Mahim 1/undefined by Tripoto

Mahim

Trupti Hemant Meher
कोली समुदाय मुम्बई के पहले रहिवासी हैं । ये हमने सुना ही है। उसी तरह होली कोली समुदाय का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है, वैसे तो मैं भी इसी समुदाय की एक लड़की हु। लेकिन बचपन से समुदाय से थोड़ा दूर हु रही हु। लेकिन लॉक डाउन से पहले एक साल में में माहिम कोलीवाड़ा की होली में समिलित हुई थी। जब मैंने इसका दौरा किया और उत्सव और भव्यता को देखा तो इसकी पुष्टि हुई।जैसा कि ज्ञात है होली रंगों का त्योहार है और सर्दियों के अंत और वसंत और फसल की शुरुआत का प्रतीक है। पूरे भारत में होली के अलग अलग रंग दिखाई देते है। लेकिन माहिम कोलीवाड़ा में रंगों के साथ अपनी परम्परा भी झलकती है।कोलीवाड़ा में होली समारोह वास्तविक त्योहार से कुछ दिन पहले शुरू होता है। रंग पंचमी या धुलीवंदन से एक रात पहले एक अलाव जलाते हैं और अलाव के सामने धार्मिक अनुष्ठान करते हुए (प्रदक्षिणा) परिक्रमा करते हैं।अगली सुबह को रंगपंचमी या धुलीवंदन (रंगों का त्योहार) के रूप में मनाया जाता है, जहां लोग एक-दूसरे को गुलाल जैसे रंगों से रंगते हैं और एक-दूसरे को पानी से सराबोर करते हैं।हर चॉल की अलग सजावट और रंगोली थीम होती है। होलिका को फूलों, मालाओं से सजाया जाता है और हरे रंग की चूड़ियों से परिपूर्ण देवी की एक छवि, बड़े पोल के ऊपर साड़ी खड़ी की जाती है। देवी को सजाते समय बहुत रचनात्मकता, प्रेम और भक्ति प्रदर्शित होती है। ध्रुव के ऊपर देवी का एक क्लोज अप। सुंदर देवी मुख (चेहरा), हरी चूड़ियाँ और साड़ी लिपटी हुई और मालाओं से सजी हुई होती है। महिलाएं नारियल, सुपारी, हल्दी कुमकुम चढ़ाती हैं और मूर्ति की पूजा करती हैं।वैसे ही नए शादीशुदा जोड़े होलिका की फेरे लेने आते है। वो एक आशीर्वाद रूपी परम्परा है।होलिका के चारों ओर समुद्री नमक या रंगोली पाउडर के साथ रंगोली बनाई जाती है। समुद्री नमक से बनी रंगोली और राष्ट्रीय एकता का एक बहुत ही मजबूत सामाजिक संदेश प्रदर्शित करता है।कोली पुरुषों, महिलाओं और बच्चे अपने पारंपरिक पोशाख पहनते हैं। इमारतों के हर नुक्कड़ पर संगीत बजाया जाता है और कोली लोक को आकर्षक कोली संगीत के साथ नृत्य करते देखा जा सकता है।हर इमारत रंगीन रोशनी और अलग-अलग सजावट के तारों से जगमगाती है। खुशी, परंपरा और खुशी के साथ उत्सव का माहौल होता है।नृत्य और दावत के साथ समारोह रात भर जारी रहता है। देर रात को होलिका जलाई जाती है। रात भर नाच गाना के मोहोल के।साथ सुबह रंगों से होली खेली जाती है।