तिमली रामेश्वरम महादेव🙏❤🍃
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जनपद रुद्रप्रयाग के केदारघाटी के पश्चिम में विकासखंड जखोली के बड़मा पट्टी के मध्य तिमली रामेश्वरम महादेव के नाम से जाना जाता हैं। जिस के पूर्व में अगस्त्य ऋषि जी विराजमान है । पश्चिम भाग में मुनेश्वर तथा सिद्धेश्वर महाराज आज भी समाधि लगाए मौन है । उत्तर भाग में साणेशवर महाराज तथा दक्षिण भाग की और माँ कुष्मांडा का सिद्ध पीठ विराजमान है । तिमली रामेश्वर महादेव शिव का वह पवित्र स्थान है जहां पर दो नदियों का पवित्र संगम स्थल है । इन नदियों को रामगंगा व शिव गंगा के नाम से जाना जाता है। जिन की उत्पत्ति बहुमाया नाम की पर्वत से हुई है । मान्यता है कि जो शिवलिंग पूर्व में तालेश्वर नामक स्थान पर था कालांतर में प्राकृतिक आपदा से यह लिंग बहुमाया पर्वत से निकलने वाली रामगंगा के द्वारा इस संगम भाग के मानसरोवर (तालाब ) में तिमले के वृक्ष के नीचे महापर्वत की ओट में शिवस्वरूप मिला, जिसे तिमली रामेश्वर के नाम से जाना जाता है ,तथा साधकों के द्वारा इस संगम भाग के इर्द-गिर्द 360 कुंडो का वर्णन मिलता है जो अब नहीं है । केदारनाथ में वर्णित मुनेश्वर नाम का महादेव इसी क्षेत्र में है जो इस शिव मंदिर से 2 किलोमीटर दूरी पर स्थित है । केदारखंड में हुए वर्णन के अनुसार मुनेश्वर महादेव इसी बड़मा क्षेत्र के मुन्ना देवल के मध्य में पवित्र मंदिर देवल है । जहां नियत पूजा होती है। इस मंदिर से 2 किलोमीटर की दूरी पर सिद्धेश्वर नामक स्थान है जिसे सिद्धसौड़ के नाम से जाना- जाता है । यहां पर दूनागैर देवी का मंदिर है ।
Rameshwaram Mahadev Uttrakhand India