किसी ने घर छोड़ा तो किसी ने नौकरी, इन 15 मुसाफिरों की कहानी से सीख भी मिलेगी और प्रेरणा भी!

Tripoto

मैं अभी तक अपने 27 साल के जीवन में एक भी ऐसे व्यक्ति से नहीं मिला जिसे घूमना फिरना पसंद ना हो| हालाँकि हर एक की घूमने की शैली या तरीका अलग हो सकता है लेकिन मुद्दे की बात की जाए तो घूमने निकल पड़ने का मकसद एक ही होता है,सामान्य जीवन से दूर निकल जाना, या जैसा मेरे पिताजी कहा करते थे " कुछ असाधारण रोमांच का अनुभव करने के लिए" |

कुछ लोग जैसे ही समय मिलता है, यात्रा पर कुछ असामान्य अनुभव जुटाने निकल पड़ते हैं लेकिन कई लोग ऐसे भी हैं जिनके लिए घूमना फिरना कभी काफी होता ही नहीं है | इन्हें देख कर हमें अक्सर हैरानी होती है कि ये लोग इतना कैसे घूम लेते हैं |

मैं पिछले दो सालों से घूम ही कर रहा हूँ | इस दौरान मैं देश विदेश के सैलानियों से मिला और उनसे बातचीत की | उन सभी मुसाफिरों के पास सुनाने को ऐसी ऐसी ज़बरदस्त कहानियाँ थी कि मैं हैरान ही रह गया | हम लोगों को दुनिया की बेहतरीन और सुंदर-सुंदर जगह घूमते देखते हैं और उनसे ईर्ष्या करते हैं | लेकिन हममें से ज़्यादातर लोग उन लोगों द्वारा किए गए त्याग को नहीं समझ पाते | घुमंतू जीवनशैली अपनाने के लिए इन लोगों को अपने जीवन में कई बार कठिन विकल्पों में से एक को चुनना पड़ा है |

आइए ऐसे 15दिलेर मुसाफिरों से मिलें जिन्होंने रास्तों को ही अपनी मंज़िल बना लिया |

1. रोहित सुब्रमण्यम | 23 | चेन्नई, भारत

यूरोप में 23 देशों में छह महीने की मोटरसाइकल यात्रा करके फिलहाल वापस लौटे हैं

Photo of किसी ने घर छोड़ा तो किसी ने नौकरी, इन 15 मुसाफिरों की कहानी से सीख भी मिलेगी और प्रेरणा भी! 1/15 by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

MBA की पढ़ाई कर चुके रोहित ने ज़िंदगी में पहली बार अकेले यात्रा 13 साल की उम्र में की थी | अपने स्कूल की छुट्टियों के दौरान उन्होनें चेन्नई से त्रिची तक और फिर तमिलनाडु के तंजावुर तक बस से सफर किया था| इसी यात्रा के दौरान ही रोहित कई दिलचस्प लोगों से मिले और उन्हें ये महसूस हुआ की उन्हें यात्राएँ करना बहुत पसंद है |

18 साल का होते ही रोहित ने अपनी मोटरसाइकल उठाई और निकल पड़े लद्दाख की यात्रा पर | बस इसी यात्रा के दौरान रोहित को मोटरसाइकलिंग से प्यार हो गया | लद्दाख के रास्तों और दृश्यों ने रोहित की ज़िंदगी बदल दी | रोहित पिछले दो सालों से अपनी मोटरसाइकल से सड़कों पर यात्राएँ कर रहे हैं और लगभग 35 देशों घूम चुके हैं | रोहित यात्राएँ करने के लिए अलग अलग ब्रैंड्स के साथ मिलकर काम करते हैं। इतने समय से सड़कों पर मुसाफिर की राह चलने से अब घूमना ही उनकी जीवनशैली बन चुका है | रोहित का मानना है की यात्राओं के दौरान लोग जिंदगी के फ़लसफ़े सीखते हैं और यात्राएँ आपको कई ग़लत यादें और आदतें भुलाने में भी सहायता करती है |

रोहित की यात्राओं की और कहानियाँ आप यहाँ पढ़ सकते हैं |

रोहित की सलाह: अगर यात्रा कर रहे हैं तो अपने लिए करें | इंस्टाग्राम और फेसबुक बाद में भी किया जा सकता है | लोगों को ये बताने की ज़रूरत नहीं की आप यात्राएँ कर रहे हैं | यात्रा करने का अपना तरीका ढूँढे क्योंकि जो तरीका दूसरे के लिए काम कर गया, ज़रूरी नहीं कि वो आपके लिए भी काम करे | और अंत में यही कहना चाहूँगा कि यात्रा करते वक़्त कम से कम कचरा फैलाएँ और एक ज़िम्मेदार मुसाफिर बनें|

2. कैंडिडा लुई | 27 | हुब्बली, भारत

मोटरसाइकल से इतना प्यार करती हैं कि इस लगाव ने उन्हें पाँच महाद्वीपों में 13 देशों की सैर करवा दी है |

