भारत के उत्तर पूर्व की ओर: एक ट्रिप दिल के करीब

Tripoto
Photo of भारत के उत्तर पूर्व की ओर: एक ट्रिप दिल के करीब 1/1 by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

मैने भारत के उत्तर पूर्वी इलाक़े के बारे में बहुत कुछ सुना है | सुना है कि इस भारत के प्राकृतिक रत्नों में से एक है। बाहरी दुनिया से अनजान ये सुंदर सी लुभावनी जगह है | भारत के उत्तर पूर्व के राज्य सदियों पुराने जंगल और विशाल पर्वतों की शृंखलाओं की वजह से जाने जाते हैं। तो जब मैं प्रकृति की गोद में सैर करने निकला तो इस जगह का मेरी यात्रा की लिस्ट में शुमार होना तो जायज़ था ही |

इस इलाक़े में आपको जनजातीय संस्कृतियों, सुंदर परिदृश्यों, सभी प्रकार की जलवायु और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का बेहद सुंदर संगम देखने को मिलता है | इस सपनों की दुनिया में आपको विशाल पर्वतों पर हिमखंड भी मिलेंगे तो आसाम में हरे-भरे मैदान भी दिखेंगे | वन्यजीवों की बहुतायत होने से काज़िरंगा के दलदल भरे घास के मैदानों में आज़ाद चरते राइनो भी दिख जाएँगे | आप बस नाम लीजिए और वो कुदरत का करिश्मा आपको भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों में मिल जाएगा | इस इलाक़े की अनछुई खूबसूरती आपको दीवाना बना देगी |

कब जायें : अक्टूबर से अप्रैल के महीने यात्रा के लिए सबसे अच्छे महीने हैं।

कैसे पहुँचे

गुवाहाटी पूरे उत्तर पूर्वी इलाक़ों के लिए प्रवेश द्वार की तरह है और सभी जगहों से सड़क, वायु और रेल मार्ग द्वारा भली भाँति जुड़ा हुआ है | इसके अलावा आप किराए पर निजी टैक्सी या साझा ट्रैवेलर भी कर सकते हैं या राज्य के सरकारी परिवहन की बसें भी ले सकते हैं | सभी विकल्प बहुत किफायती और बिल्कुल सुरक्षित हैं।

28 अक्टूबर को हमने सुबह जल्द ही अपनी यात्रा की शुरुआत कर दी थी | दिल्ली से होते हुए गुज़रने वाली चंडीगढ़ से गुवाहाटी तक की एक कनेक्टिंग फ़्लाइट ली और फिर शिलांग से एक निजी टैक्सी किराए पर ली। हमारे शिलांग तक पहुँचने तक अंधेरा हो चुका था | मगर हमने अपने कमरे एयर-फोर्स स्टेशन पर पहले ही बुक करवाए हुए थे | ये जगह मुख्य शहर के बाहर की ओर एलीफैंट फॉल्स के पास स्थित थी | सच कहूँ तो मैंने आज तक जितनी भी जगहें देखी हैं, ये उनमे से सबसे साफ और सुंदर जगहों में से एक थी |

Day 1

चेरापूंजी में घूमना-फिरना

पहले दिन हम सुबह जल्दी ही चेरापूँजी घूमने निकल पड़े | इस डेढ़ घंटे की यात्रा में आपको रास्ते में बेइन्तेहां खूबसूरत नज़ारे देखने को मिलते हैं | इस यात्रा में हमारा पहला पड़ाव था :

मॉकडोक डाइम्पेप वैली व्यू प्वाइंट / डुवान सिंग सीईएम पुल

ये पड़ाव सोहरा यानी चेरापूंजी के घूमने लायक इलाक़ों की बस शुरुआत भर ही है | ये सैलानियों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है जहाँ से आप को आस-पास के बेहद खूबसूरत नज़ारे देखने को मिलते हैं| वन विभाग ने यहाँ एक व्यू पॉइंट बनाया हुआ है जहाँ से सैलानी हरी भरी वादियों का मज़ा ले सकते हैं | पुल से 50 से लेकर 100 सीढ़ियाँ उतरने के बाद ही सैलानी इस व्यू पॉइंट पर पहुँच सकते हैं | यह वो पॉइंट है जहाँ से अधिकांश सैलानियों को मॉकडोक डाइम्पेप घाटी के पहली बार दर्शन होते हैं | ये घाटी चेरापूंजी तक फैली हुई है।

