हिमाचल की पहाड़ियों में खूबसूरत झील के इधर उधर बसा रिवालसर

Tripoto
1st Jul 2024
Photo of हिमाचल की पहाड़ियों में खूबसूरत झील के इधर उधर बसा रिवालसर by Rajwinder Kaur

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में एक खूबसूरत झील है जिस का नाम है रिवालसर झील। इस झील के आस पास एक खूबसूरत शहर बसा है जिस का नाम है रिवालसर।
रिवालसर में बहुत सी जगह देखने के लिए है। यहां पर बहुत सुकून एंव शांति का अनुभव होता है।
बहुत सारे वेदेशीगण जहां पर शांति में कुछ दिन सुकून के गुजारने के लिए आते है।
इस जगह पर सभी धर्म की जगह है जैसे सिख धर्म , हिन्दू धर्म, बौद्ध धर्म ।
यह जगह काफी पुरातन है, महाभारत काल की।
जहां पर पाडव काल की गुफाएं भी है।
मंडी से मात्र 24-25 किलोमीटर की दूरी पर है। इस दूरी को तह करने के लिए 1 से 2 घंटे लग जाते है। इस रास्ते में बहुत से घुमावदार मोड़ आते है। ऐसे में रास्ते का आनंद मानते हुए रिवालसर आ जाता है।
तीन धर्मों की पवित्र भूमि है रिवालसर साहिब। इस लिए लोकल लोग  इस जगह को tri sangam कहते है, लोकल लोग मानते है रिवालसर का अर्थ ही tri sangam होता है।

Photo of हिमाचल की पहाड़ियों में खूबसूरत झील के इधर उधर बसा रिवालसर by Rajwinder Kaur
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इस खूबसूरत खूबसूरत शहर को देखने के लिए हम 25 जून को शाम को चले थे। रात हम आनंदपुर साहिब में रुके, वहा पर दर्शन करने के बाद सुबह हम चल पड़े थे। पहले कीर्तपुर को पार करके सुदरनगर से होते हुए हम आ गए मंडी शहर में। कुछ समय मंडी में खाने पीने के लिए रुके फिर चल पड़े मंजिल की ओर।
दोपहर के 2 बजे के आस पास हम आ गए रिवालसर। जहां पर रहने के लिए अलग अलग बजट में कमरे मिल जाते है।
हम सबसे पहले गुरुद्वारा साहिब गए जो कुछ ऊंचाई पर स्थित है, वहा पर भी कमरे मिल जाते है, बहुत सारे बंदर भी देखने को मिल जाएं गे।
हम ने गुरुद्वारा साहिब में ही कमरा लिया और फिर हम नीचे आ गए, घूमने के लिए।
सबसे पहले बात करते है गुरुद्वारा साहिब के बारे में जो एक टूरिस्ट अट्रैक्शन के साथ साथ धार्मिक जगह है।

1. गुरुद्वारा रिवालसर साहिब :

सिख धर्म के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी से संबंधित यह छोटा सा सुंदर गुरुद्वारा साहिब है जिसका सुनहरी गुबंद है। यह शानदार गुबंद गुरुद्वारा साहिब की शोभा को बढ़ा देता है। बहुत सुकून मिलता है दरबार साहिब में बैठ कर।
लंगर हाल में लंगर छक सकते है। कमरे भी मिल जाते है। बहुत सारे बंदर इधर उधर घूमते दिख जाएंगे।
गुरुद्वारा साहिब के कमरे की बालकनी से रात को झील और रिवालसर शहर का अद्भुत नजारा दिखाई देता है। बंदर भी मस्ती करते तार पर चलते दिखाई देते है।
कार को पार्क करने के लिए पार्किंग जगह भी है।
अब बात करते है गुरुद्वारा साहिब के इतिहास की।
सिख धर्म के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी इस पवित्र जगह पर 1 महीने के लिए रुके थे। पहाड़ी राजो से इसी जगह पर मुगल समराज के खिलाव गठबंधन करने के लिए मीटिंग की थी। पहाड़ी राजो को अमृत के बारे में भी गुरु जी ने इसी जगह पर ज्ञान दिया था, परंतु पहाड़ी राजो ने गुरु जी से समझौता करने से मना कर दिया था। बाद में मंडी के राजा गुरु जी को सम्मान के साथ अपने साथ ले गए थे।
ऐसे इस जगह का सिख धर्म में बहुत महत्व है।