Photo of किसी ने घर छोड़ा तो किसी ने नौकरी, इन 15 मुसाफिरों की कहानी से सीख भी मिलेगी और प्रेरणा भी! 2/15 by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

केंडिडा कहती हैं " दुनिया में सब जगह घूमने और रोमांचक काम करने की लालसा मुझ में जन्म से थी और मेरे माता पिता ने मेरे इसी जुनून को बढ़ावा देने में बहुत मदद की |" ऑक्स्फर्ड कॉलेज से ग्रैजुएट होने के बाद, केंडिडा पिछले 11 सालों से सफ़र कर रही हैं और पाँच महाद्वीपों के 13 से अधिक देश घूम चुकी हैं | अपनी पूरे दिन की नौकरी के बाद भी केंडिडा ने साप्ताह के अंत में पार्ट टाइम मे ब्लॉगिंग की शुरुआत की | कभी कबार ये काम उन्हें 6 महीने तक लगातार काम करना पड़ा ताकि पैसे जुटाकर वे साल के बाकी महीनों में जमकर घूम फिर सकें | साल 2015 में वे भारत में 7 महीनों तक यात्रा की | इस दौरान उन्होंने 24 राज्यों से गुज़रते हुए 34000 कि.मी. से भी ज़्यादा का सफ़र तय किया |

अपनी पसंदीदा यात्रा की यादें बाँटते हुए केंडिडा कहती है " हाल ही में मैंने कंबोडिया में राइडिंग की थी जहाँ विश्व के अलग अलग कोनों से चार बाइक राइडर मिले और कंबोडिया के इलायची के जंगलों के एक स्कूल में लैपटॉप पहुँचने में सहायता की | " यात्राएँ करने से मैंने बहुत कुछ सीखा है जैसे अपना रास्ता कैसे खोजें, हर प्रकार की परिस्थिति से कैसे निबटें और रास्ते की मुश्किलों को कैसे दूर करें |

केंडिडा की सलाह: बड़े सपनें देखें और खूब मेहनत करें | विनम्र रहें और ये विश्वास रखें कि आप सबकुछ पा सकते हैं | ये दुनिया आप ही के लिए बनी है |

केंडीदा की रोमांचक यात्राओं के बारे में इंस्टाग्राम पर और जानें |

3. फ्रेडरिक वीडनर | 25 | किएल, जर्मनी

फ्रेडरिक हर साल अपना देश बदलते रहते हैं | कभी शिक्षक बन जाते हैं तो कभी विद्यार्थी |

Photo of किसी ने घर छोड़ा तो किसी ने नौकरी, इन 15 मुसाफिरों की कहानी से सीख भी मिलेगी और प्रेरणा भी! 3/15 by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

फ्रेडरिक जर्मनी में पैदा हुए और आहुर पले बढ़े | मगर 19 साल का होने पर उन्होंने सोचा की एक ही देश में 19 साल बीत दिए , अब बस बहुत हुआ | उसी समय उन्होंने अपने देश को छोड़ने का फ़ैसला कर लिया | तब से लेकर आज तक फ्रेडरिक हर साल अलग देश घूमने में बिताते है | कहते हैं " आप बहुत जल्दी महसूस कर लेते हैं कि सिर्फ़ अपने ही देश में रहना आपकी सोच व जीवन के लिए आपको कितना प्रतिबंधित करता है और विदेशों मे बहुत तरह के अवसर मौजूद है जिनके बारे में हम जानते भी नहीं | हाई स्कूल ख़त्म करते ही मैं काम की तलाश में और घूमने फिरने के लिए ऑस्ट्रेलिया चला गया था | वहाँ मैं एक साल तक रहा | भेड़ों की ऊन उतरना, फल तोड़ना, खूब सारी गून पीना, और रेगिस्तान से होते हुए सड़क यात्राएँ करना आदि काम जो सभी बैकपेकर करते हैं, मैंने भी किया |

वो दिन थे और आज का दिन है, फ्रेडरिक 30 से अधिक देशों की यात्रा कर चुके हैं |

फ्रेडरिक की सलाह: बाहर निकलो और जो मन करता है करो | ऑस्ट्रेलिया में शुरुआत के कुछ हफ्ते खुद का ध्यान रखना मुझे इतना भारी काम लगा था कि कई बार मैंने अपने आप को असहाय महसूस किया | मगर अब मुझे नए-नए देशों मे घूमना और अपने आपके सामने आने वाली चुनौतियों का सामना करने में बड़ा मज़ा आता है | तो जाओ आपको जहाँ घूमने जाना है वहाँ का एक हवाई टिकट खरीद लो | पहले के कुछ हफ्तों में जब कुछ भी आपकी बनाई योजना के अनुरूप ना हो तो हिम्मत ना हारें | अपने भविष्य और करियर की बेमतलब की चिंता ना करें | ये सब चीज़ें आपके सामने खुद बाखुद आ जाएँगी | सब रास्ते निकल ही जाएँगे | आपके पास अभी बहुत समय है | अगर दफ़्तर में बैठकर ही काम करना है तो वो तो आप 35 की उम्र में भी कर सकते हैं, उसे अपनी कीमती 25 की जवान उम्र में करने का क्या फायदा| इस समय में मौज करें और पूरी तरह से अपने में मगन हो जाएँ |

