मैक्लोडगंज की मोनेस्ट्री में बिताए एक महीने ने मेरी ज़िंदगी हमेशा के लिए बदल दी!

Tripoto

2016 की गर्मियों में, मैं मैकलोडगंज की ट्रिप पर गई थी । मुझे पता ही नहीं चला की मेरा यह चार दिन की ट्रिप कब एक महीने में बदल गई । और इसकी सिर्फ एक ही वजह थी, मैंने एक ऐसा छुपा हुआ खज़ाना देख लिया था जिसने मुझे यहाँ पर रुकने के लिए मजबूर कर दिया था ।

मैकलोडगंज के ही एक दोस्त ने मुझे इस शहर की कई छोटी-बड़ी जगहों पर घुमाया और साथ ही वह कुछ अनछुई जगहों पर भी लेकर गया । छोटे रेस्त्रों से लेकर सनसेट पॉइंट्स और ड्राइव्स तक, मैंने एक ऐसे मैकलोडगंज को देखा जो की पर्यटकों की नज़रों से छिपा हुआ है । हमने सबसे शानदार जगह जो यहाँ एक्सप्लोर की वह थी शहर की निचली घाटी में में बसी हुई एक मोनेस्ट्री ।

Photo of मैक्लोडगंज की मोनेस्ट्री में बिताए एक महीने ने मेरी ज़िंदगी हमेशा के लिए बदल दी! 1/1 by Saransh Ramavat
मठ मंदिर | श्रेय -सौम्याबी

आप मेरा यकीन मानिए इस शहर के निचले हिस्से में एक ऐसी दुनिया है जो आपको पूरी तरह से अलग दिखेगी । मैंने पहले भी इस क्षेत्र के कुछ मठों का दौरा किया हुआ था, लेकिन इस जगह में अलग ही जादू था। मैंने मठ के मंदिर में प्रार्थना की, इसके खिले हुए बगीचों को एक्सप्लोर करते हुए महसूस किया कि मैं इस परिसर के अंदर भी रह सकता हूँ। मैंने हथोहाथ दिल्ली जाने वाली अपनी बस का टिकट कैंसल करवाया और अपने हॉस्टल से अपना सारा सामान उठाकर मोनेस्ट्री के शांत कमरे में शिफ्ट हो गई ।

मैंने मठ के बाहर एक चेतावनी बोर्ड देखा, जिसमें आए हुए गेस्ट को शांत रहने, शराब नहीं पीने, तेज आवाज़ में गाने नहीं बजाने और ठीक तरह से कपड़े पहनने की रिक्वेस्ट की गयी थी । यह तो सारे नियम ही पूरी तरह से अलग थे जिस तरीके से मैं अपनी छुट्टियाँ बिताना पसंद करती हूँ । फिर भी, मैंने इस नए अनुभव को एक मौका देने और खुद को परखने का फैसला किया।

वो अनुभव जिसने सब बदल दिया

अपनी प्रार्थना से लौटते हुए भिक्षु | श्रेय - सौम्याबी

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नीमा ला | श्रेय -सौम्याबी

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बुद्ध पूर्णिमा के दौरान भिक्षुओं का जप | श्रेय - सौम्याबी

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अपने आरामदायक बेडरूम में जाकर सबसे पहले मैंने जो चीज़ महसूस की वो इस शानदार मोनेस्ट्री के साफ रूम का शानदार नज़ारा नहीं था बल्कि यहाँ पर माहौल की एनर्जी में एक अलग ही बदलाव था जिसे मैं महसूस कर रही थी । सच मे यहाँ के वातावरण में एक अलग ही सकारात्मकता और शांति थी। आप कितनी ही लग्ज़री जगह पर रुक रहे हों पर कोई भी जगह मोनेस्ट्री के शांतिपूर्ण वातावरण का मुकाबला नहीं कर सकती ।

