The Last Indian Village with No Boundary

Tripoto
20th Mar 2021
Day 2

त्रिपुरा यात्रा 2
मुझे लगता है कि बाँस और NH8 त्रिपुरा की लाइफलाइन हैं। बाँस का जिक्र तो मैं पहले भी कर चुका हूँ तो आज NH8 की बात। अगरतला से निकल कर दक्षिण त्रिपुरा की तरफ नाक की सीध में अगर चलेंगे तो अंत मे जाकर खड़े मिलेंगे भारत के अंतिम गाँव सबरूम के आखरी छोर पर। आखरी छोर ऐसा की यदि वहाँ से हल्के हाथ से भी एक पत्थर फेंका जाए तो सीधा बांग्लादेश में जाकर गिरेगा।
मैंने सोचा था कि शायद त्रिपुरा में सड़कों की हालत अच्छी ना हो। इसी सोच अनुसार मैं मानसिक रूप से तैयार था उबड़ खाबड़ सड़क पर आज के सफर के लिए। किंतु अगरतला से सबरूम पहुंचने तक मैं सोचता ही रह गया कि सड़क अब खराब आये की तब खराब आये....और NH8 इतना शानदार रोड़ की क्या कहने। सबरूम पहुँचने से पहले रास्ते मे 'गरजी' कस्बे से गुजरती कर्क रेखा को पार किया।
सबरूम में फेनी नदी है जो प्राकृतिक रूप से भारत और बांग्लादेश की सीमा बनाती है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यहां कई जगह कोई कृत्रिम बाड़बंदी नही है। बल्कि फेनी नदी ही यहां सीमा निर्धारण करती है। सबरूम में ही फेनी नदी के ऊपर एक पुल बन रहा है जो सबरूम को बांग्लादेश के साथ सीधे जोड़ेगा। इस पुल का नाम है 'भारत बांग्लादेश मैत्री पुल'। इस पुल का निर्माण भारत सरकार ही करवा रही है। इस पुल के बन जाने से दोनों देशों के बीच व्यापार और सुगम हो जाएगा। साथ ही शायद सड़क के रास्ते बांग्लादेश घूमने जाने वालों को भी एक और ऑप्शन मिल जाएगा, जिस से सीधे कॉकस बाजार पहुँच सकेंगे। सीमा के उस पार बांग्लादेश की तरफ रेल सेवा भी है। आजादी की काफी साल बाद तक जब त्रिपुरा में रेल नही पहुंची थी तो त्रिपुरा वासी यहां सीमा के उस पार रेल देखने भी आते थे। विभाजन के बाद ना फेनी के उस पार का कस्बा हमारा रहा ना उस पार की रेल..। उस पार थोड़ा आगे बांग्लादेश का 'चटगांव' है। विभाजन के बाद चटगांव की पहाड़ियों पर रहने वाले शांतिप्रिय चकमा जनजाति के लोगों पर 'मजहबी' अत्यचार हुए। जिस से तंग आकर करीब 70 हजार 'चकमा' अपने त्रिपुरा और मिजोरम में आ गए थे..। फेनी पर ही 'भैरवी पुल' बना है जिस पर देश विभाजन के समय भारत आ रही हिंदुओं से भरी रेल रोककर जुनूनी लोगों ने निरीह यात्रियों को काटकर फेनी नदी में फेंक दिया था...।
सबरूम में सीमा देखने के अलावा वैसे तो अन्य कोई आकर्षण नही है किंतु फेनी नदी के दर्शन करना और इस प्राकृतिक सीमा तक पहुंचना ही मेरा उद्देश्य था।

वापसी में पिलक के बौद्ध और हिंदू स्मारक भी देखने थे। पिलक NH8 पर ही पड़ता है। पुरातत्व विभाग की खुदाई में यहां सदियों पुराने अवशेष मिले हैं। पिलक में दो स्मारक हैं। 'श्याम सुंदर टीला' और 'ठाकुरानी टीला'। यहां खुदाई में मिले अवशेष देखने लायक हैं।

वीडियो में उपरोक्त दोनों जगहों की छोटी छोटी झलक दिखाई है। यदि संक्षेप में इन दोनों स्थानों की झलक देखने की उत्सुकता हो तो आप मेरा यूट्यूब चैनल देख सकते हैं। चैनल का नाम है - Musafir Man

Photo of The Last Indian Village with No Boundary by Musafir Man
Photo of The Last Indian Village with No Boundary by Musafir Man
Photo of The Last Indian Village with No Boundary by Musafir Man
Photo of The Last Indian Village with No Boundary by Musafir Man