Sant Kabeer Parinirvan Sthali, Maghar (UP) संत कबीर परिनिर्वाण स्थली मगहर (उत्तर प्रदेश)

Tripoto
Photo of Sant Kabeer Parinirvan Sthali, Maghar (UP) संत कबीर परिनिर्वाण स्थली मगहर (उत्तर प्रदेश) by Kapil Kumar

"हद हद तपे सो औलिया, बेहद तपे सो पीर,

हद अनहद दोनों तपे, वाको नाम फकीर।"

जो सीमा लांघता है वह रक्षक है, जो असीम से परे है वह आध्यात्मिक मार्गदर्शक है, जो सीमा और असीम दोनों को पार कर जाता है, फकीर कहा जाता है.

खलीलाबाद हाईवे से मगहर samadhi स्थल जाने का रास्ता

Photo of Sant Kabeer Parinirvan Sthali, Maghar (UP) संत कबीर परिनिर्वाण स्थली मगहर (उत्तर प्रदेश) by Kapil Kumar

संत कबीर के बारे में कौन नहीं जानता, जो 15 वीं शताब्दी में हुए थे. संत कबीर अंधविश्वास, व्यक्ति पूजा , पाखंड और ढोंग के विरोधी थे। उन्होने भारतीय समाज में जाति और धर्मों के बंधनों को गिराने का काम किया। वे भक्तिकाल के निर्गुण शाखा के ज्ञानमार्गी उपशाखा के महानतम कवि थे।

संत कबीर ने यूं तो पूरा जीवन काशी / बनारस या आज का वाराणसी में ही जिया था लेकिन अपने अंतिम समय में वो मगहर आ गए थे. उनके मगहर आने की भी एक रोचक कहानी है जो बहुत से लोगो को पता है लेकिन फिर भी हम यहाँ बता देते है. मगहर को लोग संत कबीर के समाधि स्थल या परिनिर्वाण स्थली के रूप में जानते है.

Photo of Sant Kabeer Parinirvan Sthali, Maghar (UP) संत कबीर परिनिर्वाण स्थली मगहर (उत्तर प्रदेश) by Kapil Kumar

जिन लोगो ने कबीर को पढ़ा है और समझा है वो जानते है कि कबीर पाखंड, अन्धविश्वास के विरोधी थे एवं अपनी कविताओ, दोहों आदि में इसका उल्लेख भी करते थे. इसी तरह काशी के बारे में ये मान्यता है कि वहां शरीर छोड़ने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसी तरह की एक मान्यता मगहर के बारे में भी उस समय प्रचलित थी कि जो मगहर में अपना शरीर छोड़ता है वो अगले जन्म में गधे के रूप में जन्म लेता है या दुर्भाग्यशाली होता है

संत कबीर का समाधि मंदिर

Photo of Sant Kabeer Parinirvan Sthali, Maghar (UP) संत कबीर परिनिर्वाण स्थली मगहर (उत्तर प्रदेश) by Kapil Kumar

संत कबीर ने काशी के ऊपर मगहर को चुन लिया क्योंकि एक प्रबुद्ध आत्मा के रूप में वह इस मिथक को दूर करना चाहते थे कि कोई भी अपने जीवन के अंतिम समय मगहर मे होने से उसका जन्म उसके अगले जीवन में एक गधे के रुप मे होता है ।

संत कबीर की मज़ार

Photo of Sant Kabeer Parinirvan Sthali, Maghar (UP) संत कबीर परिनिर्वाण स्थली मगहर (उत्तर प्रदेश) by Kapil Kumar

कबीर ने जनवरी 1518 में , हिंदू कैलेंडर के अनुसार विक्रम संवत 1575 में माघ शुक्ल एकादशी में अपने शरीर को छोड़ दिया। वह मुसलमानों और हिंदुओं द्वारा समान रूप से प्रिय थे. कबीरदास जी एक महान संत, कवि और समाज सुधारक थे। उन्होंने तत्कालीन समय में हिन्दू एवं मुस्लिम दोनों धर्मों में व्याप्त रूढ़ियों, आडम्बरों एवं कुप्रथाओं पर अपने दोहों तथा कविताओं के माध्यम से कुठाराघात कर धर्म सुधार का प्रयास किया।

समाधि मंदिर की तस्वीर

Photo of Sant Kabeer Parinirvan Sthali, Maghar (UP) संत कबीर परिनिर्वाण स्थली मगहर (उत्तर प्रदेश) by Kapil Kumar

जब संत कबीर ने शरीर छोड़ा तो उनके अनुयायी जिनमे हिन्दू और मुसलमान दोनों थे आपस में विवाद करने लगे कि उनकी पद्धति से संत कबीर का अंतिम संस्कार किया जाये. ऐसी मान्यता है कि उनका पार्थिव शरीर फूलों में परिवर्तित हो गया. तब दोनों पक्षों ने वो फूल आधे आधे बाँट लिए और एक ही जगह पर हिन्दुओ ने उन फूलो से संत कबीर के समाधि का निर्माण किया और मुसलमानों ने उन फूलों से मजार बनाई.