अगले कुछ दिन, मैंने मोनेस्ट्री के हेड मोंक सोनम ला के साथ समय बिताया, जो आज भी मेरे एक अच्छे दोस्त हैं। उन्होंने मुझे बौद्ध धर्म के सिद्धांतों, इतिहास और रिवाज़ों के बारे में जानकारी दी । वो एक बहुत ही महान व्यक्ति हैं पर जिस तरह से वह सभी लोगो से मिलते थे, उनसे बात करते थे, ये लगता ही नहीं था की वो यहाँ के इतने प्रभावशाली व्यक्ति हैं। वास्तव में, वो मॉडर्न लाइफ से उतना ही प्रभावित थे, जितना कि मैं उनकी सादगी से। उन्होंने मुझसे समाज में एक महिला के रूप में मेरी स्थिति के बारे में कई सवाल पूछे और उन सवालों ने दुनिया को देखने का मेरा पूरा नज़रिया ही बदल दिया। एक नहीं, कई बार उन्होने मुझे मेरी अलग-थलग जीवन शैली के बारे में हीनता का अनुभव कराया।

अपने स्टे के दौरान, मैंने अपनी लाइफ की उन छोटी-छोटी चीज़ों को भी देखा जिन पर पहले मेरा कभी भी ध्यान ही नहीं गया था। जब मैं अपने कमरे के बरामदे में बैठी चाय पी रही थी तो मैंने देखा कि एक महिला एक पेड़ को गले लगा रही है, नहीं नहीं वो नशे में नहीं थी । यह तो उसका प्रकृति के साथ जुड़ने और प्रकृति द्वारा हमें दिए गए उपहारों के लिए धरती माँ को धन्यवाद देने का उसका तरीका था । तब मेरा ध्यान गया की मैंने कब इस तरह रुककर अपने आस पास के लोगों या प्रकृति का आभार माना है ।

एक ट्रेक पर, एक चीनी दोस्त के साथ, जिससे मे मठ मे मिली | श्रेय - सौम्याबी

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आपको लगता होगा कि मठ में रहकर मैंने खुद को दुनिया से अलग कर दिया पर ऐसा नहीं है, मैंने यहाँ 12 देशो के लोगों से मुलाक़ात की ! यहाँ कई विदेशी पर्यटक ठहरे हुए थे जो सभी भारत में आध्यात्म की तलाश में आए हुए थे। भले ही हम अलग-अलग जगहों से थे और अलग-अलग भाषा बोलते थे, पर फिर भी मुझे उनके साथ एक जुड़ाव महसूस हुआ । हम लोग एक साथ योग और ध्यान करते थे । हम बाहर घूमते हुए धर्म, दर्शन और साहित्य पर चर्चा करते थे। पहले की गई सभी यात्राओं के दौरान, मैंने कभी भी खुद को बेहतर व्यक्ति बनाने के लिए प्रयास नहीं किया था और ना ही किसी अच्छी गतिविधियों में पार्ट लिया था । हर छुट्टी में मेरा सिर्फ एक ही प्लान होता था की मैं अपनी बनायी हुई बकेट लिस्ट में जितनी जगहों पर टिक लगा सकता था लगा दूँ , मैंने कभी भी खुद को इतनी गहराई में ले जाकर कुछ नया अनुभव करने के बारे में कभी सोचा ही नहीं था।

मैं बाद में एक जर्मन लड़के से मिला, जो अभी भी स्कूल में पढ़ रहा था, लेकिन युवा भिक्षुओं को अंग्रेजी सिखाने के लिए जर्मनी से आया था। जब मैंने देखा की कोई इतनी कम उम्र में इतना संवेदनशील और दूसरों के बारे मे इतना सोच सकता है तो मैं भी एक जिम्मेदार ट्रैवलर बनने की दिशा मे आगे बढ़ी । इन सबसे मुझे समझ आया कि भारतीय और विदेशी कैसे अलग-अलग तरह से ट्रैवल करते हैं। जब हम में से ज़्यादातर पार्टी या खरीदारी कर रहे होते हैं या अच्छा और मेहंगे खाने पर पैसा खर्च कर रहे होते हैं वही वहाँ घूमने का एक अलग तरीका है, वो लोग घूमने के दौरान ही ऐसे कई काम करते रहते हैं जिससे लोकल लोगों में जागरूकता आए और वो किसी ना किसी तरह से सभी लोगों की मदद कर सकें।