फ्रेडरिक को फेसबुक पर दोस्त बनाएँ |

4. रत्नदीप देशमाने | 28 | सांगली, भारत

डिजिटल दुनिया में आधुनिक घुमक्कड़ की ज़िंदगी जी रहे है और घूमते फिरते ही काम कर लेते हैं

Photo of किसी ने घर छोड़ा तो किसी ने नौकरी, इन 15 मुसाफिरों की कहानी से सीख भी मिलेगी और प्रेरणा भी! 4/15 by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

रतनदीप देशमाने एक सॉफ्टवेअर इंजिनियर हैं जो पिछले 2 साल से दूरस्थ रूप से काम तो कर ही रहे हैं साथ ही यात्राएँ भी करते रहते हैं | वो बताते हैं, "मैं हमेशा से भारत के अलग-अलग शहरों में रहना चाहता था | इसीलिए मैंने नौकरी भी ऐसी चुनी जिसमे मुझे एक जगह बैठकर काम नही करना पड़ता |" तब से आज तक रत्नदीप 4 देशों के 21 से ज़्यादा शहरों में रह चुके हैं | एक जगह पर कम से कम एक हफ्ते से लेकर ज़्यादा से ज़्यादा दो महीने ही बिताते हैं | एक डिजिटल घुमंतू होने से मैं घूमते-घूमते ही अपनी नौकरी का काम निबटा लेता हूँ | इससे मेरी आमदनी का स्तर बरकरार रहता है | घूमते समय मैं अपने खर्चों पर काबू रखने की कोशिश करता हूँ | इसीलिए आवाजाही के सस्ते साधनों से सफ़र करता हूँ और ठहरने के लिए वाजिब दाम वाले एयर बी एन बी चुनता हूँ |

रत्नदीप की सलाह: एक मुसाफिर की ज़िंदगी जीना उतना कठिन बिल्कुल नहीं है जितना कठिन आप मानते हैं | ज़रूरी नहीं की आप यात्राएँ करने में अपनी पूरी कमाई ही फूँक दें | अगर आप में चाह है तो राह अपने आप निकल आएगी | अपना रास्ता खोजें और बस शुरू हो जाइए |

रत्नदीप की यात्राओं के बारे में और जानें

5. मुकुल भाटिया | 28 | फरीदाबाद, भारत

Photo of किसी ने घर छोड़ा तो किसी ने नौकरी, इन 15 मुसाफिरों की कहानी से सीख भी मिलेगी और प्रेरणा भी! 5/15 by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

मुकुल जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई कर चुके हैं। 2012 में अपनी पढ़ाई पूरी होने के बाद मुकुल ने कुछ समय कश्मीर घूमते हुए बिताया और वहाँ के अनाथालय में भी रहे | वो एक ऐसा अनुभव था जिसने उन्हें अंदर तक प्रभावित किया और उनकी ज़िंदगी ने एक अलग ही मोड़ ले लिया | तब से लेकर आज तक वो 38 देश घूम चुके हैं | एक डॉक्युमेंट्री फोटोग्राफर के तौर पर उनकी नौकरी का एक ख़ास पहलू ये है कि उन्हें वास्तविक रूप में लोगों के साथ असली मुद्दों पर काम करने का मौका मिलता है | साथ ही उन्हें दुनिया की समस्याओं को करीब से समझने में भी आसानी होती है | साल 2015 में मुकुल ने अपनी कंपनी नोमेडिक ऑरिजिन्स की स्थापना की |

मुकुल की सलाह: अभी निकल जाइए | यात्रा आपके दिमाग को दुरुस्त करेगी और आप अपने आप में बुनियादी रूप से बदलाव पाएँगे | यात्रा करते समय सही फ़ैसले करें और कोशिश करें कि आपकी वजह से पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुँचे |

आप मुकुल को इंस्टाग्राम पर ढूँढ सकते हैं |

6. ज़ेकेरी बीलर | 33 | कैलिफ़ोर्निया, यूएसए

40 से ज़्यादा देश घूमने के बाद गिनती करना बंद कर दिया

Photo of किसी ने घर छोड़ा तो किसी ने नौकरी, इन 15 मुसाफिरों की कहानी से सीख भी मिलेगी और प्रेरणा भी! 6/15 by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

