क्या आप जानते हैं थाईलैंड के इस अजीब रिवाज़ों वाले गाँव के बारे में ?

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Photo of क्या आप जानते हैं थाईलैंड के इस अजीब रिवाज़ों वाले गाँव के बारे में ? by Rishabh Bharawa

ये जो निचे फोटोज आप देख रहे हैं ये थाईलैंड के "चिआंग मई" क्षेत्र के "लॉन्ग नैक विलेज/ Long Neck Village " के हैं। जैसा कि नाम से और फिर फोटो को देखकर आप समझ गए होंगे कि आज आगे बात होगी उस जनजाति की जिनकी गर्दन लम्बी होती हैं। अब ये गर्दन जन्मजात लम्बी होती हैं या इन्हे लम्बी की जाती हैं ,और अगर लम्बी की जाती हैं तो इसका कारण क्या है ,इन सब बातों को जानने के लिए आगे बढ़ते हैं।

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इस अप्रैल में 15 दिनों के लिए थाईलैंड गया था अपने एक मित्र के साथ। हमने प्लानिंग की थी कि कुछ हटकर जगहें ज्यादा से ज्यादा घूमेंगे फिर 15 दिनों में हमने थाईलैंड को नार्थ से साउथ तक बढ़िया घुमा। थाईलैंड को अच्छे तरीके से कैसे घूमें ,इस पर फिर मैंने 3 आर्टिकल्स भी लिखे ,जिन्हे आप फेसबुक पर #traveltalesbyrishabh पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं या यही मेरी वाल पर भी पढ़ सकते हैं। हम सबसे पहले अहमदाबाद से बैंगकॉक के DMK एयरपोर्ट गए और वही से सीधे थाईलैंड के नॉर्थ में बसे चिआंग-मई शहर की फ्लाइट ले ली। चिआंग-मई में सामान्यत: भारतीय टूरिस्ट काफी कम जाते हैं।लेकिन असल में , यह जगह वाकई में थाईलैंड की एक अनोखी जगह हैं ,क्योंकि यहाँ समुद्र नहीं मिलेगा ,बल्कि मिलेंगे पहाड़ ,अलग -अलग रंगो के मठ , ट्रैकिंग एरिया ,बॉर्डर एरिया ,और मिलेगी अत्यधिक भीड़ भाड़ से राहत। यही चिआंग-मई से चिआंग-राइ शहर जाते समय हम पहुंचे,चिआंग-मई से मात्र 30 मिनट की ड्राइव जितनी दुरी पर स्थित एक अनोखे गाँव में ,जिसको कुछ अंतराष्ट्रीय संस्थाएं आज भी human-zoo बोलकर इस गांव में पर्यटन का विरोध भी करते हैं।

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यह गाँव प्रसिद्द हैं लम्बी गर्दन वाली महिलाओं के लिए।हम मैन हाईवे से सीधे एक ग्रामीण एरिया की तरफ गए और दूरी पर हम गाडी से ऐसी जगह उतरे जहाँ एक छोटा सा तालाब बना हुआ था ,कुछ झोपड़ियां नजर आ रही थी। पक्षियों के चहचहाने और बच्चो के खेलने कूदने की आवाज़ के अलावा वहां कोई आवाज़ नहीं थी। झोपड़ियों में केले के पेड़ों पर केले लगे हुए थे। फिर एक टिकट काउंटर बना हुआ था ,गाँव का वही से प्रवेश था। टिकट 300THB (700रूपये ) था। बस फिर वही से थोड़ा आगे जाते ही हमें छोटी-छोटी दुकाने नजर आई जो लकड़ी और घास-फुस से बनी हुई थी। उन्ही के आसपास कई महिलाएं अपनी प्यारी सी मुस्कराहट से हमारे स्वागत के लिए खड़ी थी ( थाईलैंड को land of smile कहा जाता हैं ,यहाँ हर इंसान आपको स्माइल करता हुआ मिलेगा /बात करेगा )... उन्होंने देखा कि कुछ टूरिस्ट आ चुके हैं गाँव में ,तो अब शायद उनकी दूकान से कोई कुछ खरीदेगा।

