एवरेस्ट बेस कैंप ट्रेक का क्रेज पिछले कुछ सालों से काफी बढ़ता जा रहा हैं। एक तो वैसे भी दुनिया का सबसे ऊंचा पहाड़ अपनी आंखो से देखने के लिए लोग वहां जाना चाहते थे,उपर से पिछले साल आई फिल्म "ऊंचाई" के बाद भी इस ट्रेक का क्रेज काफी हो गया है।
काफी लोग अलग–अलग ग्रुप में मेरी एवरेस्ट बेस कैंप संबंधी पोस्ट देखकर एवरेस्ट बेस कैंप की जानकारी लेने के लिए मुझसे संपर्क करते रहते हैं उनमें से कुछ लोग तो अभी हो कर भी आ गए और कुछ अभी मई और जून में जा रहे हैं। एवरेस्ट बेस कैंप की प्लानिंग से पहले ये बातें आप जरूर जान ले:
1. एवरेस्ट बेस कैंप जाने के दो तरीके हैं या खुद एक गाइड लेकर वहां तक जाओ और या फिर किसी एजेंसी की मदद से जाओ।
2. अगर आप खुद से प्लानिंग कर रहे हैं तो यह ट्रिप कम से कम 20000rs में पूरी कर सकते हैं।यह 20000rs में आप केवल बजट टूर कर सकते हैं। अगर बजट दिक्कत नहीं हैं तो थोड़ा लक्जरी तरीके से आप इसको 40000 में कर सकते हैं। लेकिन हां,गाइड लेना अब उधर अनिवार्य कर दिया हैं।तो हो सकता हैं यह अमाउंट भी थोड़ा बढ़ जाए।
2. अगर आप खुद से वहां जा रहे हैं तो मान कर चले कि आपको लुकला तक पैदल चल कर जाना होगा जिसमें करीब 3 दिन का समय लगता हैं और वापस आने के 3 दिन अलग। मतलब करीब 5 दिन एक्स्ट्रा देने होंगे और पैदल सफर ज्यादा करना होगा।
3.अगर आप किसी एजेंसी की मदद से यात्रा करते हैं तो आपको काठमांडू से लुकला फ्लाइट द्वारा पहुंचाया जाता हैं।मुझे काठमांडू में बताया गया था कि इस फ्लाइट की टिकट में काफी कालाबाजारी होती हैं और इसके टिकट पहले ही एजेंसी वाले खुद के नाम से रिजर्व करवा लेते हैं।इसीलिए जो लोग बिना एजेंसी के EBC जाते हैं वे इस काठमांडू से लुकला के एक ना भूलने वाले अनुभव से वंचित रह जाते हैं। फ्लाइट का यह सफर दुनिया का एक सबसे खतरनाक सफर माना जाता हैं। इसका वीडियो अगर आपको देखना हो तो मेरे नए चैनल Rishabh bharawa vlogs के तीसरे एपिसोड में देखना।
4. लुकला से आगे सभी को पैदल ही यात्रा करनी होती हैं।हां,कही कही खच्चर की सुविधा भी मिल जाती हैं।उसके लिए आपको कुछ 1500रुपए दिन के खर्च करने पड़ते हैं।
5. ट्रैवल एजेंसीज इस यात्रा का 40000 रुपए से लेकर 150000 रुपए तक मांगती हैं। लेकिन हां, दोनों की सारी सुविधाएं एक जैसी ही मिलेगी,चाहे आप 40k वाली एजेंसी से जाओ या 150k वाली के साथ जाओ।
6. शुद्ध शाकाहारी लोगों को खाने में दिक्कतें हो सकती हैं।कुछ खाने पीने के आइटम्स हमेशा साथ लेके चलना चाहिए।
7. अगर आप एजेंसी से बुकिंग करवाते हैं तो 45k रुपए से ज्यादा मत दीजिए।इसमें भी आपको लुकला फ्लाइट मिलेगी , ऑफ बीट जगहें घुमाई जाएगी , और काठमांडू में 3 स्टार होटल में रखा जाएगा और उपर ट्रेक पर भी शानदार लक्जरी टी हाउस में रूकाया जाएगा।
8. आप अगर बजट यात्री हैं तो आप ट्रेक पर सस्ते होमस्टे ढूंढ कर रह सकते हैं।उनका नियम यह होता हैं कि खाना उनके यहां से खाओ और फ्री में रात रुक जाओ।
9.ट्रैवल पैकेज में खाना तो लीजिए ही मत।खाना वही जा कर अपने हिसाब से खरीदिए।
