MAHESHWAR - A Journey to the Spiritual Capital of Ahilyabai Holkar
Hello Friends, अपना Hindi Blog लेकर एक बार फिर मैं आपके समक्ष उपस्थित हूं। आज का मेरा यह Blog मेरी महेश्वर यात्रा से प्रेरित है बहुत समय से कहीं जाना नहीं हुआ था और जब समय मिला तब दोस्तों का साथ नहीं मिल पाया, लेकिन घुमक्कड़ी का जोश कुछ इस तरह तरह चढ़ा कि निकल पड़े अकेले ही हम... जी हां दोस्तों महेश्वर की यात्रा मेरी Solo Trip थी My first solo trip
महेश्वर इंदौर से 95 किलोमीटर दूर नर्मदा के तट पर स्थित एक अध्यात्मिक और ऐतिहासिक Town है जो खरगोन जिले में स्थित है
अगर इतिहास की दृष्टि से देखे तो महेश्वर का अपना अलग ऐतिहासिक महत्व है।
महेश्वर का इतिहास
महेश्वर का इतिहास 2500 साल पुराना है। महेश्वर शहर को माहिष्मती नाम से भी जाना जाता है। महेश्वर का रामायण और महाभारत में उल्लेख मिलता है। पुराणों के अनुसार महेश्वर हैहवंशीय राजा सहस्त्रार्जुन की राजधानी थी, जिसने रावण को पराजित किया था।
मालवा साम्राज्य के अंतर्गत महेश्वर को इंदौर की रानी अहिल्याबाई होल्कर ने धार्मिक राजधानी का दर्जा दिया था जिसके कारण महेश्वर होलकर साम्राज्य का एक अभिन्न बन गया। अब हम इतिहास से निकलकर वर्तमान में आते हैं
How to Reach
By Train - सबसे नजदीकी रेल्वे स्टेशन खंडवा रोड है जो बड़े स्टेशनों से जोड़ता है। इंदौर भी एक मुख्य रेल्वे स्टेशन है जो 94 किमी की दूरी पर है।
By Bus - महेश्वर बस स्टेण्ड है जहां से खंडवा, ओंकारेश्वर, इंदौर के लिए आसानी से बसें उपलब्ध हैं।
By Air - सबसे नजदीकी एयरपोर्ट इंदौर है।
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मैं इंदौर से महेश्वर के लिए बस के माध्यम से गई थी तथा लगभग 2 घंटे में मैं महेश्वर पहुंच गई थी महेश्वर घूमने की मेरी 2 वजह थी एक तो नर्मदा दर्शन और दूसरा महेश्वर किला। समूचे मध्य प्रदेश की जीवन रेखा कही जाने वाली नर्मदा नदी मेरे भी बहुत करीब है| हमेशा से नर्मदा के घाट मुझे अपनी और आकर्षित करते रहे हैं तथा एक अपार शांति प्रदान करते रहे हैं। इंदौर शहर में मैं हमेशा नर्मदा नदी और इसके घाट को सबसे ज्यादा Miss करती हूं इसलिए अकेले ही महेश्वर आने का प्लान बना लिया ताकि थोड़ी मानसिक शांति भी मिल जाए।
दूसरी वजह हैं महेश्वर किला, यह ही महेश्वर को एक दर्शनीय स्थान बनाते है तथा महेश्वर के किले को देखने को ना केवल भारतीय पर्यटक अपितु विदेशी पर्यटक भी हर साल महेश्वर आते हैं। महेश्वर पहुंचकर मैं सबसे पहले महेश्वर किला पहुंची। महेश्वर किला को अहिल्याबाई किला भी कहा जाता है महेश्वर किलेे के करीब में ही नर्मदा नदी का घाट है और यह दृश्य एक अद्भुत संगम लगता है।
इस किले की स्थापत्य कला अद्भुत बेमिसाल और बेजोड़ है तथा इसके लिए और नर्मदा घाट के निर्माण में बेसाल्ट पत्थरों का प्रयोग किया गया है जिससे इसकी सुंदरता और आकर्षण बढ़ जाता है नर्मदा नदी के बिल्कुल किनारे पर बना यह किला जिसका एक द्वार दक्षिण मुखी है जिसका मुख नर्मदा नदी की ओर है। इसका एक मुख्य द्वार भी है जो उत्तर दिशा की ओर खुलता है।