अगर आप इस जगह पर सुबह जल्दी पहुँच जाते हैं तो बादलों की अड़चन के बिना पूरे इलाक़े का बेहद सुंदर नज़ारा देखने को मिलता है | जैसे-जैसे दिन बढ़ता जाता है वैसे ही ये पूरा इलाक़ा बादलों से घिर जाता है |

हमारा अगला पड़ाव पुल से 10 से 15 कि.मी. की दूरी पर ही एक और व्यू पॉइंट था | ये व्यू पॉइंट एक घाटी की चोटी पर स्थित है और झरने के नज़दीक होने की वजह से यहाँ से भी आस-पास का नज़ारा देखते ही बनता है | रास्ते में इस स्थान पर ज़रूर रुकें |

Photo of भारत के उत्तर पूर्व की ओर: एक ट्रिप दिल के करीब by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

थोड़ा आगे बढ़ने पर सोहरा से कुछ ही दूर पहले वाह काबा का सुंदर झरना आता है जहाँ भी एक व्यू पॉइंट है | इस व्यू पॉइंट से आप खूबसूरत झरने के लुभावने नज़ारे का आनंद ले सकते हैं | रास्ते में पड़ने वाले इस व्यू पॉइंट को सैलानी अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं |

Photo of भारत के उत्तर पूर्व की ओर: एक ट्रिप दिल के करीब by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

सर्किट की सैर करते हुए आप कई अन्य घूमने लायक जगहों पर भी जा सकते हैं जैसे ज़िंदा वृक्षों की जड़ों से बना डबल डेकर पुल और मॉसस्माई गुफाएँ | अगर आपको संकरी और बंद जगहों से डर लगता है तो गुफ़ाओं से दूर ही रहें | साथ ही यहाँ विश्व प्रसिद्ध सेवन सिस्टर फॉल्स और नोहकालिकाई फॉल्स भी हैं जिसकी दास्तान काफ़ी दर्द भरी है | हमारा दुर्भाग्य था कि हम ये पूरा इलाक़ा ही नहीं देख सके क्योंकि दोपहर तक ये पूरी जगह बादलों से ढक गयी थी और हाथ हो हाथ नज़र नहीं आ रहा था |

ईको पार्क

Photo of भारत के उत्तर पूर्व की ओर: एक ट्रिप दिल के करीब by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

मॉसस्माई गुफ़ाओं के बाहर छोटी से जंगली पगडंडी

Photo of भारत के उत्तर पूर्व की ओर: एक ट्रिप दिल के करीब by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

मॉसस्माई गुफाएँ

Photo of भारत के उत्तर पूर्व की ओर: एक ट्रिप दिल के करीब by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

मॉसस्माई गुफाएँ

Photo of भारत के उत्तर पूर्व की ओर: एक ट्रिप दिल के करीब by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

शिलांग की ओर वापिस लौटते समय जब सूरज पहाड़ियों के पीछे छुपने जा ही रहा था, हम एलीफैंट फॉल्स की सैर करने निकल पड़े | एलीफैंट फॉल्स जिसे ख़ासी लोग क्षयद लाई पेंग खोहस्यू यानी थ्री स्टेप वॉटरफल भी कहते हैं | ये झरना तीन स्तरों में गिरता है और हर स्तर को घेरे हुए सीढ़ियाँ हैं जहाँ खड़े हो कर सैलानी कुछ समय शांति और सुकून के साथ बिता सकते हैं | इस पूरे इलाक़े को घूमने में लगभग 40 से 50 मिनट का समय लगता है |

एलीफैंट फॉल्स का तीसरा और अबसे निचला स्तर

Photo of भारत के उत्तर पूर्व की ओर: एक ट्रिप दिल के करीब by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

शिलांग के स्थानीय इलाक़ों का दौरा

इस दिन बरसात हो रही थी और बरसात के समय पहाड़ी क्षेत्रों में यात्रा करने की सलाह नहीं दी जाती, इसलिए हमने दूसरे दिन शिलांग में ही रुक कर स्थानीय जगहों का दौरा करने का निश्चय किया | शिलांग छोटा ज़रूर है मगर कमाल का सुंदर कस्बा है | शिलांग के दौरे की शुरुआत करने के लिए हम एयर फोर्स स्टेशन के अंदर स्थित शिलांग चोटी की ओर बढ़ चले जहाँ से पुरे शिलांग का स्पष्ट दृश्य देखने को मिलता है |