10. उपर के बड़े और महंगे टी हाउस में हर चीज महंगी मिलेगी। खाने के लिए रोज कम से कम 1500 भारतीय रुपए खर्च करने होंगे। वाईफाई,मोबाइल चार्ज,गर्म पानी का पैसा लगेगा वो अलग। पर ये चीजें होमस्टे में फ्री में ही मिल जाएगी। वहां के लक्जरी टी हाउस की सुविधाएं और खाने पीने की रेट देखनी हो तो भी आप मेरे चैनल Rishabh Bharawa Vlogs के एपीसोड में देखना।
11. मैं एक एजेंसी के द्वारा इधर गया था और मुझे बजट का इश्यू नही रहता लेकिन फिर भी मैने कोशिश की यह ढूंढने की कि क्या यहां सस्ता खाना और रहना मिलता हैं तो वो भी मैने ढूंढ ही लिया था।आप वीडियो में देखना कि कितनी कीमत का अंतर मिलता हैं। अगर आप एजेंसी से जा रहे हैं और खाने के पैसे बचाना चाहते हैं तो आप अपने टी हाउस में सुबह शाम केवल चाय का ऑर्डर कर देवे,क्योंकि सुबह शाम एक ऑर्डर अनिवार्य होता हैं, और फिर खाना ढूंढने का तरीका वीडियो में देख कर आजमा लेवे।
12. लुकला से आगे कम से कम 160 किमी का आने जाने का पैदल सफर होता हैं।अगर आप गोक्यों झील होकर बेस कैम्प जाते हैं तो उसमें दिन और किलोमीटर काफी बढ़ जाते हैं।
13. अगर आप अप्रैल से लेकर सितंबर के बीच यह सफर करते हैं तो यह ट्रेक काफी आसान लगेगा,और असल में यह हैं भी आसान।लेकिन अगर आप इसे दिसंबर में करते हैं तो यह सफर कई जगह कठिन लगेगा।क्योंकि एक तो हर समय तापमान नेगेटिव ही मिलेगा,पानी वगेरह दिन भी जम जायेंगे,सांस लेने में दिक्कत आएगी,हर समय 3 से ज्यादा कपड़े उपर नीचे पहनने पड़ेंगे और सिर हमेशा ढका रखना होगा। सर्दियों में यहां वातावरण खतरनाक हो जाता हैं इसीलिए सर्दियों में इधर कोई मिलता भी नहीं। हम जब दिसंबर के अंतिम सप्ताह में इधर गए थे तो अधिकतर गांवों में हम 8 लोगों के अलावा मुश्किल से 5 से 7 लोग और होते थे बाकी सब कुछ एकदम सूना सूना रहता था।
14. आपका यात्रा बजट आप किस मौसम में इधर जाते हो,इस पर भी निर्भर करता हैं।सर्दियों में काफी चीज इधर सस्ती मिल जाती हैं क्योंकि कोई यात्री इधर आता नहीं तो वें लोग भी ज्यादा डिमांड नहीं करते। अप्रैल ,मई, जून में इधर हजारों की तादाद में भीड़ आती हैं,कई जगह आपको कमरे भी नही मिलते ।इसीलिए आपको एक स्लीपिंग बैग हमेशा उस सीजन में साथ में रखना पड़ता हैं। कि कमरा ना मिलने की अवस्था में, उनकी रसोई वगेरह में स्लीपिंग बैग डालके सोया जा सके। और हां,पैसा तो फिर भी आपको एक कमरे के बराबर ही देना पड़ता हैं।
15. सर्दी में अगर आप उधर जाते हैं तो यात्रा खतरनाक तो हो ही जाती हैं पर साथ ही साथ अधिकार टी हाउसेज बंद ही मिलते हैं।रुकने,खाने के ज्यादा ऑप्शन नहीं मिलते हैं।
"चलो चलें कैलाश: कैलाश मानसरोवर यात्रा वृतांत " के बाद मेरी अगली पुस्तक EBC पर ही हैं जिसे मैं लिख तो चुका हूं ,पर अभी उसमें कंटेंट और जानकारियां बढ़ाने के लिए मुझे दोबारा लिखना हैं।कोशिश हैं पुस्तक जून तक आ जाएगी।उसमें एवरेस्ट बेस कैंप की हर बारीकी पर काफी कुछ पढ़ने को मिलेगा। "चलो चलें कैलाश" को आप एमेजॉन,फ्लिपकार्ट खरीद सकते है।EBC की मेरी यात्रा को मेरे चैनल rishabh Bharawa Vlogs पर आप देखिए।अभी तक 11 एपीसोड आ चुके हैं और वीडियो में हर दिन की यात्रा,खाना पीना,रहना सब कुछ बताया गया हैं।
- ऋषभ भरावा