महिलाओं के गले में ब्रास की रिंग्स नजर आ रही थी,उन रिंग्स में उनकी गर्दन वास्तव में सामान्य गर्दन से लम्बी दिख रही थी। दूकान के पीछे ही इनके कच्चे घर भी थे। एक बड़े प्रांगण में करीब 25 दुकाने यहाँ थी। सभी पर उस गांव से जुड़े हैंडीक्राफ्ट्स मिल रहे थे। दुकानों के बाहर से निकलते समय वहां बैठी महिलाये अभिवादन करती हैं ,खुद के साथ फोटोज लेने के लिए आमंत्रित करती हैं ,अपनी दूकान पर मिल रही चीजों की जानकारियां देती हैं। गाँव की इस प्रथा की जानकारी भी देती हैं। अच्छा एक और बात ,यहाँ हर तरफ केवल महिलाये ही थी ,वो भी अपनी पारम्परिक वेशभूषा में ,आदमी कही भी नहीं थे। यहाँ हमने करीब आधा घंटा बिताया था ,कुछ यादगिरी खरीदी और आगे बढ़ गए।

थाईलैंड में ऐसे करीब आधा दर्जन गाँव हैं जिन्हे Kayan Long Neck Villages कहते हैं। इनमें रहने वाली यह जनजाति में महिलाओं के गले में ब्रास की भारी रिंग्स पहनाई जाती हैं ताकि इनकी गर्दन लम्बी हो सके।

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गर्दन लम्बी करने के पीछे कारण यह हैं कि -

1. इनकी जनजाति में लम्बी गर्दन स्त्रियों में सुंदरता का प्रतिक हैं।

2. इनकी जनजाति की पहचान ही लम्बी गर्दन हैं तो इस विरासत को बचाने के लिए स्त्रियां गर्दन लम्बी करवाती हैं।

3. प्राचीन समय में यह परम्परा इनमें इस विचार से पनपी कि इस से स्त्रियां बुरी शक्तियों से बची रहती है।

अब इनकी गर्दन लम्बी करने के लिए लड़कियों को 5 वर्ष की आयु से ही एक-एक रिंग पहनाना शुरू कर देते हैं। ये रिंग्स काफी भारी होती हैं। इस से इनके कन्धों पर वजन लगातार पड़ा रहता हैं जो शुरुवात में एक पीड़ादायक चीज होती हैं लेकिन धीरे-धीरे शरीर इस पीड़ा के लिए अनुकूल हो जाता हैं और धीरे-धीरे उम्र बढ़ने के साथ-साथ रिंग्स बढ़ा दी जाती हैं। अब असल में ,इस वजन से होता यह हैं कि कंधे निचे जाने लग जाते हैं ,गर्दन की लम्बाई नहीं बढ़ती। मतलब यह हैं कि असल में इन लोगों की गर्दन लम्बी नहीं होती बल्कि कंधे निचे हो जाते हैं जिस से मुँह और कंधो के बीच दूरी बढ़ जाती हैं जिससे गर्दन की लम्बाई बढ़ी हुई प्रतीत होती हैं।

यह जनजाति मूल रूप से थाईलैंड की नहीं हैं,बल्कि ये लोग मुख्य रूप से म्यांमार के हैं जो 1980 से 1990 के बीच वहां छिड़े विवाद और युद्ध के कारण थाईलैंड भाग आये और शरणार्थी की तरह यहाँ बस गए।इन्हे Kayan Lawhi जनजाति बोला जाता हैं। ये लोग थाईलैंड में टूरिज्म से अपना घर-बार चला रहे हैं ,लोग इन्हे देखने आते हैं और इनसे सामान खरीदते हैं ,इसी से इनका गुजारा होता हैं। इनके गावों को human zoo बोलकर कई दफा विवाद भी हुए लेकिन असल में ,एक रिपोर्ट के मुताबिक ये लोग थाईलैंड में ज्यादा सुरक्षित हैं ,अपना अच्छा गुजारा कर रहे हैं।महिलाओं को अब रिंग पहनने की कोई पाबन्दी भी नहीं हैं।इन्ही के गाँवों में अब ये लोग होमस्टे भी चलाने लग गए हैं।

खैर,चिआंग मई में यह एक must visit जगह लगी।

-ऋषभ भरावा