ज़ेकरी एक इतिहासकार हैं जो विदेशों में पिछले तीन साल से शिक्षक के रूप में काम कर रहे हैं | शिक्षक का काम वो अपने घूमने फिरने के जुनून को ज़िंदा रखने के लिए करते हैं | ज़ेकरी ने अपनी ज़िंदगी की पहली यात्रा 18 वर्ष की उम्र में की थी जब उन्होंने एक किताब में इस्तांबुल के बारे में पढ़ा | इस पुरातन शहर की भव्यता से वे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने इस्तांबुल की एक ओर की टिकट कटाई और निकल पड़े घूमने | इस्तांबुल के अनुभव ने उन्हें भीतर तक प्रभावित किया | वो कहते हैं " मेरी यात्राओं की यादों के पिटारे मे सबसे ख़ास याद उस समय की है जब में केवल 18 वर्ष का था और एक यूनानी बेड़े के जहाज़िओं के साथ जमकर शराब पी थी | मिलनसार अजनबियों के साथ घुलने मिलने का शायद ये मेरा पहला अनुभव था | उस दिन उन भीमकाय जहाज़ीओ के साथ शराब पीने, नाचने और गाने के बाद मुझे लगा की यात्राएँ करने में कितना मज़ा आता है और ये विचार कि मैं भी अपनी ज़िंदगी घूमते फिरते बिता सकता हूँ | घूमने का आप पर एक ख़ास फर्क यह पड़ता है कि ये आपको बाहरी दुनिया की संभावनाओं से रूबरू करवाता है, और आपको अपनी जन्मभूमि में ही रहने के मोह से मुक्ति देता है | "

ज़ेकरी की सलाह: मेरे हिसाब से सबसे अच्छी सलाह में आपको ये दे सकता हूँ की जितना हो सके, अपने देश और संस्कृति के लोगों के साथ घूमने फिरने से बचें | मेरे अनुभव के अनुसार ऐसा करना आपको अपनी संस्कृति और मूल सभ्यता से अलग होकर कुछ नया देखने का मौका ही नहीं देता है | माना कि कई लोगों को अकेले घूमने फिरने में डर लगता है| ऐसे में आप अपने साथ एक़ मुसाफिर दोस्त बना के उसके साथ घूम सकते हैं | मगर याद रहे कि ये दोस्त किसी और संस्कृति से हो |

ज़ेकरी को इंस्टाग्राम पर अपने साथ जोड़ सकते हैं

7. योगेश कुमार | 27 | मनाली, भारत

कन्याकुमारी से लेह तक अकेले साइक्लिंग करी |

Photo of किसी ने घर छोड़ा तो किसी ने नौकरी, इन 15 मुसाफिरों की कहानी से सीख भी मिलेगी और प्रेरणा भी! 7/15 by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

योगेश ने दिल्ली के 2-13 में आई एच एम पूसा से होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई पूरी करने के बाद बेसिक माउंटनियरिंग कोर्स किया | उसी दौरान उन्हें नई नई जगहों पर घूमने और नए लोगों से मिलने का शौक भा गया | फिर साल 2014 में योगेश अकेले ही साइकल उठाकर कन्याकुमारी से लेह तक की रोमांचक यात्रा करने निकल पड़े | तब का समय था और आज का समय है | योगेश ने पूरे भारत मे कई जगहों का सफर कर लिया है, साथ ही बहुत से एथलीट इवेंट मे भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया है |

योगेश की सलाह: बस निकल जाओ, ज़्यादा सोचो मत | जब आप कोई काम करने के लिए कमर कसकर निकल पड़ते हैं तो सबकुछ अपने आप हो जाता है |

8. चांदनी अग्रवाल | 27 | कुरुक्षेत्र, भारत

इनका मानना है कि चाहे आयरलैंड हो या इंडिया, संस्कृति का असली रूप वहाँ के गाँवों मे ही देखने को मिलता है |

Photo of किसी ने घर छोड़ा तो किसी ने नौकरी, इन 15 मुसाफिरों की कहानी से सीख भी मिलेगी और प्रेरणा भी! 8/15 by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

साल 2014 में चाँदनी ने सेमेस्टर एट सी ग्रीष्मकालीन यात्रा में हिस्सा लिया | ये उनके जीवन की एक ऐसी यात्रा बन गई जिसने उनके ज़िंदगी और सफ़र के बारे में नज़रिए को पूरी तरह बदल दिया | इस यात्रा में उन्होंने अपने जैसे और लोगों के साथ 6 महीने तक एक जहाज़ पर पढ़ाई की | ये जहाज़ इंग्लैंड से चल कर पुर्तगाल, स्पेन, स्कॉटलैंड, आयरलैंड, नॉर्वे, रूस, स्वीडन, फिनलैंड और पोलैंड होता हुआ वापिस इंग्लैंड आया | इसी यात्रा में उन्हे आयरलैंड के गाँवों से प्यार हो गया | चाँदनी ने ये महसूस किया कि स्थानीय लोगों के साथ रहकर उनके साथ घर का खाना खाने, मिलकर त्योहारों का जश्न मनाने, खेतों में हाथ बँटाने और उनके खाना पकाने के तरीकों को सीखना कुछ ऐसी यादें हैं जो आप अपनी यात्राओं से लौटते समय तोहफे के रूप में साथ ला सकते हैं | इस यात्रा ने उन्हें अपनी स्वयं की कंपनी शुरू करने के लिए प्रेरित किया जिसका नाम है ट्रांसफॉर्मिंग ट्रेवल्स | इस कंपनी के माध्यम से चाँदनी भारत के गाँवों की सभ्यता, संस्कृति , ख़ान पान और काम काज का वास्तविक अनुभव लोगों के साथ बाँटना चाहती हैं |

