आशा करता हूं कि आप सब लोग ठीक-ठाक होंगे थोड़ी बहुत तो हलचल मैंने अपनी जिंदगी में शुरू कर दी है और रिसेंटली एक वाटरफॉल देखने गया अपने फोटोग्राफर क्लब ऑफ आगरा के भाई बंधुओं के साथ।
जब प्रोग्राम बनाया था तो सिर्फ पूरू तैयार था। फिर सौरभ आया फिर सुधांशु, हर विजय सर, बिलाल, सिद्धार्थ, कुलदीप, हैरी, शिवम, मौलिक। पूरी एक पलटन तैयार हो गई वह भी महेज 6 घंटे पहले।

क्योंकि इस जगह कोई सैदान जैसी कार तो नहीं ले जाई जा सकती। तुम मेरा प्लान था कि मैं इस जगह अपने बलवीर को साथ लेकर जाऊंगा। या फिर आप यहां एसयूवी जैसी कारों से आए, जिसका ग्राउंड क्लीयरेंस अच्छा हो। हर विजय सर ने अपनी स्कॉर्पियो कार पकड़ी थी।
चलिए इस बार मैं आप सब लोगों को ले चलता हूं दमोह वॉटरफॉल।

सवेरे 4:00 बजे सही मायनों में हमारा सफर चालू हुआ। और लगभग 100 किलोमीटर पर हम लोगों ने पहला ब्रेक लिया चाय के लिए।
दूसरा ब्रेक हम लोग चाह रहे थे कि डायरेक्ट वाटरफॉल पर ले। वहां का सनराइज देखें पर हम लोग लेट हो गए थे। तो दूसरा ब्रेक हम लोगों ने एक गांव में लिया बेहद खूबसूरत नजारा था हजारों की तादात में कमल के फूल खिले हुए थे वहां की झील में।हमारे ड्रॉनी सिंह मौलिक ने अपनी पहली उड़ान वही ली।

गांव से आगे निकलते ही रास्ता काफी रोमांचक हो गया। पथरीला एकदम सुनसान दूर दूर तक कोई भी नहीं सिर्फ हमारे काफिले के अलावा। पुरानी हिंदी फिल्मों में शायद डाकू ऐसे ही किसी जगह पर रहते थे। है ना!

आपको यह जानकर अचरज होगा कि दमोह वॉटरफॉल का पानी किसी नदी से नहीं आता।क्योंकि यह जगह काफी पथरीली है तो बारिशों में यहां काफी पानी इकट्ठा हो जाता है और जब ज्यादा भारी से आती है तो यही पानी ओवरफ्लो होता है और एक झरने का रूप लेता है। पर वहां पहुंचने से पहले यह पानी कुछ इस तरह से भरा होता है।
यहां काई जमी होती है तो इसे क्रॉस करना थोड़ा रिस्की भी है काफी लोग फिसलते हैं। मैं खुद फैसला था वह क्लिप में आपको आखिर में दिखाऊंगा।

Anyway, यह पानी की धारा क्रॉस करते ही वाटरफॉल का रास्ता आ जाता है हालांकि हम गलत मर गए थे और और सही जगह पहुंचाने के लिए बिलाल ने काफी मदद करें। सही जगह पहुंचने के बाद अब की बारी हमारी नीचे उतरने की। झरना हमें दूर से ही देख रहा था और हम सब लोग काफी एक्साइटेड थे।
नीचे उतरने का रास्ता आपको किसी भी पहाड़ का ट्रैक याद दिला सकता है। मुझे तो बहुत याद आती है पहाड़ों की।

यह झरना सेमी सर्कुलर शेप जैसे लाल पहाड़ों से बनता है और जैसे-जैसे हम नीचे उतरे इनकम टैक्स देखते ही सब लोग अचरज में पड़े।


इस ट्रैक के अलावाअगर मेरा सुझाव माने तो कुछ और एक्सप्लोर करने की सोचे भी ना। यह जंगल बहुत घना है।
बहुत जगह ऐसा होता है कि कुछ जगहों की सुंदरता आपके मन को एकदम शांत कर देती हैं।ऐसे ही कुछ हुआ मेरे साथ जब मैं झड़ने के नजदीक पहुंचा। कुछ पलों के लिए एकदम गायब सा हो गया था मैं। मुझे वापस आया मनचला तो बहुत हल्का महसूस किया मैंने। वह झरने की आवाज एक संगीत सी लगी मुझे।
मेरे भाई बंधु तब तक तो जेल में कुछ चुके थे और इनकी मस्ती शुरू हो चुकी थी।

