जब हम हिमाचल प्रदेश में यात्रा करने की बात सुनते हैं तो सभी शिमला, मनाली, कसोल जैसी जगहों पर निकल पड़ते हैं और कहने की बात नहीं है कि लोगों की इस बढ़ती भीड़ ने इन जगहों से इनकी चमक छीन ली है। शुक्र तो इस बात का है कि कई ऐसी जगहें भी अब सामने आ रहीं जोकि अबतक पर्यटकों की नज़रों से सुरक्षित है और जहाँ बाज़ार का प्रभाव अभी नहीं दिखता। अगर आप भी ऐसी ही कुछ जगहों पर जाने का प्लान बनाना चाहते हैं तो ठहरने के लिए 'द सिलवन विला' एक बेहतरीन स्थान है।
लेकिन हाँ, ये याद रहे कि इन जगहों की खूबसूरती को बचाए रखना भी हमारे हाथों में ही हैं। आप जिस भी जगह जाएँ वहाँ के संतुलन को बनाए रखें और कुछ भी ऐसा ना करें जिससे वहाँ के लोगों और वहाँ के पर्यावरण को नुकसान पहुँचे। तो चलिए इसी सीख के साथ आपको लेकर चलते हैं इस शानदार जगह पर।
कुछ साल पहले तक ये जगह एक स्कूल हुआ करती थी जिसकी स्थापना अंग्रेजों के जमाने में ही की गई थी। ये धरमपुर का पहला स्कूल था। हाल ही में इसे एक खूबसूरत विला बनाने में यहाँ की मालकिन भावना का बहुत बड़ा योगदान रहा है जिन्होंने अपनी रचनात्मकता और मेहनत से इसकी रूप-रेखा ही बदलकर रख दी।
'द सिलवन विला'
कभी स्कूल रही इस 100 साल पुरानी हवेली को भीड़-भाड़ और शोर-शराबों से परेशान हो चुके पर्यटकों के लिए बनाया गया था। शहर से अलग ऊँचाई पर बना 'द सिलवन विला' पूरी तरह पत्थर और लकड़ी से बना हुआ है। इसका इंटीरियर आपको पुराने ज़माने की याद दिलाता है और हवेली के चारों तरफ़ की प्रकृति आपका मन मोह लेती है।
विला के पहले फ्लोर पर एक बालकनी भी है जहाँ से आप वादियों के खूबसूरत नज़ारे का आनंद उठा सकते हैं। यहाँ आपको एक रसोइया और दो सहायक मिल जाएँगे जो आपकी खातिरदारी के लिए हमेशा मौजूद रहते हैं। विश्वास रखिये, 'द सिलवन विला' की रातें भी बेहद खूबसूरत होती हैं। आपको खुद के साथ वक्त बिताने का अच्छा मौका मिलेगा।
लागत
फिलहाल 'द सिलवन विला' में बस तीन कमरों का एक ही विला है जो 10 लोगों के लिए काफी है। हर कमरे में एक किंग साइज बेड, ड्रेसिंग रूम और बाथरूम है, और सभी कमरे समान रूप में सुसज्जित हैं। 'द सिलवन विला' में पूरे विला के एक दिन की लागत ₹18000 पड़ती है जिसमें आपको वाईफाई, हीटर, खान-पान सब मिलता है।
खाना-पीना
जैसे कि ऊपर बताया कि यहाँ एक रसोइया भी है जो आपकी इच्छानुसार कुछ भी बना सकता है। करना आपको बस ये है कि अपने खाने की मेन्यू पहले ही बता देनी है क्योंकि उन्हें भी सामान लाना होता है। ये रसोइया काफी स्वादिष्ट खाना बनाता है और इसके हाथ की दाल मखनी तो लाजवाब ही है। स्नैक्स में पकौड़े, सैंडविच, फ्रेंच फ्राई से लेकर डेज़र्ट में मिठाई और आइसक्रीम, सब बना सकता है ये।
कब जाएँ
बारिश के महीने के अलावा 'द सिलवन विला' साल के किसी भी वक्त के लिए एक बहुत ही बेहतरीन जगह है। गर्मी में आपको यहाँ साफ नीला आसमान दिखेगा तो ठंड में तैरता कोहरा। अक्टूबर का महीना लाजवाब है क्योंकि तब यहाँ प्रकृति के सभी रंग दिखते हैं।
कैसे जाएँ?
यहाँ आने के लिए रेल, हवाई और रोड, तीनों माध्यम हैं।
हवाई यात्रा: धर्मपुर का निकटतम एयरपोर्ट चंडीगढ़ है जहाँ उतरकर आप धर्मपुर के लिए टैक्सी या लोकल बस ले सकते हैं।
रेल यात्रा: कालका रेलवे स्टेशन तक ट्रेन से आने के बाद आप यहाँ से टॉय ट्रेन लेकर धर्मपुर आ सकते हैं। डेढ़ घन्टे की इस टॉय ट्रेन यात्रा का किराया महज ₹30/- है।
सड़क यात्रा: दिल्ली से धर्मपुर 280 कि.मी. दूर है और अगरआप अपनी गाड़ी से आ रहे हैं तो 6-7 घन्टे की यात्रा में आराम से यहाँ पहुँच जाएँगे। सोलन के लिए भी बस हैं जहाँ उतरकर आप लोकल बस लेकर यहाँ आ सकते हैं।
'द सिलवन विला' और धर्मपुर में क्या करें?
कसौली 'द सिलवन विला' से बस 15 कि.मी. दूर स्थित है। बस या टैक्सी लेकर आप कसौल घूमने का सकते हैं। घूमने के लिए कसौल में क्राइस्टचर्च, मंकी पॉइंट, हेरिटेज मार्केट जैसी जगहें हैं। अगर आप सूर्यास्त देख सकें तो और भी अच्छा है। 'द सिलवन विला' के आसपास तस्वीरें भी खिंचवा सकते हैं। चीड़ के वनों की भी यात्रा कर सकते हैं। चीड़ के पेड़ों के बीच 10 मिनट चलकर आप पास के स्टेशन पर जाकर टॉय ट्रेन की यात्रा भी कर सकते हैं। 'द सिलवन विला' आने के बाद आप खुद ही अपने लिए वक्त निकालना सीख जाएँगे।
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