चाँदनी की सलाह: घूमने की शुरुआत करने के लिए मैं आपको सलाह दूँगी कि पहले अपने परिवार के सदस्यों या दोस्तों के साथ आस-पास यात्राएँ करना शुरू करें | हर एक यात्रा आपके आत्मविश्वास को बढ़ा देगी और आपको व्यक्तिगत रूप से और भी मज़बूत बना देगी | देखते ही देखते आप अकेले यात्राएँ करने में नहीं हिचकिचाएँगे और आपको अनदेखी परिस्थितियों से निबटना भी आ जाएगा | कहीं भी जाने से पहले वहाँ की संस्कृति के बारे में थोड़ी जानकारी ले और अपनी सुरक्षा के मापदंडों को ध्यान में रखें | अपने किसी दोस्त से कहकर आप जिस शहर में जा रहे है वहाँ के स्थानीय जानकार से संपर्क स्थापित करें | अपने आप में और मानवता पर भरोसा रखें, सबकुछ ठीक चलेगा | अगर लोग आपको हतोत्साहित करते हैं, तो उन्हें यह बताने से मत झिझको कि अगर कुछ बुरा होना ही है तो वो घर पर भी हो सकता है।

योगेश के साथ इंस्टाग्राम पर जुड़ सकते हैं

9. रायन पाविया | 24 | जब्बार, माल्टा

एक साल से दक्षिण पूर्वी एशिया में घूम रहे हैं और यहाँ से बेइंतहाँ इश्क़ मे डूब चुके हैं |

Photo of किसी ने घर छोड़ा तो किसी ने नौकरी, इन 15 मुसाफिरों की कहानी से सीख भी मिलेगी और प्रेरणा भी! 9/15 by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

साल 2015 में गणित और कंप्यूटर में ग्रैजुएशन पूरी करके रायन निकल पड़ा अपने दोस्तों के साथ तीन महीनों के लिए दक्षिण पूर्वी एशिया घूमने| ये उनके जीवन की पहली यात्रा थी जो उन्होंने सिर्फ़ अपने दम पर की थी | इस अविस्मरणीय यात्रा के साथ ही उन्हें जीवन जीने का ऐसा नज़रिया मिला की उन्होंने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा | जनवरी 2016 में उन्होंने दक्षिण पूर्वी एशिया का एक तरफ़ा टिकट खरीदा और वहाँ के प्यार में ऐसे डूबे कि अभी तक वही घूम रहे हैं | जब उनसे पूछा गया कि वो यात्राएँ करने के लिए पूंजी कैसे जुटाते हैं तो उनका कहना है " यात्रा पर निकल पड़ने से पहले मैंने खूब मेहनत करके कुछ पैसा जोड़ा जो सच कहूँ तो ज़्यादा नहीं था | इसीलिए जितना हो सके उतना अपने खर्चे को नियंत्रित करने की कोशिश में लगा रहता हूँ | घर से निकलने से पहले जुटाया हुआ पैसा जल्दी खर्च ना हो जाए इसके लिए बस या टैक्सी में सफ़र करने की बजाय लिफ्ट ले लेता हूँ | सही में, ऐसा करने से मुझे सफ़र करने का एक नया आयाम देखने को मिला है | कभी कबार जिस जगह रुकता हूँ वहाँ काम की तलाश कर लेता हूँ | काम सेो पैसे मिलें तो ठीक वरना भोजन और रुकने की जगह के एवज में भी दिन में कुछ घंटे काम कर लेता हूँ | पिछली गर्मियों में एक क्रियेटिव एजेन्सी के साथ दूरस्थ रूप से काम करना शुरू किया था | अपने खर्चों का अनुमान लगाते हुए साप्ताह मे कुछ ही घंटे काम करता हूँ |" यात्रा की उनकी पसंदीदा यादों में वो लम्हे शामिल हैं जो उन्होंने दूसरों के साथ बिताए थे| चाहे वो साथ खाना खाते हुए हो या बियर पीते हुए, कोई रोमांचकारी काम हो या मस्ती भरी रातें, सूर्यास्त या सूर्योदय देखते हुए हो या कहानी-किस्से कहते हुए या वो साथ में हंसते बोलते हुए यात्रा करते हुए हो |

रायन की सलाह: ज़्यादा सोच विचार मत करो | अगर निकलना है तो निकल पड़ो | अगर अनुभवों का स्वाद लेना ही चाहते हो तो जमकर लो | खाओ पियो, सीखो और सिख़ाओ, मस्ती करो, खुलकर जियो और सबसे ज़रूरी है मुस्कुराते रहो | एक ही ज़िंदगी मिली है, निचोड़ लो इसे |

रायन के साथ इंस्टाग्राम पर जुड़ सकते हैं

10. नैन्सी अग्रवाल | 30 | दिल्ली, भारत

कैंसर को हराकर हर दिन को खुल कर जी रही हैं

Photo of किसी ने घर छोड़ा तो किसी ने नौकरी, इन 15 मुसाफिरों की कहानी से सीख भी मिलेगी और प्रेरणा भी! 10/15 by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