झील के बीचो बीच स्ट्रिक्टली बोलूंगा कि बिल्कुल ना जाए। हमें यहां के स्थानीय लोगों ने वार्निंग दे दी थी ना जाने कितनी गहरी है यह झील।
मैंने यहां स्लो शटर स्पीड फोटोग्राफी करने की सोची काफी मुश्किल था कैमरे को झील के बीचो बीच सेट करना पर जैसे तैसे एक फोटो तो ले ली। इसके लिए मैंने Nisi ND 10 फिल्टर का यूज किया है।

कुछ समय बिताने के बाद यह सब लोग आगे के रास्ते से ठीक झरने के नीचे चले गए। मुझसे अगर पूछे हैं तो मेरी जान हवा में लटकती रही जब तक यह वापस नहीं आ गए। क्योंकि यहां पर काफी फिसलन होती है और काफी लोगों ने टशन दिखाने के चक्कर में अपनी जान गवाई है। एक बार फिर बोलूंगा यहां पर आप अपना बहुत ज्यादा ख्याल रखें। जान है तो जहान है।
झरने के नीचे नहाने का एक्सपीरियंस जब मैंने इन लोगों से पूछा तो उन्होंने बताया मानो कोई पानी के पत्थर बरसा रहा हो। और क्यों ना हो यह पानी डेढ़ सौ से ढाई सौ फीट ऊपर से गिरता है। पर फिर भी इन्होंने कहा मजा भी बड़ा आया। और क्यों ना हो ऐसी ही humidity वाली गर्मी में ऐसे ठंडे पानी से नहाना, स्वर्ग शायद इसे ही कहते हैं।


3 घंटे यहां कैसे बीत गए पता ही नहीं चला और अब बारी थी हमारी यहां से चलने की मतलब ऊपर की ट्रैक करने की। जो कि काफी मुश्किल थी क्योंकि सूरज सर के ऊपर नाच रहा था।

यहां कैसे पहुंचे
हम लोग यहां अपनी अपनी गाड़ियों से आए थे जैसा कि मैंने आपको पहले बताया सबसे अच्छा होगा कि आप यहां मोटरसाइकिल से आए या फिर ऐसी होगी जैसी कारों से आए जिनका ग्राउंड क्लीयरेंस ऊंचा हो।
यह जगह सर मथुरा से सिर्फ10 किलोमीटर की दूरी पर है। और गूगल मैप्स पर भी इसके डायरेक्शन देखे जा सकते हैं। सर मथुरा की दूरी आगरा से या ग्वालियर से लगभग एक जैसी है - 120 किलोमीटर।
अगर आप बाहर से आ रहे हैं तो, नजदीकी एयरपोर्ट ग्वालियर में है और इस जगह के लिए वहां से आपको प्राइवेट टैक्सी या मोटरसाइकिल लेनी पड़ेगी।
अगर मैं आपको सुझाव दू, तो आप दो ही सिटीज को अपना बेस बनाएं यहां आने के लिए पहला आगरा और दूसरा ग्वालियर
नजदीकी बस अड्डे या रेलवे स्टेशन के लिए मैं इन दोनों शहरों का नाम ही सजेस्ट करूंगा क्योंकि यहां से आपको मोटरसाइकिल या कार आसानी से मिल सकती है।
यहां सही आने का समय
क्योंकि यह एक बरसाती झरना है तो यहां सही आने का समय अगस्त से मिड सितंबर तक का ही है।
आशा करता हूं कि यह blog आपको पसंद आया होगा। मैं फिर आऊंगा एक नई डेस्टिनेशन के साथ।तब तक के लिए इजाजत चाहता हूं| ईश्वर आपको खुश रखे स्वस्थ रखे।
कैसा लगा आपको यह आर्टिकल, हमें कमेंट बॉक्स में बताएँ।
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