Tripoto के बारे में आप सभी जानते ही हो बताने की जरूरत ही नही।
Tripoto के जो भी पैकेज है माइंडफुल रिट्रीट है वो सभी बहुत अच्छे और लग्जरी कमरों वाले है।
ऐसे ही एक tripoto का माइंडफुल रिट्रीट है बीड़ का जिस में 3 दिन और 2 रात का पैकेज है साथ में आप को बुद्ध धर्म की मिनिस्ट्री दिखाते है, वाटरफॉल और सब से अच्छा एडवेंचरस इवेंट पैराग्लिंडिंग जो धोलाधार के बर्फीले पहाड़ों पर करवाई जाती है। आज के ब्लॉग में इसी माइंडफुल रिट्रीट के बारे में बात करेंगे।
हमारी यात्रा शुरू होती है पंजाब के मोगा जिले के बाघा पुराना से 2 अप्रैल की सुबह को।
हमारा पैकेज 2 से 4 अप्रैल तक का था। हम अपनी कार से ही गए थे।
हम सुबह 7 बजे बाघा पुराना से चले थे। रास्ते में मेरी 1 साल की बेटी को उल्टी आने लग गई थी, हमें लगा कि वापिस चले जाना चाहिए परंतु फिर हम ने दवाई दे दी और आगे चल पड़े। डर तो था कहीं बेटी ज्यादा बीमार न हो जाए। भगवान का नाम लेकर हम आगे चल पड़े।
रास्ते में पहले घर से बनाया हुआ नाश्ता किया, साथ में काफ़ी ली। रास्ते के लिए कोल्डड्रिंक लिया। इसके बाद हम चलते गए होशियारपुर से होते हुए हम हिमाचल प्रदेश में प्रवेश कर गए। ऊना, गगरेट से जाते हुए हम थोड़ा सा रास्ता भटक गए। जीपीएस ने हमे हाईवे की जगह ऐसे रास्ते भेजा जो काफी घुमावधार और सिंगल रोड थी। कोई आता जाता भी नहीं था, जंगल के बीच में हो कर गुजरता था। 15 -20 किलोमीटर ऐसे ही चलते रहे। एक घंटा ऐसे ही लग गया फिर हम आखिर में हाईवे पर चढ़ गए। जीपीएस अभी भी 2 घंटे ओर दिखा रहा था, हमने सोचा था रास्ते में शोभा सिंह की आर्ट गैलरी जो अध्रेता गांव में है वो देखेंगे मगर उसका टाइम 5 बजे तक ही था इस लिए हम 5 तक न पहुंच सकने के कारण देख न सके। रास्ते में ज्यादा समय लगने के कारण ऐसा हुआ दूसरा हल्की बारिश भी हो रही थी इस लिए हम ने बिना रुके आगे बढ़ना ही अच्छा समझा। फिर भी हमें 6 बज गए थे मंजिल पर पहुंचते हुए।
कठिन रास्तों की मंजिल बहुत ही खूबसूरत होती है, वैसे ही ओम्य बीड़ कैंप था। बाहर से इतना पता नही चलता मगर भीतर से बहुत ही सुंदर है। हमारा सामान एक ट्री हाउस 🌲 में रख दिया गया। हमने टैंट ⛺ हाउस के बारे में भी पूछा। मिस्टर कुलदीप जो हमें आसिएंट कर रहे थे उन्होंने ने बताया कि आप कुछ भी ले सकते हो ट्री हाउस और टैंट हाउस में से मगर ट्री हाउस ज्यादा अच्छा है क्यों कि वहां से माउनटेंस का दृश्य बहुत सुंदर दिखता है। फिर हम ने ट्री हाउस में ही स्टे किया। ट्री हाउस में एक कमरा जिस की 3 दीवारों शीशे की थी जो दृश्य देखने के लिए उत्तम है। एक साइड वाशरूम था। सीढ़ियों के साथ छोटी बहुत सुंदर बालकनी भी थी जिस में एक टेबल और 2 कुर्सी लगी हुई थी।
थके होने के कारण हम ने कॉफी ट्री हाउस में ही मंगवा ली थी जो पैकेज का ही हिस्सा थी। कॉफी पी कर हम ने थोड़ा सामान सेट करके रखा। तभी सूरज छिपने लगा जिसका बहुत अद्भुत दृश्य शीशों की दीवार में से दिख रहा था।