हम रोज़ कितनी ख्वाहिशों को ये कहकर दबा देते हैं कि भविष्य में सही समय आने पर करेंगे | साल 2013 में दिल्ली में रहकर वकालत का काम करने वाली नैन्सी के एक पैर में कैंसर बताया गया था | लंबे इलाज के बाद कैंसर को हराकर नैन्सी पूरी तरह से ठीक हो गई | मौत को इतने करीब से देखने के बाद उन्होनें खुद से वादा किया कि वह अपनी पूरी ज़िंदगी एकदम खुलकर जियेंगी और जितना हो सके उतनी यादें इकट्ठा करेंगी, ताकि जब इस दुनिया से जाने का समय आए तो उनके मन में कोई मलाल नहीं रह जाए | वर्ष 2015 में उन्होंने नारकंडा, हटू शिखर की अकेले चढ़ाई कर डाली | इस यात्रा ने उन्हें पूरी तरह से बदल दिया | नैन्सी बताती हैं " ये बात बुध पूर्णिमा की रात की है जब मैं अपनी यात्रा से अकेली लौट रही थी | पूरणमासी की रात थी और आसमान में चाँद अपनी पूरी आभा से चमक रहा था | दूधिया रोशनी मे डूबी उस रात में मुझे लगा कि मैं पूरी ज़िंदगी चाँद को निहार सकती हूँ | चाँद खुले आसमान में अकेला चमक रहा था | इस बात से अंजान की धरती के लोग उसे घूर रहे हैं | चाँद को चमकने के लिए किसी के सहारे की ज़रूरत नहीं थी | वो अपने आप मे पूरा था| अपनी ही रोशनी मे लिपटा अकेला ही अंधेरी रात में प्रकाश बिखेरता हुआ | मुझे चंद्रमा में अपनी ज़िंदगी की झलक मिली | " तब से लेकर आज तक नैन्सी लगातार यात्राएँ कर रही हैं और हर साल 16-17 यात्राओं पर हो आती हैं | नैन्सी के सफ़र से जुड़ी कहानियाँ पढ़ने के लिए आप उनके ब्लॉग पर जा सकते हैं |

नैन्सी की सलाह: घूमते रहिए| मैं तो बस आपसे यही कहना चाहूँगी |

नैन्सी के साथ इंस्टाग्राम पर जुड़ सकते हैं |

11. पवन कुमार | 27 | जयपुर, भारत

स्वभाव के काफ़ी भोले हैं और ऐसे विकल्प चुनते हैं जो दूसरे शायद ही कभी चुनें |

Photo of किसी ने घर छोड़ा तो किसी ने नौकरी, इन 15 मुसाफिरों की कहानी से सीख भी मिलेगी और प्रेरणा भी! 11/15 by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

पवन जयपुर के एक मध्यम वर्गीय परिवार में कड़ी पाबंदियों और अपने सपनों के लिए बिना किसी समर्थन के बड़े हुए | इंजिनियरिंग की पढ़ाई बीच में ही तब छोड़ दी जब ये एहसास हुआ कि तकनीकी नौकरी उन्हें खुशी नहीं दे सकती | वर्तमान में एक डिजिटल मार्केटर के रूप में काम कर रहे हैं और 24 राज्यों और 4 केंद्र शासित प्रदेशों को भ्रमण करते हुए पूरे भारत में व्यापक रूप से यात्रा कर चुके हैं। पवन कुमार अकेले ही 50 दिन के लिए भारत यात्रा पर निकल पड़े | जब वापिस आए तो फिर से एक टेंपो ट्रेवलर में दो महीनों के लिए स्किल इंडिया और डिजिटल इंडिया के कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिए सफर पर निकल गए | पवन ने स्कूलों और कॉलेजों में बच्चों को इंटरनेट के माध्यम से क़ानूनी रूप से पैसा कमाने की कला सीखने के लिए सैकड़ों मुफ़्त वर्कशॉप भी दी हैं |

पवन की सलाह: मैंने लोगों को अपनी यात्राओं की शेखी बघार्ते देखा है | मेरी राय में अपने और अपनी यात्राओं में बटोरे हुए कीमती लम्हों के साथ आप इससे बुरा कुछ नहीं कर सकते | ये यादें और किससे बहुत बहुमूल्य और निजी होते हैं |अगर आपको दोस्तों में अपने किससे सुनने ही हैं तो एक दोस्त की तरह सुनाइये, शेखी बघारने के तौर पर नहीं |

पवन को फेसबुक पर खोजें।

12. कोरीना ग्रिल | 23 | वियना, ऑस्ट्रिया

पिछले एक साल में 9 देशों की यात्रा करने के बाद अब कुछ पैसे जमा कर रही हैं ताकि फिर से सफर पर निकल सकें |

Photo of किसी ने घर छोड़ा तो किसी ने नौकरी, इन 15 मुसाफिरों की कहानी से सीख भी मिलेगी और प्रेरणा भी! 12/15 by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