मज़ार कबीर साहब

Photo of Sant Kabeer Parinirvan Sthali, Maghar (UP) संत कबीर परिनिर्वाण स्थली मगहर (उत्तर प्रदेश) by Kapil Kumar

संत कबीरदास जी की समाधि का निर्माण मगहर के राजा वीर सिंह बघेल एवं मज़ार का निर्माण मुस्लिम सरदार बिजली खाँ ने कराया था। इस स्मारक का सम्बन्ध संत कबीरदास जी से होने के कारण यह स्थल हिन्दू- मुस्लिम दोनों के लिये धार्मिक व सांस्कृतिक दृष्टि से पवित्र एवं महत्वपूर्ण है। प्रतिवर्ष मकर संक्रांति पर मगहर में बहुत बड़ा मेला लगता है जिसमे उत्तर भारत के दूर दूर से लोग आते है.

एक ही प्रांगण में स्थित संत कबीर का समाधि मंदिर एवं मज़ार

Photo of Sant Kabeer Parinirvan Sthali, Maghar (UP) संत कबीर परिनिर्वाण स्थली मगहर (उत्तर प्रदेश) by Kapil Kumar

संत कबीर के जन्म के विषय में ऐसा कहा जाता है कि नीरू और नीमा नामक जुलाहा दम्पत्ति को एक नवजात बालक वाराणसी स्थित लहरतारा तालाब के किनारे सन् 1398 ई० में मिला था, जिसका नाम बाद में उन्होंने कबीर रखा। कर्म आधारित मोक्ष की अवधारणा को सिद्ध करने के लिए संत कबीरदास जी अपने जीवन के अन्तिम समय में वाराणसी छोड़कर मगहर आ गये और यहीं पर सन् 1518 ई० में उनका परिनिर्वाण हुआ।

Photo of Sant Kabeer Parinirvan Sthali, Maghar (UP) संत कबीर परिनिर्वाण स्थली मगहर (उत्तर प्रदेश) by Kapil Kumar

मत कर माया को अहंकार , मत कर काया को अभिमान

काया गार से काची, काया गार से काची, जैसे ओस रा मोती

झोंका पवन का लग जाये, झपका पवन का लग जाए

काया धूल हो जासी... कबीर दस के इस भजन से हमें जिंदगी जीने की नई दिशा मिलती है.

Photo of Sant Kabeer Parinirvan Sthali, Maghar (UP) संत कबीर परिनिर्वाण स्थली मगहर (उत्तर प्रदेश) by Kapil Kumar

समाधि स्थल के पास ही नदी किनारे शिव मंदिर और घाट भी बना हुआ है.

समाधि स्थल के पास नदी किनारे स्थित शिव मंदिर एवं घाट

Photo of Sant Kabeer Parinirvan Sthali, Maghar (UP) संत कबीर परिनिर्वाण स्थली मगहर (उत्तर प्रदेश) by Kapil Kumar

मज़ार का मुख्य द्वार

Photo of Sant Kabeer Parinirvan Sthali, Maghar (UP) संत कबीर परिनिर्वाण स्थली मगहर (उत्तर प्रदेश) by Kapil Kumar
Photo of Sant Kabeer Parinirvan Sthali, Maghar (UP) संत कबीर परिनिर्वाण स्थली मगहर (उत्तर प्रदेश) by Kapil Kumar
Photo of Sant Kabeer Parinirvan Sthali, Maghar (UP) संत कबीर परिनिर्वाण स्थली मगहर (उत्तर प्रदेश) by Kapil Kumar
Photo of Sant Kabeer Parinirvan Sthali, Maghar (UP) संत कबीर परिनिर्वाण स्थली मगहर (उत्तर प्रदेश) by Kapil Kumar

- कपिल कुमार

#travelwithkapilkumar #travel_with_kapil_kumar #safarnamabykapilkumar