके अपनी यात्रा का खर्च निकाला। जैसे उनके वीडियो के अनुसार पहले महीने उनकी इनकम शून्य थी, दूसरे महीने करीब 25 हजार कमाए फिर 40, फिर 60 और आखिरी महीने करीब 1.50 लाख रुपये कमाए। जिससे वो अपनी इस यात्रा को मैनेज कर पाए।
कमाई को छोड़ भी दिया जाये तो रवि ने इस कम उम्र में जो कमाया है वो है अकेले सफ़र करने का आत्मविश्वास, अनजानी जगह और लोगों से बात करने का तरीका, सम्पूर्ण भारत का दौरा, अलग अलग संस्कृति, खान पान, रहन सहन को जानने समझने का मौका और बहुत बड़ा अनुभव। इस अनुभव को पाने में लोगों की जिंदगीयां गुजर जाती है।
इस तरह की यात्रा करना मेरा भी सपना है, आशा है जल्दी ही पूरा होगा। टुकड़े टुकड़े में तो देश की बहुत सारी जगह घूम ली है लेकिन अब भी बहुत सा हिस्सा बाकि है देश को जो देखना और समझना है। अपने देश में पेरेंट्स ओवर प्रोटीक्टिव होते है और बच्चों को ऐसे एडवेंचर करने की छूट बिलकुल नहीं देते जिससे कई बार बच्चों की नैसर्गिक प्रतिभा दब कर रह जाती है। वो आत्मविश्वास नहीं आ पाता जिससे वो अपनी लड़ाई खुद लड़ सके। पंकज त्रिपाठी ने भी एक इंटरव्यू में कहा था कि बच्चा जैसे ही 12 वीं पास कर ले उसको कुछ पैसे देकर देश में अकेले घूमने भेज दो। अकेले घूमकर और संघर्षो से निकल कर वो जो आत्मविश्वास पायेगा वो दुनिया का कोई मोटिवेशनल गुरु उसको नहीं दे पायेगा।
मैं रवि के माता पिता को धन्यवाद देना चाहता हुँ कि उन्होंने अपने बेटे को इस रोमांचक यात्रा के लिये रोका नहीं बल्कि उत्साहवर्धन किया। साल के आखिरी वीडियो में घर वापसी में उनके माता पिता जिस प्रकार से मिलते है और इसको सेलिब्रेट करते है वो आनंददायक है। अब रवि अपनी पहली इंटरनेशनल ट्रिप पर नेपाल निकल गए है अपनी बेला के साथ। Vanlife with ravi को बहुत शुभकामनायें एवं बधाई।
VanlifewithRavi All the Best for your International Trip. 💐💐👍🏻👍🏻
- Kapil Kumar
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