शिमला से करीब 200 किमी दूर पड़ता हैं एक छोटा सा गाँव जहाँ कि स्पीति सर्किट के दौरान लगभग हर यात्री एक रात तो रुकता ही हैं।इस जगह की सबसे अच्छी बात यह हैं कि यहाँ हैं एक अलग ही सुकून। क्योंकि ना यहाँ मॉल रोड वाली भीड़ मिलेगी ,ना व्यस्त चौराहे ,ना कोई गाड़ियों या हॉर्न की आवाज़। हाँ , भीड़ यहाँ मिलेगी एप्पल के बगीचों की ,आवाज़ मिलेगी पक्षियों की चहचहाहट की और व्यस्त मिलेंगे गाँव के लोग वो भी खेतों को संभालने में।एक और चीज ,यहाँ आप जहाँ भी रुकोगे ,वही से दूसरी ओर शानदार ग्लेशियर और निचे पूरी घाटी नजर आएगी।
समुद्रतल से लगभग 2850 मीटर की ऊंचाई पर बसा यह गाँव हैं -कल्पा।किन्नौर जिले में पड़ता 'कल्पा' ,शिमला से करीब 220 किमी दूर स्थित हैं। स्पीति सर्किट करने वाले यात्री यही पर एक रात रुक कर आगे नारकंडा ,कुफरी होते हुए शिमला पहुंचते हैं। कल्पा के पास सबसे बड़ा लेंडमार्क 'रीकोंग पीओ ' हैं ,जहाँ तक आप शिमला या मनाली से कई पब्लिक साधनों से पहुंच सकते हैं। 'रीकोंग पिओ' से कल्पा करीब 7 से 8 किमी ही दूर हैं। तो आगे देखते हैं कि कल्पा में और इसके आस पास क्या चीजें घूमी जा सकती हैं -
1. रोला क्लिफ/सुसाइड पॉइंट : कल्पा की अगर सबसे ज्यादा प्रसिद्द जगह की बात की जाए तो वो हैं -सुसाइड पॉइंट। सुसाइड पॉइंट पर असल में सड़क के किनारे से घाटी का वृहद् रूप दिखाई देता हैं।सड़क के निचे घाटी एकदम तीखे स्लोप लिए दिखाई देती हैं।यह ड्राइविंग करने के लिए एक बहुत ही चैलेंजिंग जगह कही जा सकती हैं। पहले सड़क के किनारे कोई रैलिंग ना लगी होने के कारण लोगों को निचे घाटी देखकर डर लगता था। अब यहाँ रेलिंग लग चुकी हैं और 'आई लव किन्नौर' का शानदार बोर्ड भी लगा दिया हैं। कल्पा से इस जगह पैदल ट्रेक करके भी आया जा सकता हैं ,जो कि करीब 4 से 5 किमी दूर हैं।
2. रोघी गाँव :अगर आप सुसाइड पॉइंट वाली रोड पर ही कुछ 3 कि.मी. और आगे जाएंगे तो जो गाँव आएगा उसका नाम हैं -रोघी। अंग्रेजी में इसका नाम 'ROGI' पढ़कर एक बार तो आप सोचेंगे कि क्या यहाँ के लोग बीमार रहते हैं। असल में ,यह एक छोटा सा खूबसूरत गाँव हैं ,जहाँ आप किन्नौरी कल्चर देख सकते हैं। यह गाँव कल्पा की तरह कॉमर्शिलाइज़्ड नहीं हैं। यहाँ का नारायण मंदिर काफी खूबसूरत हैं जहाँ लकड़ी के ऊपर हिन्दू देवी देवताओं के चित्र उंकेरे गए हैं।
3.नारायण नागिनी मंदिर और बौद्धिस्ट मोनेस्ट्री :
कल्पा गाँव के बीचो बीच स्थित हैं हिन्दू और बौद्ध धर्म के मंदिर। दोनों ही एकदम पास-पास।आप कल्पा को अगर किसी ऊँची घाटी से देखोगे तो आपको यह मंदिर हर जगह से नजर आएंगे।