पर्यटकों को मिलेगा भगवान राम से जुड़ने का सुनहरा मौका, जल्द शुरू होगा राम वनगमन मार्ग पर काम

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Photo of पर्यटकों को मिलेगा भगवान राम से जुड़ने का सुनहरा मौका, जल्द शुरू होगा राम वनगमन मार्ग पर काम by Rishabh Dev

यूपी में सरकार की नई पहल के अंतर्गत अब प्रदेश में राम वनगमन मार्ग तैयार किया जाएगा। राम वनगमन मार्ग दरअसल उन रास्तों के समूह है जिनसे होकर प्रभु श्री राम वनवास के लिए गए थे। उन रास्तों के विकास और विस्तार के लिए ये नया प्रोजेक्ट शुरू किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि लोक निर्माण विभाग इस परियोजना पर लंबे समय से काम कर रहा है। अयोध्या से चित्रकूट तक बनने वाले इस मार्ग को राम वनगमन मार्ग नाम दिया गया है।

दरअसल माना जाता है कि अयोध्या से श्रीलंका तक का 14 साल के वनवास में भगवान श्री राम ने कई किलोमीटर का सफर तय किया था। इसमें लगभग 248 ऐसे प्रमुख स्थल थे जहाँ उन्होंने विश्राम किया और या तो वे किसी महत्वपूर्ण घटना से जुड़े हुए हैं। ये सभी स्थान आज भगवान श्री राम की स्मृति में याद किए जाते हैं। इन स्थानों में से यूपी में 5, मध्यप्रदेश में 3, छत्तीसगढ़ में 2, महाराष्ट्र में 3, आंध्रप्रदेश में 2, केरल में 1, कर्नाटक में 1, तमिलनाडु में 2 और श्रीलंका में 1 जगह है। अब इनमें से 20 जगहों को ऐतिहासिक राम वनगमन मार्ग से जोड़ने की तैयारी की जा रही है। इसमें हर राज्य इन पवित्र स्थलों को विकसित करने की ओर काम कर रहा है।

तीन चरणों में किया जाएगा मार्ग का निर्माण

श्रेय: टाइम्स ऑफ इंडिया।

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अयोध्या से चित्रकूट तक के इस मार्ग का निर्माण 3 चरणों में किया जाना प्रस्तावित है। इसके साथ ही मार्ग जिन कस्बों औए इलाकों से गुजरेगा उनका भी विकास इस परियोजना में शामिल किया गया है। इस प्रोजेक्ट के तहत इन सभी इलाकों के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विकास के साथ साथ इनको आर्थिक मजबूती प्रदान करने की भी बात कही जा रही है।

बताया जा रहा है कि फिलहाल लोक निर्माण विभाग ने इस परियोजना का पूरा नक्शा तैयार कर लिया है और जल्द ही भूमि अधिग्रहण, एलाइनमेंट और परियोजना से जुड़ी अन्य प्रक्रियाओं पर काम शुरू कर दिया जाएगा।

गाज़ियाबाद की कंपनी को सौंपी गई है ज़िम्मेदारी

कालपनिक तस्वीर, श्रेय: इंडियाग्राम न्यूज।

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राम वनगमन मार्ग का निर्माण करने की ज़िम्मेदारी गाज़ियाबाद की एक कंपनी को सौंपी गई है। पहले चरण में प्रतापगढ़ के मोहनगंज से प्रयागराज के अवतारपुर तक दो लेन की सड़क बनाई जाएगी जो लगभग 35 किलोमीटर लंबी होगी। इस प्रोजेक्ट में कुल 3500 करोड़ रुपए का खर्च आने का अंदाजा लगाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि पहले चरण का काम सालभर में पूरा कर लिया जाएगा। वहीं दूसरे एयर तीसरे चरण का प्रस्तावित कार्यक्रम राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय को भेजा गया है।

इन जगहों से गुजरेगा राम वनगमन मार्ग

श्रेय: अमर उजाला।

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मौजूदा रिपोर्टों के अनुसार ये मार्ग अयोध्या से शुरू किया जाएगा। अयोध्या के बाद ये सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, श्रृंगवेरपुर धाम, मंझनपुर, राजपुर होते हुए चित्रकूट तक जाएगा। इस 210 किलोमीटर लंबे प्रोजेक्ट में अयोध्या नगरी को चित्रकूट से जोड़ने का काम किया जाएगा। बताया जा रहा है कि ये सभी जगहें भगवान श्री राम के प्रति आस्था और संस्कृति के बड़े केंद्रों के रूप में देखे जा रहे हैं और वनगमन मार्ग के निर्माण के बाद ये और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाएंगे।

ये है वनगमन मार्ग का विस्तृत कार्यक्रम

हर राज्य में इस मार्ग के विकास पर काम किया जा रहा है। जिसका विस्तृत कार्यक्रम ये है:

यूपी

1. तमसा नदी: अयोध्या से 20 किमी. दूर महादेवा घाट से दारागंज तक वनगमन मार्ग का 35 किमी.।

2. श्रृंगवेरपुर: गोमती नदी के दूसरी ओर प्रयागराज से 20-22 किमी. आगे श्रृंगवेरपुर जिसको अब सिंगरौर कहते हैं।

3. कुरई: सिंगरौर के नजदीक गंगा पार कुरई में एक मंदिर है जहाँ भगवान श्री राम, लक्ष्मण औए सीता ने ठहरकर आराम किया था।

4. प्रयाग: संगम के पास यमुना नदी पार कर यहाँ से चित्रकूट पहुँचे।

5. चित्रकूट: चित्रकूट में भरत श्री राम को मनाने के लिए अपनी सेना के साथ पहुँचे थे। यहाँ राम ने साढ़े ग्यारह साल गुजारे थे।

मध्यप्रदेश

1. सतना: चित्रकूट के आगे सतना है जहाँ अत्रि ऋषि आश्रम था।

2. अमरकंटक या शहडोल: जबलपुर और शहडोल होते हुए अमरकंटक पहुँचे थे।

छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में सबसे पहले भगवान श्री राम सरगुजा के कोरिया जिले के सीतामढ़ी हरचौका पहुँचे थे। रायपुर से 27 किमी. दूर स्थित चंदखुरी के कौशल्या माता मंदिर के पास वनगमन मार्ग विकसित किया जाएगा।

महाराष्ट्र

पंचवटी, नासिक में श्रीराम अगस्त्य मुनि के आश्रम गए थे। सर्वतीर्थ और मृगव्याधेश्वर में भी श्रीराम के निशान हैं।

आंध्रप्रदेश

भद्राचलम शहर में राम-सीता मंदिर है जो भद्रगिरि पर्वत पर है। खम्माम जिले के भद्राचलम को भी राम वनगमन पथ से जोड़ा जाएगा।

केरल

केरल में पम्पा नदी के किनारे शबरी आश्रम पहुँचे थे। यहीं शबरी का आश्रम था।

कर्नाटक

ऋष्यमूक पर्वत और किष्किन्धा कर्नाटक के हम्पी में स्थित है जहाँ श्रीराम ने हनुमान और सुग्रीव से भेंट की थी जिसके बाद तमिलनाडु में सेना का गठन किया गया था।

तमिलनाडु

रामेश्वरम के समुद्र तट से राम की सेना ने श्रीलंका की ओर कूच किया था। इस जगह एक शिवलिंग स्थापित किया गया था। ये जगह धनुषकोडी के नाम से जानी जाती है।

इन सभी जगहों को सड़क के रास्ते जोड़ने की परियोजना भविष्य में आने वाली तमाम संभावनाओं के नजरिये से देखी जा रही है।

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