इस गाँव में केवल हिन्दू और जैन परिवार रहते हैं

Tripoto
Photo of इस गाँव में केवल हिन्दू और जैन परिवार रहते हैं by Rishabh Bharawa

जैन धर्म में 24 तीर्थंकरों की पूजा की जाती हैं।"तीर्थंकर" शब्द दो शब्दों "तीर्थ" और "कर" से मिलकर बना है। "तीर्थ" का अर्थ होता है "पवित्र स्थान" या "आध्यात्मिक मार्ग" और "कर" का अर्थ है "सृजन करने वाला" या "निर्माण करने वाला"। इसलिए, "तीर्थंकर" का शाब्दिक अर्थ होता है "पवित्र स्थान बनाने वाला" या "आध्यात्मिक मार्गदर्शक"।मतलब तीर्थंकर उन आध्यात्मिक मार्गदर्शकों को कहा जाता है जिन्होंने आत्मज्ञान प्राप्त किया है और जो दूसरों को मोक्ष की ओर मार्गदर्शन करते हैं। जैन धर्म के 24 तीर्थंकर अलग-अलग कालखंड में हुए हैं जिनमें प्रथम हैं भगवान ऋषभदेव जी और 24वें तीर्थंकर हैं भगवान महावीर स्वामी।

ऋषभदेव जी का जन्म करीब 10000 साल पहले का माना जाता हैं। इनका जन्म अयोध्या में इक्ष्वांकु वंश में हुआ हैं। इक्ष्वांकु वंश में ही भगवान राम का जन्म हुआ था। भगवान राम का जन्म 20वें तीर्थंकर के समयकाल का माना जाता हैं। हर तीर्थंकर का एक चिन्ह होता हैं ,ऋषभदेव जी का चिन्ह वृषभ (बैल) हैं। इन्हे ही आदिनाथ जी ,वृषभनाथ जी के नाम से अलग-अलग हिन्दू और जैन ग्रंथो में पुकारा गया हैं। ऋषभदेव जी के पुत्र भरत के नाम पर ही हमारे देश का नाम "भारत " पड़ा हैं।वैसे ,हिन्दू व जैन ग्रंथो में भारत को जम्बूद्वीप या आर्यावर्त नाम से पुकारा गया हैं।हिन्दू पुराणों में ऋषभदेव जी को भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से एक माना गया हैं।इन्होने मोक्ष कैलाश पर्वत पर पाया था।

उदयपुर से 65 किमी दूर अहमदाबाद रोड पर ऋषभदेव नाम का एक नगर पड़ता हैं ये फोटोज वही के हैं। यहाँ ऋषभदेव जी का काफी प्राचीन और विशाल मंदिर बना हुआ हैं। इस मंदिर तक यहाँ की छोटी-छोटी गलियों में से होकर पंहुचा जाता हैं। यह एक दिगम्बर जैन मंदिर हैं और यहाँ ऋषभदेव जी को केसर चढ़ती हैं इसीलिए इन्हे केशरिया जी भी कहते हैं। यह नगर का सबसे बड़ा मंदिर हैं। ऋषभदेव में मुस्लिम परिवार एक भी नहीं रहता हैं। ऋषभदेव एक आदिवासी इलाके में बसा नगर हैं ,यहाँ के आसपास में आदिवासी भी काफी तादाद में रहते हैं और वे इन्हे काला बावजी के रूप में पूजते हैं।

Photo of इस गाँव में केवल हिन्दू और जैन परिवार रहते हैं by Rishabh Bharawa
Photo of इस गाँव में केवल हिन्दू और जैन परिवार रहते हैं by Rishabh Bharawa
Photo of इस गाँव में केवल हिन्दू और जैन परिवार रहते हैं by Rishabh Bharawa

मंदिर के प्रवेश पर सबसे पहले राधा-कृष्ण का मंदिर आता हैं और मंदिर के परिक्रमा मार्ग में एक छोटा सा शिवालय भी बना हुआ हैं।ऋषभदेव मंदिर में भगवान ऋषभदेव की 3.5 फीट ऊँची काले पत्थर की मूर्ति है, जो एक पद्मासन मुद्रा में विराजमान है।मंदिर की बनावट अंदर और बाहर से एकदम अद्भुद हैं।मंदिर के अंदर फोटोग्राफी निषेध हैं और अंदर की बनावट वाकई बहुत ही अलौकिक लगती हैं। ऋषभदेव में ऋषभदेव मंदिर के बाद दूसरा बड़ा मंदिर एक राम मंदिर हैं जो बस स्टैंड के पास ही बना हुआ हैं।

Photo of इस गाँव में केवल हिन्दू और जैन परिवार रहते हैं by Rishabh Bharawa
Photo of इस गाँव में केवल हिन्दू और जैन परिवार रहते हैं by Rishabh Bharawa

मेरा जन्म यही हुआ था और बचपन में कई गर्मी की छुट्टियां यहाँ निकली हैं।अब जब भीलवाड़ा से अहमदाबाद जाता हूँ तो कभी कभार यहाँ आधे घंटे रुक जाता हूँ। ऋषभदेव जी और राममंदिर में दर्शन कर आता हूँ। मेरी मम्मी यहाँ के जैन परिवारों में मिलने वाले पापड़ खरीद लेती हैं ,पहाड़ी लोगों के द्वारा उगाई सब्जियां ले लेती हैं। यहाँ आमपाक भी काफी खाया जाता हैं। अब तो यहाँ हमारा परिवार कोई रहता नही हैं लेकिन हम यहाँ रुक कर यहाँ की वो गलियां घूम आते हैं ,जहाँ बचपन की छुट्टियां निकलती थी। आज भी वे गलियां ,घर ,दुकानें एकदम वैसी ही हैं जैसी मैं बचपन में देखता था।

Photo: 19 July 2024

-ऋषभ भरावा