यहाँ पहुंचने के लिए आपको कल्पा के एकदम अंदर जा रही पगडंडियों से गुजरकर थोड़ा कल्चर वॉक करना होगा। आपको छोटे -छोटे घर ,दुकाने आदि मिलेंगे ,बच्चे सड़क पर खेलते मिलेंगे ,थुक्पा और मोमोज के फोटोज लगे ढाबे मिलेंगे। इन्ही गलियों से गुजरकर सबसे पहले आप बौद्धिस्ट मोनेस्ट्री पहुंचेंगे। जहाँ आपको कई सारे प्रेयर व्हील्स मिलेंगे जिन्हे हाथ से घुमा कर आप प्रार्थना करे। मंदिर में ही स्तूप भी बना मिलेगा। यह मोनेस्ट्री 1959 में एक बार जल गयी थी। इसी से कुछ कदम आगे रखते ही एक हिन्दू मंदिर का लकड़ी का बना गोल्डन रंग का दरवाजा आपका स्वागत करेगा। जितना यह दरवाजा शानदार लगेगा उस से कई गुना अंदर से मंदिर भी लगेगा। इसके बड़े से खुले प्रांगण से चारों तरफ के ग्लेशियर्स दिखते हैं। घाटी के निचे बाह रही सतलज नदी की आवाज़ यहाँ आपको एक अलग ही सुकून देगी।इस मंदिर को कहते हैं -नारायणी नागिनी मंदिर। ध्यान रहे मंदिर के कपाट रोज एक निश्चित समय के लिए ही , लोकल लोगों से समय का पता करके ही यहाँ जाए।
4.रिकोंगपीओ : अगर आप कुछ शॉपिंग वगैरह करनी हो ,या पहाड़ों पर आप पानी पूरी ,चाट ,पिज़्ज़ा ,आइस क्रीम की याद सता रही हो तो रीकोंग पीओ के लिए निकल सकते हैं और कुछ घंटे वहाँ के मुख्य बाजार में घुम कर वापस कल्पा आ सकते हैं। रीकोंगपीओ बस स्टॉप से पीछे से एक पैदल रास्ता ,यहाँ के मुख्य बाजार में जाता हैं। इस पैदल रास्ते में आपको कई सीढिया निचे उतरनी होगी। यकीन मानिये ,यह रास्ता आपको हमेशा याद रहेगा।
5. चितकुल: चितकुल ,तिब्बत बॉर्डर से लगता ,भारत का आखिरी गाँव कहा जाता हैं। बसपा नदी के किनारे बसे इस गाँव के लिए लोग स्पेशली एक दिन एक्स्ट्रा ले कर आते हैं। इस दौरान पड़ते सांगला से चितकुल मार्ग तक की ड्राइविंग भी काफी चुनौतीपूर्ण रहती हैं।देश के आखरी गाँव में देश के आखिरी ढाबे पर बैठकर राजमा चावल खाना एक शानदार अनुभव हैं। यहाँ जाकर 'भारत का आखिरी गाँव ' और 'भारत का आखिरी ढाबा ' जैसे बोर्डस के साथ फोटो खींचना ना भूलना। कल्पा से चितकुल करीब 70 किमी दूर हैं।
6.गेटवे ऑफ़ किन्नौर /रॉक टनल : कल्पा से करीब 70 किलोमीटर ,रामपुर बुशहर की तरफ जाते हुए रास्ते पर मिलती हैं एक छोटी से प्राकृतिक टनल या दरवाजे जैसी आकृति। इसको एक तरह से किन्नौर के प्रवेश द्वार की तरह ही देख सकते हैं। यहाँ ऐसा लगेगा जैसे कि प्रकृति आपका खुद किन्नौर में स्वागत कर रही हो। अगर किन्नौर की तरफ आये और मैन रोड पर ही पड़ती इस जगह पर नहीं रुके तो मानों आपने बहुत कुछ मिस कर दिया।
7. किन्नौर कैलाश यात्रा : हिन्दू धर्म की पंच कैलाश यात्राओं में से सबसे दुर्गम 'किन्नौर कैलाश यात्रा ' का पैदल ट्रेक भी रीकोंगपीओ के पास से ही शुरू होता हैं। आधिकारिक रूप से यह यात्रा केवल 15 से 20 दिनों के लिए ही ,साल में एक बार खुलती हैं।तीन दिन में पूर्ण होने वाली इस दुर्गम यात्रा में श्रद्धालु किन्नौर कैलाश शिला के दर्शन करते हैं। वैसे किन्नौर कैलाश के दर्शन ,कल्पा से भी हो जाते हैं।
कैसे पहुंचे : चंडीगढ़ और शिमला से कल्पा के लिए हिमाचल रोडवेज की सीधी बस मिल जाती है। वही अगर आप मनाली की तरफ से आ रहे हैं तो रामपुर बुशहर से भी आपको इधर के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट मिल जाएंगे। कई साधन आपको रीकोंगपीओ ही उतार देते हैं। रीकोंगपीओ से रोघी की तरफ जाने वाली बस आपको कल्पा छोड़ देती हैं।
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-ऋषभ भरावा