थोड़ा आराम करने के बाद हम नीचे आ गए, 9 बजे डिनर के लिए बोल कर हम थोड़ा मार्केट में देखने चले गए। थोड़ा बहुत इधर उधर देखा फिर हम एक छोटी सी दुकान से मोमो खाए, बहुत ही स्वादिष्ट थे। वहा पर एक लड़के के पास छोटा पिल्ला था जो मेरी बेटी से खेलना चाहता था मगर बेटी डर कर भाग रही थी। थोड़ा बहुत देख कर वापिस ट्री हाउस में आ गए। डिनर भी वहीं पर आ गया। डिनर। भी बहुत स्वादिष्ट था, चिकन, बेटी के लिए दाल, सलाद और चपाती।खाना खा कर थोड़ी देर बाद हम सौ गए।
रात को 2 बजे बेटी के लिए दूध चाहिए था, हमने कॉल किया दूध दे कर गए। हमारी बहुत मदद की गई।
ओम्य बीड़ कैंप वाले बहुत ही ज्यादा मददगार है।
अगले दिन सुबह मौसम साफ था शीशे से बाहर देखा तो प्रकाश के प्रवर्तन के कारण ऐसे लग रहा था जैसे बेड पेड़ों के बीच हो और मेरी बेटी पेड़ों में सोती होई दिख रही थी। बहुत गज़ब का नज़ारा था। फिर सूरज निकलने के कारण यह नजारा दिखना बंद हो गया। हम रेडी हो कर नीचे आए। सबसे पहले पैराग्लिंडिंग का सोचा एक बड़ी समस्या थी बेटी को संभालने की। पैराग्लिंडिंग करने से पहले नाश्ता भी नही कर सकते थे। पहले मेरे पति देव गए, तब तक बेटी मेरे पास थी।
पैराग्लिंडिंग बिलिंग से होती है जो बीड़ से 15 किलोमीटर पर है रास्ता छोटी सड़क वाला घुमाव वाला होने के कारण 45 मिनट लग जाते है। पति देव को बहुत समय लग गया तब तक मेरी बेटी पहले तो कैंप में घूमती रही। फिर मैं अपनी बेटी को लेकर ग्राउंड में आ गई जहां पर पैराग्लिंडर लैंड करते है बहुत बड़ा ग्राउंड है। आसमान में बहुत सारे पैराग्लाइडर दिख रहे थे ऐसे लग रहा था जैसे आसमान में गुबारे उड़ रहे हो। एक ओर बर्फ के पहाड़ दिख रहे थे , दूसरी ओर बिलिंग जहां से पैराग्लिंडिंग होती है वो दिख रहा था, वहा पर अब काले बादल दिखने लग गए थे। तभी पति देव लैंड कर गए। लैंड करने के बाद हमने वीडियो की क्लिप अपने फ़ोन में ली, कुछ पिक्चर्स करवाई जिसका अलग से 200 रुपए लेते है। इस के बाद पति देव ने पैराग्लिंडिंग के बारे में बहुत कुछ बताया कहा बहुत मज़ा आया मुझे लगा मुझे भी अभी ही पैराग्लिंडिंग करनी चाहिए। परंतु तब मौसम खराब होने के कारण पैराग्लिंडिंग बंद हो गई। बारिश होने लग लगी। हमने नाश्ता किया मिक्स पराठे दही मक्खन और चाय के साथ। भूख भी बहुत लगी थी खाना खाने के बाद थोड़ा आराम किया बारिश रुकने का इंतजार किया मगर बारिश रुकी नहीं थोड़ी कम होई तो हम चले गए बुद्ध मिनिस्ट्री देखने और साथ में बैजनाथ मंदिर भी। वैसे तो पेकेज में वाटरफॉल था मगर उसके के लिए 200 मीटर पानी में चलना पड़ता था, छोटी बेटी के साथ मुश्किल था और बारिश भी थी इस लिए हमने वाटरफॉल देखने जाना ठीक नहीं समझा।