शिलांग चोटी से दृश्य

Photo of शिलॉंग, Meghalaya, India by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

स्टेडियम

Photo of शिलॉंग, Meghalaya, India by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

वार्ड झील

शिलांग चोटी के बाद हम सुंदर वार्ड झील देखने के लिए बढ़ चले | शिलांग देखने गए हैं तो ये झील देखने ज़रूर जाएँ | झील का नाम आसाम के पुराने समय के मुख्य आयुक्त सर विलियम वार्ड के नाम पर रखा गया है।

वार्ड झील

Photo of भारत के उत्तर पूर्व की ओर: एक ट्रिप दिल के करीब by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

पुलिस बाजार

ये दिन थोड़ा छोटा था तो हमने बाकी का समय शिलांग के पुलिस बाज़ार में बिताया | ये जगह शिलौंग की सबसे प्रमुख जगह है और आप यहाँ जैसा चाहे वैसा भोजन कर सकते हैं | पुलिस बाज़ार में ठहरने के तमाम तरह के विकल्प भी आसानी से मिल जाते हैं |

डौकी और मावलिनोंग

डौकी और मावलिनोंग से हमें ज़्यादा उम्मीदें नहीं थी | मगर हमारी सारी निराशा को धता बताते हुए डौकी और मावलिनोंग में बिताए हुए दिन हमारी यात्रा के सबसे अच्छे दिनों में से थे | यहाँ की यादें मेरे साथ सारी ज़िंदगी रहेंगी | जैंतिया की पहाड़ियों के एक ओर बांग्लादेश है और दूसरी ओर शीशे सी साफ बहती उमंगोट नदी के किनारे बसा है एक छोटा सा कस्बा जिसका नाम है डौकी | डौकी की ओर जाने वाला रास्ता अपने आप में अनोखा ही है | ये सुहान रास्ता लैटलम घाटी से हो कर गुज़रता है और रास्ते में आप बांग्लादेश की सीमा स्पष्ट रूप से देख सकते हैं | इस रास्ते पर की हुई ड्राइव आपके जीवन की सबसे यादगार लम्हों में से एक होगी | रास्ते में एक छोटा सा व्यू पॉइंट भी बनाया हुआ है जहाँ से आप पूरी लैटलम घाटी का विहंगम दृश्य देख सकते हैं |

लैटलम कैन्यन रिज

Photo of मव्ल्य्न्नोंग, Meghalaya, India by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni
Photo of मव्ल्य्न्नोंग, Meghalaya, India by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

डौकी

जैसे ही हम डौकी पहुँचते हैं, हमें खूबसूरत सी उमंगोट नदी को पार करना होता है | शीशे जैसी साफ बहती उमंगोट नदी सैलानियों के बीच काफ़ी मशहूर है और खासी और जेंतिया की पहाड़ियों के बीच से हो कर बहती है | शून्य बिंदु तक सीमा पार जाते-जाते आप के दिल की धड़कने बढ़ जाती हैं और मन में भाईचारे व देशप्रेम की भावना उफान पर होते थे| यहाँ की सीमा काफ़ी दोस्ताना है |

Photo of भारत के उत्तर पूर्व की ओर: एक ट्रिप दिल के करीब by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni
Photo of भारत के उत्तर पूर्व की ओर: एक ट्रिप दिल के करीब by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

कोई भी शब्द या तस्वीर उमंगोट नदी की खूबसूरती बयान नहीं कर सकती |

उमंगोट नदी

Photo of भारत के उत्तर पूर्व की ओर: एक ट्रिप दिल के करीब by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

सिर्फ ₹600 रुपए में आप एक घंटे के लिए उमंगोट नदी की आराम से सवारी कर सकते हैं

Photo of भारत के उत्तर पूर्व की ओर: एक ट्रिप दिल के करीब by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

डौकी नदी में मछली पकड़ने का मज़ा

Photo of भारत के उत्तर पूर्व की ओर: एक ट्रिप दिल के करीब by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni
Photo of भारत के उत्तर पूर्व की ओर: एक ट्रिप दिल के करीब by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

नाव पर सवारी करते करते आप बांग्लादेश की सीमा तक पहुँच जाएँगे जहाँ आप बिना सीमा पार किए बांग्लादेशियों द्वारा बनाई गई चाय का लुत्फ़ ले सकते हैं |