मुख्य किले के अंदर अहिल्येश्वर मंदिर सर्वाधिक दर्शनीय है। इस मंदिर की स्थापत्य कला लाजबाव है। इस मंदिर में रामजानकी मंदिर है । यहां से नर्मदा नदी का दृश्य अत्यंत मनमोहक लगता है। अहिल्येश्वर मंदिर के ठीक सामने स्थित है राजेश्वर मंदिर। राजेश्वर मंदिर छत्री के आकार का बना है। जिसमें इंजीनियरिंग के साथ-साथ हिंदु स्थापत्य कला और मुस्लिम स्थापत्य कला का अद्भुत मेल किया।
किला बाहर से जितना खूबसूरत था, अंदर से उससे भी ज्यादा खूबसूरत था। यहां बहुत शांति थी परंतु मुझे यहां ज्यादा साधु नहीं दिख रहे थे जबकि इसे आध्यात्मिक नगरी कहा जाता है मुझे बस थोड़े बहुत Tourists यहां नजर आ रहे थे।
Heritage Hotel
इस किले के अंदर रॉयल हेरीटेज होटल बनाया गया है। अहिल्याबाई के वंशज इस होटल को चलाते हैं। होटल में 13 कमरे बने हैं और २ रॉयल सूट है जिस में प्राइवेट बालकनी बनी उसमें से नर्मदा नदी और महेश्वर का सुंदर नजारा दिखता है। होटल के कमरे ऐसे बनाए गए हैं की नर्मदा नदी की खूबसूरती दिखाई देती है।
नर्मदा नदी के घाट पर बहुत सारे शिव जी और गणेश जी के मंदिर है। जैसे कालेश्वर, राजराजेश्वर,अहीलेश्वर, विठ्ठलेश्वर मंदिर है। नर्मदा नदी में घाट का बहुत सुंदर प्रतिबिंब दिखता है। नर्मदा नदी को बहुत पवित्र नदी माना जाता है। इस घाट पर बहुत सारे लोग नदी में स्नान करते हुए दिख जाएंगे, यहां हर पूर्णिमा में नर्मदा स्नान का विशेष महत्व है। यहां बोटिंग का मजा भी लिया जा सकता है।
महेश्वर फोर्ट बहुत ही सुंदर और आकर्षक था परंतु आज मौसम मेरा ज्यादा साथ नहीं दे रहा था इसीलिए गर्मी का अनुभव भी मुझे बराबर हो रहा था इसीलिए मैंने किले के बाहर की तरफ मिलने वाले नींबू पानी और गन्ने के रस से मौसम का मुकाबला किया पर गर्मी अपने जोरों पर थी।
महेश्वर घूमते समय मुझे दूसरी समस्या जो हुई वह थी Photography की कमी। क्योंकि मैं अकेले आई थी तो मुझे स्वयं की पिक खींचने में कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ा रहा था अकेले होने के कारण मैंने अपनी फोटो के लिए काफी लोगों से मदद ली है यहां के लोगों ने खुशी-खुशी मेरी मदद भी की इसके कारण मेरी अच्छी Pics आ गई।
Solo Traveling का यह एक नकारात्मक पक्ष है Specially तब जब आप को मेरी तरह Pics Click करवाने का शौक हो। यहां पर लोगों के सहयोग के कारण मुझे बहुत सारी अच्छी Photos मिल गई और मेरी Solo Trip भी Memorable हो गई।
किले के संपूर्ण दर्शन के बाद में बाहर घाट की तरफ आ गई यहां पर कुछ समय मैंने नदी किनारे व्यतीत किए। गर्मी के कारण नर्मदा का शीतल जल अमृत समान प्रतीत हो रहा था। अकेले होने के कारण मैंने वोटिंग करना उचित नहीं समझा और कुछ समय घाट में बिताने के पश्चात में वापसी के लिए निकल गई तथा लगभग ढाई घंटे में वापस इंदौर आ गई
यह यात्रा यहीं समाप्त होती है पर यहां यात्राओं का दौर जारी रहेगा
आशा करती हूं मेरी Post आपको अवश्य पसंद आयी होगी अगर आप किसी प्रकार का Suggestions देना चाहते हैं अथवा किसी प्रकार का सहयोग चाहते हैं तो आपके Comment सादर आमंत्रित है