कोरीना का जन्म ऑस्ट्रिया में वियना के पास एक छोटे से गाँव में हुआ था | पाँच सप्ताह के स्वयंसेवी यात्रा पर दक्षिण अफ्रीका जाने से पहले वह ढाई साल का वकालत का कोर्स कर रही थी | इस यात्रा पर उन्होंने दो हफ्ते अकेले ही  बिताए और तब ही उन्हें अपने अकेले घूमने फिरने के शौक के बारे में पता लगा | उन्हें इस बात पर आश्चर्य और खुशी दोनों थी कि देश की जिन जगहों को उनके परिवार, दोस्तों और यहाँ तक की इंटरनेट पर अन्य लोगों ने भी असुरक्षित व ख़तरनाक बताया था, वहाँ पर अकेले घूमने उनके लिए कितना आसान था | तभी से उन्होंने अपनी यात्रा की शुरुआत की और अभी तक करीब 9 देशों में घूम चुकी है | फिलहाल कोरीना स्विट्ज़र्लैंड में काम कर रहीं हैं ताकि अपनी अगली यात्रा के लिए पैसे जोड़ सके | अगर आप कोरीना के भारत भर के बाइकिंग भ्रमण के बारे में पढ़ना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक करें |

कोरीना की सलाह: किसी काम को करने का सही वक्त क्या है, इस बारे में ज़्यादा सोच विचार और हिचकिचाहट बंद करो | ज़्यादा योजनाएँ बनाने में समय व्यर्थ ना करें और जो मन करता है उसे खुले दिल से कर डालें |

कोरीना से इंस्टाग्राम पर जुड़ सकते हैं |

13. यश राणे | 2 9 | मुंबई, भारत

पहले बावरची के रूप में काम करते थे, अब पूरी दुनिया घूमते हुए कहानियाँ बुनते हैं |

Photo of किसी ने घर छोड़ा तो किसी ने नौकरी, इन 15 मुसाफिरों की कहानी से सीख भी मिलेगी और प्रेरणा भी! 13/15 by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

होटल मैनेजमेंट में ग्रैजुएशन करने के बाद मुंबई के यश राणे ने अपने करियर की शुरुआत शेफ के तौर पर करी थी | मगल जल्द ही घूमने फिरने और फोटोग्राफी के अपने जुनून के चलते उन्होंने नौकरी छोड़ दी और एक फ्रीलांस कंटेंट क्रिएटर के रूप में एक नए काम की शुरुआत की | यश पहले एक क्रूज़ जहाज़ पर शेफ के तौर पर काम करते थे और इसी काम के द्वारा वह अमेरिका, जमैका, कुराकाओ, अरुबा, मेक्सिको, सिंगापुर, बहामा, तुर्क और कैकोस द्वीप, होंडुरास, कोस्टा रिका और पनामा के कैरीबियाई हिस्से में रह चुके हैं। " अब जब मैं एक फ्रीलांस कंटेंट क्रिएटर के तौर पर काम कर रहा हूँ, जितना हो सके पैसे बचाने की कोशिश करता हूँ ताकि महीने में कम से कम एक बार किसी नई जगह पर घूम कर आ सकूँ | मुझे अपने काम के चलते कई प्रकार के ब्रांड के साथ काम करना पड़ता है और परिणामस्वरूप नई नई जगह घूमने का मौका भी मिल जाता है | सोशल मीडिया से मुझे पुरे देश में अपने जैसे लोगों से जुड़ने का मौका मिलता है जो सफर के दौरान मुझे पनाह देते हैं | इस तरह से मेरा रहने का खर्च भी बच जाता है|

यश की सलाह: जब तक इस धरती पर जी रहे है उतने समय में जितना हो सके उतना अनुभव जुटा लीजिए | हम मनुष्यों के पास अपनी पृथ्वी को बचाने की बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है और इसलिए ज़रूरी है की आप यात्राएँ करते समय जितना हो सके उतना पर्यावरण को संरक्षित रखते हुए एक ज़िम्मेदार मुसाफिर का अपना फ़र्ज़ अदा करें | जितना हम दुनिया घूमते हैं और लोगों को समझते हैं उतना ही हमारा दिमाग़ खुल जाता है | जितना आपका दिमाग़ और विचारधारा खुलेगी आप उतना ही शांति का अनुभव करेंगे |

यश से इंस्टाग्राम पर जुड़ सकते हैं।

14. एनाबेल श्नाइरिंग | 19 | डसेलडोर्फ, जर्मनी

जब ये महसूस हुआ कि उम्र के साथ ही बोरियत भी बढ़ रही है तो जिंदगी में यात्राओं का तड़का लगा दिया |

Photo of किसी ने घर छोड़ा तो किसी ने नौकरी, इन 15 मुसाफिरों की कहानी से सीख भी मिलेगी और प्रेरणा भी! 14/15 by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