Photo of भारत के उत्तर पूर्व की ओर: एक ट्रिप दिल के करीब by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

मावलिनॉन्ग

डौकी ने तो हमें निरुत्तर छोड़ दिया | यहाँ से निकल कर हमने एशिया के सबसे साफ गाँव मावलिनॉन्ग की ओर यात्रा शुरू की | इस गाँव में तो हर किसी को एक बार आना ही चाहिए।

Photo of भारत के उत्तर पूर्व की ओर: एक ट्रिप दिल के करीब by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

मावलिनॉन्ग एक पुल है जो जीवित वृक्षों की जड़ों से बना हुआ है | इस पुल तक पहुँचने के लिए 300 सीढ़ियाँ चढ़नी होती हैं मगर ये चढ़ाई पूरी तरह से सार्थक हो जाती है | इंसान और प्रकृति साथ में तालमेल बैठा कर चल सकते हैं, ये पुल इस बात का जीता जागता प्रतीक है | यहाँ की स्थानीय जन जातियों ने रबड़ के पेड़ों की जड़ों को बुन कर अपने उपयोग के लिए इस पुल का निर्माण किया है जो अब सैलानियों के लिए एक ख़ास आकर्षण बन गया है |

Photo of भारत के उत्तर पूर्व की ओर: एक ट्रिप दिल के करीब by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni
Photo of भारत के उत्तर पूर्व की ओर: एक ट्रिप दिल के करीब by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni
Day 4


दिन 4: शिलांग से कज़ीरंगा तक

चौथे दिन हम सुबह जल्दी ही काज़ीरंगा के लिए निकल गए। शिलांग से काज़ीरंगा की लगभग 8 घंटे की ड्राइव है और सड़कें बहुत अच्छी हैं। आप इस सड़क यात्रा का पूरा आनंद लेंगे।

हमारी ठहरने की व्यवस्था अरन्या टूरिस्ट लॉज में थी जो असम पर्यटन होटेल का एक हिस्सा है | होटेल के बेहतरीन होने में कोई शक नहीं है और ये होटेल काज़िरंगा का सबसे अच्छा होटेल है | सस्ता होने के साथ ही इस होटेल के कॉटेज बहुत शानदार है | जंगल के बीच में होने के बावजूद यहाँ का खाना बेहतरीन है | यहाँ के कर्मचारी आप की मन से सेवा तो करते ही हैं साथ ही काफ़ी सहयोगी स्वाभाव के भी हैं | अगले दिन उद्यान का पश्चिमी भाग देखने के लिए हमने होटेल से ही एलीफैंट सफारी बुक करवा ली थी | वापिस आते समय रास्ते में हम एक बेहद खूबसूरत झील उमियम के पास रुक गए | झील अभी भी धुन्ध से घिरी थी पर नज़ारा काफ़ी शानदार था |

Photo of काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, Kanchanjuri, Assam, India by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni
Photo of काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, Kanchanjuri, Assam, India by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni
Day 5

काज़ीरंगा सफारी

हमने सुबह जल्दी की ही एलीफैंट सफारी बुक कर ली थी | हमारी सफारी के प्रस्थान का समय सुबह साढ़े पाँच बजे का था इसलिए हम बगोरी सुबह पाँच बजे ही पहुँच गए | अरन्या रहने वाले सैलानियों को पास में रहने से जल्दी पहुँचने की सुविधा मिलती है | इस सफारी में बिताए समय की यादें हमारे दिल में घर कर जाएँगी इस बात का हमें पता नहीं था | लुप्तप्राय जानवरों, खास करके राइनो को करीब से देख कर हम भौचक्के रह गए | महसूस हुआ कि मनुष्य जैसा छोटा प्राणी कितना क्रूर है और ये भीमकाय जानवर कितने शांत और सरल हैं | ज़िंदगी में हर एक को एक बार तो इसका अनुभव करना ही चाहिए | क़ाज़िरंगा भारत का सबसे अच्छा राष्ट्रीय उद्यान है जहाँ जैव विविधता और पशु पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों को करीब से देखा जा सकता है |

यहाँ बिताया हुआ हर लम्हा आप हमेशा याद रखेंगे और शर्तिया यहाँ दुबारा आना चाहेंगे |

Photo of काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, Kanchanjuri, Assam, India by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni
Photo of काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, Kanchanjuri, Assam, India by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni
Photo of काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, Kanchanjuri, Assam, India by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni
Photo of काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, Kanchanjuri, Assam, India by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