Photo of हिमाचल की पहाड़ियों में खूबसूरत झील के इधर उधर बसा रिवालसर by Rajwinder Kaur
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2. पौराणिक मंदिर : रिवालसर में बहुत सारे पुरातन मंदिर है, जिन का संबंध हिन्दू धर्म से है। रिवालसर झील के पास ही कुछ मंदिर है।

संत लोमस की तपस्या : कहा जाता है हिंदू धर्म में एक सकंदा पुराण में रिवालसर का जिक्र होता है, एक संत लोमस जो प्रभु की अराधना करने के लिए जगह की तालाश में इस खूबसूरत शांत जगह पर आए थे, यहां की पेड़ पौधों से गिरी झील बहुत सकून बड़ा एहसास करवा रही थी।
संत लोमस ने इसी धरती पर तपस्या की थी। भगवान शिव और माता पार्वती ने संत लोमस को बहुत सारे वर दिए। माना जाता है यहां के पेड़ और फूल देव गण के है रूप है।
ऐसे में हिन्दू धर्म में इस जगह का काफी महत्व है।

नैना देवी मंदिर : रिवालसर से 10 किलोमीटर की दूरी पर माता नैना देवी का मंदिर है, कहा जाता है माता सती की आंख इसी जगह पर गिरी थी। साल भर श्रद्धालु इस मंदिर के दर्शन के लिए आते है।
ट्रेकर्स ट्रेक करके जाते है।
अपनी कार से भी जा सकते है। यह भवय मंदिर ऊंचाई पर स्थित है, पहाड़ी की चोटी पर।

कुंती कुंड : रिवालसर का संबंध पांडव काल से भी है।
नैना देवी मंदिर के रास्ते में एक कुंती कुंड भी आता है , कहा जाता है अपनी माता कुंती की प्यास मिटाने के लिए अर्जुन ने इस झील को बनाया था। यहां पर कुछ गुफाएं भी है जो काफी पुरातिन मानी जाती है।

कृष्णा मंदिर : इसी जगह पर श्री कृष्णा जी का मंदिर भी है। भगवान कृष्ण की अराधना करने के लिए लोग श्रद्धालु आते रहते है।
ओर भी मंदिर बने है जो रिवालसर झील के पास ही बने है।

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3. बौद्ध मठ:
रिवालसर का संबंध बौद्ध धर्म से काफी गहरा है। बौद्ध धर्म के दूसरे गुरु गुरुरिनपोचे जिन को पद्मसंभव के नाम से भी जाना जाता है, इन का संबंध रिवालसर से माना जाता है। इस जगह के साथ पद्मसम्भव की एक दंत कथा भी जुड़ी है। कहा जाता है पद्मसंभ्व को जिंदा जला दिया गया था। जहां पर जलाया गया था वहां पर एक झील बन गई थी, झील में से पद्मसंभव एक 16 वर्ष के लड़के के रूप में परगट हुए थे।
पद्मसंभव का काफी बड़ा कमल के फूल जैसा बुत भी बना है, यहां से रिवालसर झील का खुबसूरत नजारा दिखाई देता है।
यहां पर भिक्षु आम ही मिल जाएंगे।

रिवालसर में बौद्ध मठ भी है जो बहुत सुंदर है।
सबसे अच्छी बात यह है , सभी टूरिस्ट स्पॉट झील के आस पास ही है।

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4. रिवालसर चिड़ियाघर:
रिवालसर में एक चिड़ियाघर भी है। यहां पर काफ़ी जानवर देखने को मिल जाएं गे।

5. खाने पीने के लिए :
रिवालसर में आप को खाने के लिए मोमो, चाइनीज खाना, बर्गर, पिज्जा, लेपिंग जैसे चीज आसानी से मिल जाएं गी।
शोपिंग करने के लिए झील के पास ही मार्केट में काफी दुकान है।
झील के साथ साथ पार्क भी बना है, यहां पर कुछ पल सकून के साथ बैठ सकते है, मछली देख सकते है। बैठने के लिए बेंच भी बने है। लेपिंग बहुत ही तीखा होता है।

ऐसे रिवालसर एक शांत अच्छी जगह है जिसका धार्मिक एवं कुदरती महत्व भी है।

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