सभी प्राणियों की देखभाल। मठ में एक बोर्ड लगा हुआ है | श्रेय- सौम्याबी

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वैसे तो हर व्यक्ति भगवान के पास तब जाता है जब उसके जीवन मे कुछ परेशानियाँ चल रही होती है, मैं भी ऐसी किसी जगह पर रहने मे कम्फ़र्टेबल नहीं थी जहाँ इतनी आध्यात्मिकता हो। हालाँकि बौद्ध धर्म को करीब से जानने मेरे लिए सच में एक अजीब सी शांति को गले लगाने जैसा था । मुझे एक बार भी ऐसा नहीं लगा कि इसके सिद्धांत आप पर किसी भी प्रकार की रोक लगाते थे या किसी भी तरह से आपका या किसी को नीचा दिखाते थे। मुझे सबसे अच्छी बात ये लगी की कैसे बौद्ध धर्म ने आध्यात्मिकता पर तो ध्यान दिया ही साथ ही यह भी बताया की जीवन को अधिक सामंजस्यपूर्ण, और खुशी से कैसे जिया जाये ।

बौद्ध धर्म की सभी बातें ऐसी है कि उन्हें आप अपने रोज़मर्रा की ज़िंदगी मे आसानी से लागू कर सकते है। मुझे ऐसा लगता है कि बौद्ध धर्म ही कारण है जिससे मैकलोडगंज में एक अलग ही पॉज़िटिविटी है। सच बताऊँ तो मुझे कोई आश्चर्ये नहीं हुआ जब मैंने अपनी ही तरह कई ट्रैवलर्स को देखा जो यहाँ कुछ ही दिनों के लिए आए थे पर कई महीनों के लिए यहीं रुके रह गए ।

इसने मेरा नज़रिया कैसे बदला

मठ में रहने के दौरान, जीवन के लिए मेरा नज़रिया पूरी तरह से बदल गया। मेरी कोशिश अब उन अनुभवों को शामिल करने की होती है जो मेरी लाइफ में कुछ अच्छा और कुछ अर्थ जोड़ते हैं। भिक्षुओं ने मुझे दयालुता, समझ और सहानुभूति के महत्व के बारे में समझाया जिससे मैं एक जागरूक नागरिक और एक अच्छी इंसान बन गयी हूँ क्योंकि अब मैं पर्यावरण और अन्य जीवित प्राणियों पर अपनी वजह से पड़ने वाले प्रभाव को लेकर सजग हूँ । एक और महत्वपूर्ण बदलाव जो मेरे अंदर आया है वो है उन लोगों से दूर रहना जो सिर्फ किसी वस्तु या किसी चीज़ में ही खुशियाँ ढूंढते है । जिन लोगों से मैं मिली उन्होंने मुझे आध्यात्मिकता, आत्मा और आत्मा के दायरे के बारे में बताया। इस मठ का दौरा करने से पहले , मैं ज़िंदगी की भाग-दौड़ में इतना उलझ चुकी थी कि मैं भूल गयी थी कि एक अच्छा इंसान कैसे बनना है। हालांकि, एक महीने के बाद, मैं फिर से पूरी तरह से मानो जीवंत हो गई, मुझमें एक अलग ही तरह की पॉजिटिविटी आ गयी और मैं हर एक दिन को ऐसे जीने लगी जिससे उस दिन का मेरी ्या किसी और की ज़िंदगी पर कोई अच्छा असर पड़े ।

अगर आप कोई ऐसे व्यक्ति हैं जो खुद को अपने आप से दूर-दूर सा महसूस करते है, तो मैं आपको एक मठ की यात्रा करने और वहाँ रुकने की सलाह दूँगी। कभी-कभी इस पूरी तरह से नई और अलग दुनिया को देखना आपकी लाइफ और ज़िंदगी जीने के तरीके को बदलने के लिए काफी है।

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