बाढ़ की वजह से उद्यान का पचास प्रतिशत से ज़्यादा हिस्सा अभी तक सैलानियों के लिए नहीं खुला है और अभी भी रख रखाव के कार्य के लिए बंद है | मगर उद्यान की सुंदरता ने हमें इतना प्रभावित किया कि हम जीप सफारी लेकर पहुँच गए उद्यान के मध्य भाग में शाम का आनंद लेने और जितना हो सके उतना समय उद्यान में बिताने के लिए | उद्यान का मध्य भाग अभी भी सैलानियों के लिए पूरी तरह से नहीं खुला है मगर फिर भी हमने जीतने भी नज़ारे देखे वो हमारे लिए काफी थे |

Photo of भारत के उत्तर पूर्व की ओर: एक ट्रिप दिल के करीब by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni
Photo of भारत के उत्तर पूर्व की ओर: एक ट्रिप दिल के करीब by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni
Photo of भारत के उत्तर पूर्व की ओर: एक ट्रिप दिल के करीब by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni
Photo of भारत के उत्तर पूर्व की ओर: एक ट्रिप दिल के करीब by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni
Photo of भारत के उत्तर पूर्व की ओर: एक ट्रिप दिल के करीब by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni
Photo of भारत के उत्तर पूर्व की ओर: एक ट्रिप दिल के करीब by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni
Photo of भारत के उत्तर पूर्व की ओर: एक ट्रिप दिल के करीब by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni
Photo of भारत के उत्तर पूर्व की ओर: एक ट्रिप दिल के करीब by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni
Photo of भारत के उत्तर पूर्व की ओर: एक ट्रिप दिल के करीब by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni
Photo of भारत के उत्तर पूर्व की ओर: एक ट्रिप दिल के करीब by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

काज़ीरंगा में हमारा आख़िरी दिन बेहद खूबसूरत पलों से भरा था जिसकी यादें मैं ताउम्र नहीं भूल पाऊँगा | जैसे ही मौका मिलेगा वैसे ही यहाँ घूमने वापिस आ जाऊँगा |

Day 6

गुवाहाटी में वापसी

यात्रा के समाप्त होते-होते हम गुवाहाटी वापिस लौट आए | काज़ीरंगा से गुवाहाटी की ड्राइव चार घंटे की है | चूँकि सड़कें बहुत बढ़िया बनी हुई है तो सफ़र में थकान का पता ही नहीं चलता | वापिस आते हुए हम ने प्रसिद्ध बालाजी के मंदिर और कामाख्या मंदिर के दर्शन किए | भारत के उत्तर पूर्व की यात्रा तब तक पूरी नहीं हो सकती जब तक आप देवी कामाख्या के दर्शन ना कर लें |

हमने अपने दिन की समाप्ति ज़रा धार्मिक अंदाज़ में की और पल्टन बाज़ार में एक होटेल में कमरा बुक कर लिया |

Day 7

गुवाहाटी के स्थानीय पर्यटन स्थलों का दर्शन

यात्रा के आख़िरी दिन हमने गुवाहाटी के स्थानीय पर्यटन स्थलों का भ्रमण करने का निश्चय किया जिसने हमारे करीब चार से पाँच घंटे का समय ले लिया |

उमनंद द्वीप यानी मोर द्वीप की यात्रा करना आज के दिन का सबसे दिलचस्प हिस्सा था | ये दुनिया का सबसे छोटा नदी में स्थित द्वीप है जिस पर लोग रहते हैं | उमानंद द्वीप की चोटी पर 17वी शताब्दी का बना हुआ शिवजी का मंदिर हैं | मोर द्वीप गुवाहाटी से कुछ ही दूरी पर ब्रह्मपुत्र नदी के बीच स्थित है| अगर आपको द्वीप पर जाना है तो सरकारी नाव ले सकते हैं जिसका प्रति व्यक्ति किराया ₹20 है | सरकारी नाव निजी नावों की तुलना में सुरक्षित भी हैं | उमानंद द्वीप पर सुनहरे रंग के लंगूर भी रहते हैं | इस लुप्तप्राय प्रजाति के चार लंगूर आप को इस टापू पर देखने को मिलेंगे | लंगूर देखने के लिए आप किसी चाय की दुकान वाले को मना सकते हैं | दुकान वाला लंगूरों को आवाज़ लगा कर बुला देगा जो मनुष्यों के साथ तालमेल बैठा कर जीना सीख चुके हैं | आवाज़ लगाते ही लंगूर खाने पीने का सामान लेने नीचे आ जाते हैं | इन्हें तस्वीरें खिंचवाने का भी बहुत शौक है | ये अनुभव अपने आप में अनोखा ही है | यूँ कहें कि ये लंगूर तस्वीरें खिचवाने के मामले में भारत के सभी बंदरों की प्रजातियों में सबसे ज़्यादा दोस्ताना व्यवहार रखते हैं |