एनाबेल दक्षिण जर्मनी के एक एक छोटे से गाँव में पैदा हुई और वहीं पली बढ़ी | साहसी इतनी थी की बड़े होने के साथ ही कई कारनामें करने लगी थी जैसे घर के पास बने पार्क, जंगल और खाड़ी में खेलना कूदना | एनाबेल जैसे जैसे बड़ी होती गईं, उनके लिए ये गतिविधियाँ उतनी ही उबाऊ होने लगीं | तब उन्हें एहसास हुआ कि उन्हें यात्राएँ करनी चाहिए | फिर क्या था, स्कूल ख़त्म होते ही एनाबेल निकल पड़ी अपनी ज़िंदगी का रोमांच ढूँढने | तब से अब तक वह वियतनाम, कंबोडिया, थाईलैंड, दक्षिण अफ्रीका, लेसोथो, निकारागुआ, एल साल्वाडोर, होंडुरास, ग्वाटेमाला, पुर्तगाल, स्पेन और मोरक्को घूम चुकी हैं | "मैंने अपने सारे पैसे इकट्ठा किए और निकलने से पहले काफ़ी काम भी किया | जब मैं निकारागुआ से होंडुरास होते हुए एल साल्वाडोर से ग्वाटेमाला तक और पूरे यूरोप घूम रही थी तो मैंने पैसा बचाने की हर संभव कोशिश की | आने जाने के किराए पर पैसा गंवाने की बजाय लिफ्ट लेकर काम चलाया | दक्षिण अफ्रीका (वूफिंग) में मैनें एक खेत पर एक महीने भी काम किया। "

एनाबेल की सलाह: अगर आपको कोई रोमांचकारी काम करने का छोटा सा भी मौका हाथ लगे तो उसे कर डालिए | निकल जाइए अपने साहसिक कारनामे के पीछे| ऐसा करना आपको पढ़ने और सुनने से कहीं ज़्यादा अनुभवी बनाएगा और बहुत कुछ सिखाएगा | मैं लोगों को अकेले घूमने की सलाह देना चाहूँगी | अगर ऐसा ना भी कर पाएँ तो यात्रा का कुछ भाग तो अकेले ही घूमें | ऐसा अनुभव एक अलग ही तरह का होगा | और कई बार आप यात्राएँ करते हुए ऐसे लोगों से मिलेंगे जिन्हें वही करना पसंद है जो आपको पसंद है | तो देखा जाए तो आप कभी अकेले सफ़र नहीं करते | इस तरह हर सफ़र में आप बिना अपने व्यक्तित्व और घूमने फिरने की शैली के साथ समझौता किए बिना अपने जैसे लोगों के साथ आनंद ले सकते हैं |

एनाबेल से इंस्टाग्राम पर जुड़ सकते हैं |

15. ल्यूक ले आइल्स | 28 | ब्रिस्टल, यूनाइटेड किंगडम

27 देशों में घूम चुके हैं | साल 2017 में ऑस्ट्रेलिया में घूमते हुए काम किया और फिर 2018 में न्यूज़ीलैंड निकल लिए |

Photo of किसी ने घर छोड़ा तो किसी ने नौकरी, इन 15 मुसाफिरों की कहानी से सीख भी मिलेगी और प्रेरणा भी! 15/15 by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

20 साल की उम्र में ल्यूक ने पूरी दुनिया घूमने का मन बना लिया था | तब से ल्यूक ने पाँच महाद्वीपों में करीब 27 देशों की यात्रा कर ली है | पिछले एक साल से वो अपने घर से दूर हैं जिसमें से एक महीना उन्होनें भारत में घूमते हुए बिताया, फिर इंडोनेशिया में दो सप्ताह और अभी फिलहाल ऑस्ट्रेलिया के आसपास काम कर रहे हैं और घूम फिर रहे हैं। जनवरी में ल्यूक न्यूजीलैंड जा रहे हैं जहाँ वो एक साल रुक कर काम करने के साथ ही मुसाफ़िरी भी करेंगे | हो सकता है कि ल्यूक न्यूज़ीलैंड में ही बस जाएँ |

ल्यूक की सलाह: अगर कुछ करना चाहते हैं तो अभी निकल जाइए और किसी को अपने और अपने सपने के बीच में ना आने दें | मेरे हिसाब से लोग यात्राएँ करने इसलिए नही निकल पाते हैं क्योंकि वो अपने साथ चलने के लिए कोई साथी ढूँढते रहते हैं | अगर आप शर्मीले हैं या जल्दी घबरा जाते हैं तो आपको अकेले सफ़र करने के बाद बहुत सशक्त और मुक्त महसूस होगा | मैं पिछले एक साल से अपने घर से दूर अकेला रह रहा हूँ जो कभी मेरा सबसे बड़ा डर हुआ करता था | लेकिन इस दौरान में सिर्फ़ 2 दिन के अलावा मैं कभी अकेला नहीं रहा |

ल्यूक को इंस्टाग्राम पर ढूँढ सकते हैं |

क्या आपके पास अपनी यात्रा की ऐसी कोई ऐसी कहानी है जिससे लोग प्रेरित हो सकें? अपनी यादें और कहानियाँ Tripoto पर अपने जैसे ढाई करोड़ से ज़्यादा मुसाफिरों के साथ बाँटें |

ये आर्टिकल अनुवादित है, ओरिजिनल आर्टिकल के लिए यहाँ क्लिक करें।