बारिश में ही मिनिस्ट्री देखने गए।पहले एक बैरियर पर रजिस्ट्रेशन करवानी पढ़ती है वो करवाई। कुछ समय हम कार में ही बैठे रहे बारिश बहुत ज्यादा तेज थी कार से निकला ही नही जा रहा था, बीच बीच में गढ़े हेल भी गिर रहे थे। थोड़ी बारिश रुकने के बाद हम।मिनिस्ट्री के अंदर गए। मिनिस्ट्री में पूजा हो ने के कारण पहले जल से शुद्धिकरण किया गया फिर हम अंदर गए आगे बहुत खुली और सुंदर मिनिस्ट्री थी। मिनिस्ट्री के अंदर पिक्चर लेने की मनाही है। बाहर से पिक्चर ली। भीतर बहुत ही सुंदर शांत था। महात्मा बुद्ध की बहुत बड़ी मूर्ति थी। कुछ बोधी पूजा पाठ कर रहे थे , बहुत ही ज्यादा शांति थी।
मिनिस्ट्री देख कर हम बैजनाथ के लिए चले गए जो 8 किलोमीटर था। हल्की बारिश में ही बैजनाथ देखा। कार पार्किंग के 70 रुपए बहुत ज्यादा लगे परंतु देने ही पढ़े। बैजनाथ देखने के बाद वापिस कैंप में आ गए लंच किया लंच में मटर पनीर , जीरा आलू, चावल और चपाती थी। लंच करने के बाद हम ट्री हाउस में चले गए। मोबाइल चलाया थोड़ी रेस्ट की। बारिश न रुकी जिसके कारण मेरी पैराग्लिंडिंग न हो सकी। शाम को हम काफी पीने के बाद हम बारिश में ही शॉपिंग के लिए मार्केट गए। बच्चों के लिए कुछ समान खरीदा। सामान बहुत मंहगा मिल रहा था, पंजाब जैसा ही सामान था, दुकानदार बता रहे थे कि ज्यादा तर समान पंजाब के लुधियाना से ही आता है। फिर हम वापिस कैंप में आ गए। डिनर ट्री हाउस में ही मंगवा लिया। बेटी के लिए दूध गर्म करवा लिया। रात के लिए दूध गर्म करने के लिए केटल ले ली। मुझे पैराग्लिंडिंग न होने का बहुत अफसोस हो रहा था।क्या कर सकते थे बारिश रुक ही नही रही थी। पूरी रात बारिश होती रही।
सुबह मौसम साफ लग रहा था, पैराग्लिंडिंग होने ही उम्मीद जागी। जल्दी से तैयार हो गए, ड्राइवर लेट होने के कारण 8 बज ही गए निकलते निकलते। थोड़ा आगे जाने के बाद रुक कर फॉर्म भरना पड़ता है, पैराग्लिंडिंग के लिए रजिस्टर करवाने के लिए 75 रुपए लगते है। करीब 9 बजे के आस पास मैं बिलिंग आ गई। बहुत ही ज्यादा ठंड थी। हाथ पैर सुन हो रहे थे। पायलट बहुत तज्बेकार था, 12 साल का तजुर्बा था। बहुत अच्छे से टेक ऑफ करवाया थोड़ा डर भी लगा। भाग कर टेक ऑफ करना पड़ता है। उपर जो नजारा होता है वो शब्दों में बयान करना मुश्किल है। पहाड़ों के बीच में से पंछी की तरह उड़ रहे हो। घर छोटे छोटे दिख रहे थे , भेड़े दिख रही थी, हमारा कैंप साइट भी दिख रही थी। बहुत अच्छा लग रहा था। पायलट ने थोड़ा बहुत जिग जैग भी किया। बहुत अच्छे से लैंड करवाया। वीडियो मोबाइल में ली और वापिस कैंप में आ कर नाश्ता किया ब्रेड ऑमलेट का। कॉफी पी । अच्छी यादों के साथ विदा ले कर निकल पड़े। रास्ते में पालमपुर, कांगड़ा थोड़ा रुके। करीब रात के 7 बजे तक हम बाघा पुराना पहुंच गए।
ऐसे ही हमारा tripoto का माइंडफुल रीट्रीट बहुत शानदार रहा।
धन्यवाद।