देवप्रयाग, रुद्रप्रयाग, कर्ण प्रयाग जैसे ही प्रयागराज भी संगम स्थान है जो प्राचीन भारतीय ग्रंथों के अनुसार हिंदू आस्थाओं का प्रतीक है
भारत में भागीरथी और अलकनंदा नदियों के संगम से गंगा का निर्माण होता है और इसको देवप्रयाग कहा जाता है
संगम का शब्दार्थ है सम्मिलन। भूगोल में संगम उस जगह को कहते हैं जहाँ पानी की दो या दो से अधिक धाराएँ मिल रही होती हैं। जैसे इलाहाबाद में गंगा, यमुना (और, लोककथाओं के अनुसार, सरस्वती) के मिलन स्थल को त्रिवेणी संगम कहते हैं।
संगम नगरी प्रयागराज
इलाहाबाद का संगम हिन्दुओं के लिए पवित्र है। प्रयाग (इलाहाबाद) में गंगा- यमुना और सरस्वती नदी का संगम है। धार्मिक महत्व और ऐतिहासिक कुम्भ मेला प्रत्येक 12 वर्षों में यही लगता है। वर्ष 1948 में महात्मा गांधी समेत कई राष्ट्रीय नेताओं की राख का विसर्जन यही किया गया थी।
गंगा और यमुना के संगम का यह विवरण ऋग्वेद के नवीनतम खंडों में उल्लेख किया गया है जिसके अनुसार,"जो लोग उस जगह पर स्नान करते हैं जहां दो नदियां एक साथ बहती हैं,उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति होती हैं"। पुराणों के अनुसार, एक तीसरी नदी भी है जिसे सरस्वती कहा जाता है।