
पश्चिम बंगाल का मुर्शिदाबाद जिला नवाबी दौर को आज भी संजोए हुए है। सिराजुद्दौला और प्लासी का युद्ध के पहले बंगाल सोनार बांग्ला था। चलिए आज चलते हैं मुर्शिदाबाद जिले में और ढूंढते हैं। बंगाल के नवाबी दौर के इतिहास को।
मुर्शिदाबाद स्टेशन से ₹10 में प्रति व्यक्ति आपको तांगा, ऑटो मिल जाएगा। जहां से आप लालबाग चौक आ सकते हैं। लालबाग चौक में मुर्शिदाबाद जिले का सबसे प्रसिद्ध स्थान हजारद्वारी महल है। महल के पास बहुत सारे होटल है जहां ठहरने और खाने पीने की सुविधा भी है।
हजारद्वारी महल एक विशाल महल है। लालबाग चौक में स्थित है। हजारद्वारी नाम इसीलिए पड़ा क्योंकि इस महल में हजार दरवाजे हैं। महल के भीतर एक म्यूजियम है जहां नवाब मुर्शीद कुली खान, नवाब अली वर्दी खान, आखिरी स्वाधीन नवाब सिराजुद्दौला सहित अंग्रेजों के जमाने के बहुत सारे हथियार मौजूद है। जो दर्शक देख सकते हैं । इसके लिए ₹30 का टिकट लेना पड़ता है। महल के समने में मदीना मस्जिद है। जिसका निर्माण नवाब अली वर्दी खान ने करवाया था। सिराजुद्दौला ने अपने हाथ से इस मस्जिद को बनाने के लिए मिट्टी डाली थी। मदीना मस्जिद के पास में ही बच्चे वाली तोप है जो मुर्शिदाबाद का सबसे बड़ा तोप है। इसके अलावा इससे 10 कदम आगे एक पीली मस्जिद है। जिसका नाम जरूद मस्जिद है।


एक दिन में इतना कुछ देखने के बाद आप दूसरे दिन भागीरथी नदी का घूम फिर कर सकते हैं। यहां नाव भाड़ा ₹5 ₹10 में प्रति व्यक्ति मिल जाएगा। और सैर सपाटे के बाद फिर आप इमामबाड़ा घूम सकते हैं। इमामबाड़ा के सामने से प्रति व्यक्ति ₹20 में आप आ सकते हैं कटरा मस्जिद। कटरा मस्जिद वह जगह है इसका निर्माण मुर्शिदाबाद में सबसे पहले हुआ था १९२० ईस्वी में इसकी शुरुवात हुई थी। नवाब मुर्शीद कुली खान ने ढाका से अपना राजधानी हटाकर मुर्शिदाबाद लाया। उसके पहले उन्होंने सबसे पहले एक मस्जिद और एक किले का निर्माण कराया जो फिलहाल कटरा कही जाती है।