Photo of गुवाहाटी, Assam, India by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni
Photo of गुवाहाटी, Assam, India by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni
Photo of गुवाहाटी, Assam, India by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni
Photo of गुवाहाटी, Assam, India by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni
Photo of गुवाहाटी, Assam, India by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni
Photo of गुवाहाटी, Assam, India by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

उमानंद टापू के बाद हमने श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र और कुछ स्थानीय मंदिरों का दौरा किया | ये धार्मिक अनुभव काफ़ी अच्छा था और हम कई सारी यादें दिल में समेटे लौट आए |

आखिरी दिन

अलविदा कहने का समय आ गया है

इस साफ सुथरी पावन भूमि, ग़ज़ब के नज़ारों और हरे भरे बागानों को अलविदा कहने का समय हो गया है | दोस्तों, परिवारों और सगे संबंधियों को रोचक कहानियाँ सुनाने के लिए अब और इंतज़ार नहीं कर सकते |

कहाँ रहें

भारत के उत्तर पूर्वी इलाक़ों में ठहरने के लिए अतिथि ग्रह और होटेल लगभग सभी जगह मौजूद हैं | उचित मूल्य और बेहतरीन ख़ान पान की सुविधाओं के साथ ये होटेल जेब के लिए काफ़ी किफायती पड़ते हैं | ख़ास कर के काज़िरंगा के जंगलों के बीच स्थित अरन्या टूरिस्ट लॉज इस मामले में उत्कृष्ट है |

क्या पैक करें

बारिश से बचाव के लिए जैकेट, छतरी, दूरबीन, जूते और मोज़ों के कई जोड़े। पानी आदि के साथ ये सभी आवश्यक वस्तुएँ एक बस्ते में बाँध लें | शिलांग, चेरापूंजी, मावलिनोंग और काजीरंगा के लिए हल्के फुल्के ऊनी कपड़े | गुवाहाटी के लिए मौसम के हिसाब से टी-शर्ट और हल्के ऊनी कपड़े | गुवाहाटी का मौसम लगभग चंडीगढ़ की तरह ही है |

कब जाएँ

अक्टूबर से अप्रैल के महीनें जाने के लिए सबसे बढ़िया हैं मगर फ़रवरी के महीने में काज़ीरंगा में लंबी लंबी हाथी घास उगी हुई होती है तो जानवरों को देख पाना ज़रा मुश्किल हो जाता है | अगर आपको ख़ासकर जानवरों को देखने जाना है तो मार्च महीने के पहले हफ्ते में जाना वाजिब है क्योंकि इस समय तक लगभग सारी घास जल जाती है | और हो सकता है आपको शेर भी देखने को मिल जाएँ |

इन बातों का रखें ख्याल

घूमने की शुरुआत सुबह जल्दी ही कर दें क्योंकि उत्तर पूर्व में सूरज उगता भी जल्दी है और छिपता भी जल्दी ही है | ध्यान रहे कि मेघालय में ज़्यादातर स्थान दोपहर में 2 बजे तक कोहरे और बादलों से ढक जाते हैं और कोशिश करें कि आप रात तक अपने होटेल में वापस लौट आएँ |

यात्रा के खर्चे में हवाई जहाज़ की टिकट का किराया जुड़ा हुआ है | हवाई किराए के बिना यात्रा का कुल खर्च लगभग ₹12000 आता है |

कैसा लगा आपको यह आर्टिकल, हमें कमेंट बॉक्स में बताएँ।

बांग्ला और गुजराती में सफ़रनामे पढ़ने और साझा करने के लिए Tripoto বাংলা  और  Tripoto  ગુજરાતી फॉलो करें

Tripoto हिंदी के इंस्टाग्राम से जुड़ें और फ़ीचर होने का मौक़ा पाएँ। 

ये आर्टिकल अनुवादित है | ओरिजिनल आर्टिकल पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें |