एक समय हुआ करता था जब बच्चे घर में रहकर तरह-तरह के खेल खेला करते थे। हैदराबाद के अद्वित गोलेछा ने आज पूरी दुनिया को दिखा दिया है कि अब समय बदल चुका है। अद्वित ने हाल ही में एक ऐसी उपलब्धि हासिल की है जिसको सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे। इस 4 वर्षीय बच्चे से दुनिया के सबसे कठिन ट्रेकिंग रास्तों में से एक, एवरेस्ट बेस कैंप ट्रेक को केवल 9 दिनों में पूरा करके एक नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। अद्वित के इस सफर में, उसकी माँ श्वेता गोलेछा और श्वेता के भाई सौरभ सुखानी ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अद्वित ने ट्रेक की शुरुआत 28 अक्टूबर को की थी और नवंबर की 6 तारीख तक उसने 5,364 मीटर ऊँचाई तक की ट्रेक को पूरी किया। बता दें अद्वित गोलेछा फिलहाल अबू धाबी में एक प्रीस्कूल जाता है। अद्वित ने लगभग 80 प्रतिशत ट्रेक पैदल पूरा किया और ट्रेक के अंतिम चरण में एक कुली की सहायता ली।
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श्वेता, अद्वित की माँ बताती हैं कि उनके भाई ने भी उनके और अद्वित के साथ ट्रेकिंग की। वो लगातार अद्वित से हल्क, कैप्टन अमेरिका और थॉर जैसे सुपरहीरो से मिलने की बातें करते रहे जिससे अद्वित के अंदर ट्रेक पूरा करने जोश बना रहे। श्वेता बताती हैं अद्वित सुपरहीरो से प्यार करता है और उनकी कहानियाँ सुनना उसको बहुत अच्छा लगता है। ट्रेक के दौरान भी अद्वित अपने अंकल से इन्हीं कहानियों को सुनता और चलता रहता था। एवरेस्ट बेस कैंप तक पहुँचने से पहले पड़ने वाले आखिरी गाँव में एक डॉक्टर ने श्वेता को सलाह दी कि बच्चे को अब एक कुली द्वारा ले जाया जाना चाहिए क्योंकि अधिक ऊँचाई के साथ हवा में ऑक्सीजन की मात्रा घट जाती है और अद्वित जैसे छोटे बच्चे के लिए ट्रेकिंग को जोखिम भरा हो सकता था।
श्वेता आगे बताती हैं कि एक्यूट माउंटेन सिकनेस (एएमएस) के लिए वे दवाइयाँ ले रहे थे लेकिन क्योंकि अद्वित बच्चा है इसलिए वो इन दवाइयों को नहीं ले सकता था। हमें ये देखकर हैरानी भी हुई कि 5,000 फीट की ऊँचाई पर भी अद्वित ठीक था और उसको परेशानी नहीं हो रही थी। श्वेता, जो खुद एक ट्रेकर रही हैं, बताती हैं कि उन्हें अद्वित के जन्म के पहले से ही अंदाजा था कि एक दिन उनका बेटा दुनिया का सबसे कम उम्र का ट्रेकर बनेगा।
श्वेता बताती हैं ट्रेक के अंतिम चरण में अद्वित को थोड़ी परेशानी होने लगी थी। चढ़ाई के आखिरी दो दिनों में अद्वित को एक्यूट माउंटेन सिकनेस की वजह से खाना खाने में दिक्कतें आने लगीं थीं। अद्वित ये देखकर खुद भी थोड़ा हैरान था। लेकिन इसके बावजूद उसने कैंप तक की चढ़ाई पूरी की। उसकी तबियत को ध्यान में रखते हुए हमने वापसी के लिए हेलीकॉप्टर लेना ठीक समझा।
ऐसे हुई ट्रेनिंग
श्वेता ने एवरेस्ट बेस कैंप जैसी कठिन सफर के लिए अद्वित को तैयार करने के लिए पहले ही एजेंडा तय कर लिया था। “अद्वित हर दिन 2 किमी. चलता था, लेकिन एवरेस्ट बेस कैंप से पहले मैंने उसे 3 से 4 किमी. तक चलने और दौड़ने की ट्रेनिंग देने शुरू कर दी थी। उस समय मेरा लक्ष्य अद्वित को अच्छा, पौष्टिक भोजन देना और नए माहौल में ढलने के लिए तैयार करना था।”
रोचक बात ये है कि श्वेता ने अद्वित को एवरेस्ट बेस कैंप ले जाने के बारे में उसके जन्म के भी पहले से सोच रखा था। वो बताती हैं, " मैंने 10 साल पहले हाइकिंग करना शुरू किया था और इसमें मुझे मजा आता था। जब अद्वित पैदा होने वाला था तब मैंने तय कर लिया था कि वो दुनिया में एवरेस्ट बेस कैंप ट्रेक पूरा करने वाला सबसे कम उम्र का व्यक्ति होगा। इसलिए मैंने शुरू से ही उसकी ट्रेनिंग पर ध्यान दिया। हम अभी दुबई शिफ्ट हुए हैं और मेरा घर 15वें माले पर है। मैं अद्वित को लिफ्ट के बजाय सीढ़ियों से चढ़ने-उतरने के लिए कहती हूँ। उसको बचपन से ही लंबी दूरी तक पैदल चलने की आदत है। कोरोना महामारी के कारण वो एवरेस्ट बेस कैंप ट्रेक करने वाला विश्व का सबसे कम उम्र वाला व्यक्ति तो नहीं बन पाया, पर मुझे खुशी है कि वो ऐसा करने वाला पहले एशियाई है। अद्वित और मेरे इस सफर में मेरे पति गौरव ने भी हमें काफी प्रोत्साहित किया।
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सभी चीजें ठीक तरीके से हों इसके लिए श्वेता ने कुछ अनुभवी ट्रेकर्स से भी सलाह ली, जिन्होंने अपने बच्चों के साथ इसी तरह का ट्रेक किया था। “मैंने विभिन्न ट्रेकर्स से बात की जिन्होंने अपने बच्चों के साथ ट्रेक किया है। उन्होंने मुझे प्रोत्साहित किया और मुझे अद्वित को शुरू से ही ट्रेक के लिए तैयार करने के लिए कहा। उन्होंने मुझे अद्वित को मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनाने की सलाह दी। उन्होंने मुझसे कहा कि "एक बार जब आपका बच्चा चलना शुरू कर देता है, तो उसे जितना हो सके चलाने की कोशिश करें और उसे पौष्टिक भोजन दें।" आखिर में श्वेता कहती हैं कि उन्हें पूरा यकीन था कि अच्छी और लगातार ट्रेनिंग से ये ट्रेक करना बिलकुल संभव है।
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