यह लेख राजस्थान की शान, गुलाबीनगरी के नाम से सुप्रसिद्ध जयपुर शहर के बड़ी चौपड़ ( जो कि स्थानीय लोगों द्वारा परकोटा के नाम से जाना जाने वाला क्षेत्र है ) में आने वाले एक मंदिर से लिए गए कुछ छायाचित्रों एवं उन पर्यटन स्थलों के बारे में है ।
गूगल मैप्स पर इस स्थान को मंदिर श्री लक्ष्मीनारायण जी के नाम से देखा जा सकता है ( लिंक नाम में अंतर्निहित किया गया है ) ।
बड़ी चौपड़ जयपुर के सबसे मुख्य स्थानों में से होने की वज़ह से यहां चहल पहल हमेशा बनी रहती है और यहां पहुँचने के भी कहीं साधन हैं । यह जगह मेट्रो रेल, बैटरी चलित ऑटो, लोकल बस इत्यादि यातायात के साधनों उपलब्धता होने से काफ़ी पहुंच योग्य है ।
28 मई 2023 में मैंने इस स्थान पर कुछ समय बिताया और यहां से काफ़ी अन्य जगहों को भी निहारा जा सकता है । मंदिर के नीचे पास में ही दो पहिया वाहन की पार्किंग मिल सकती है, और मंदिर के मुख्य द्वार पर खड़े रहना एक मंजिला ऊंचाई पर होने का दृष्टिकोण देता है जो कि शहर का बहुत सुंदर नज़ारा प्रस्तुत करता है ।
हवा महल
महाराजा सवाई प्रताप सिंह द्वारा इसका निर्माण 1799 ई. में कराया गया, वह खेतड़ी महल की अनूठी संरचना से इतने प्रेरित हुए कि उन्होंने इस भव्य और ऐतिहासिक महल का निर्माण कराया। इसे लाल चंद उस्ताद ने डिजाइन किया था । इसका अद्वितीय पांच मंजिला बाहरी हिस्सा मधुमक्खी के छत्ते के समान है, जिसमें 953 छोटी खिड़कियां हैं जिन्हें झरोखा कहा जाता है, जो जटिल जाली से सजाए गए हैं ।
रानियों की सुविधा के लिए प्रसिद्ध भवन का निर्माण करवाया गया, जिससे की "पर्दा प्रथा" का पालन करतीं राजघराने की महिलायें इन खिडकियों से महल के नीचे सडकों के समारोह व गलियारों में होने वाली रोजमर्रा की जिंदगी की गतिविधियों का अवलोकन कर सकें।।
इस भवन की पहली मंजिल के प्रांगण में 'शरद मंदिर' और 'प्रताप मंदिर' स्थित हैं।
इसरलाट सरगासूली
इस मीनार का निर्माण 1749 ई. में महाराजा ईश्वरी सिंह ने करवाया था । यह त्रिपोलिया बाज़ार के पास स्थित है, और यहां पहुँचने के लिए सबसे पास मेट्रो स्टेशन छोटी चौपड़ है । मैंने ऐसा अनुभव किया है कि बहुत बार जयपुर निवासियों और पर्यटकों को एहसाह नहीं होता कि इस मीनार के अंदर भी जाया जा सकता है । यह बहु मंजिला मीनार जयपुर का बहुत ऊंचाई से 360 डिग्री नज़ारा पेश करती है ।
इस छायाचित्र में जयपुर का सिटी पैलेस और पृष्ठभूमि में नाहरगढ़ के किले को देखा जा सकता है । दोनों ही पर्यटन स्थल अपने आप में अद्भुत हैं और एक सैलानी का बहुत समय अपेक्षित है इन अनुभवों को अपनी यादों में हमेशा के लिए संजोने के लिए ।
सिटी पैलेस और नाहरगढ़ किला ,दोनों का निर्माण जयपुर शहर के स्थापक महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय के शासनकाल में हुआ था । सिटी पैलेस शाही निवास है जो कि अभी भी उसी भूमिका में है और नाहरगढ़ का निर्माण बहुत ऊंचाई पर सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए किया गया था ।
जो फोटोज़ मेरे द्वारा क्लिक किये गए हैं वो एक सुपरज़ूम कैमरा द्वारा लिए गए हैं इसलिए संभव है कि मोबाइल से इतना क्लोज़ अप नहीं लिया जा सके । आप सभी पर्यटन समुदाय सदस्यों और पाठकों को लेख पढ़ने के लिए सादर धन्यवाद ।