प्रयागराज के ये ख़ास स्थल आपको अतीत की यादों में ले जायेंगे

Tripoto
22nd Apr 2021
Photo of प्रयागराज के ये ख़ास स्थल आपको अतीत की यादों में ले जायेंगे by Roaming Mayank

'इलाहाबाद है वर्तमान अतीत अब इसका, पर तब भी ये प्रयागराज ही था"। पौराणिक प्राचीन से लेकर पिछले 100 साल पीछे तक के भिन्न-2 अतीत का चेहरा दिखाता ऐसा उदाहरण मिलना बहुत ही मुश्किल है परंतु उत्तर प्रदेश के विशेष स्थान प्रयागराज में ये संभव है। तो आइये चलें प्रयागराज के ऐसे 10 स्थानों पर जिन्होंने प्राचीन भूतकाल से लेकर वर्तमान भूतकाल के अतीत की यादों को आज भी ताज़ा रखा है........🚴

Naini Bridge, Prayaraaj

Photo of Prayagraj by Roaming Mayank

1. त्रिवेणी संगम

यहां पर गंगा, यमुना नदियां जो प्रत्यक्ष दिखाई देती हैं और अदृश्य या विलुप्त सरस्वती नदी का संगम होता है। यहां से आगे यमुना भी गंगा हो जाती है। यहां ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण कार्य पूरा होने के पश्चात जब प्रथम यज्ञ किया तब से प्रथम यज्ञ के 'प्र' और 'याग' (यज्ञ) से मिलकर इस स्थान का नाम प्रयाग हुआ। यहीं पर हर बारहवें वर्ष महाकुंभ आयोजित होता है और तब ये संगम स्थान एशिया के सबसे बड़े अस्थायी शहर मे तबदील हो जाता है। संगम स्थान पर धार्मिक कार्यों के अतिरिक्त नौका विहार करते हुए, सर्दियों में रूस से आये प्रवासी पक्षियों को देखना एक बिल्कुल ही शांति देता और अनूठा अनुभव होता है।

संगम

Photo of Sangam by Roaming Mayank

त्रिवेणी मार्ग

Photo of Sangam by Roaming Mayank

2. पातालपुरी मंदिर, किला

इलाहाबाद किले के भीतर बने इस पौराणिक भूमिगत मंदिर में ही स्थित है अक्षयवट। भगवान श्रीराम भी आए थें, ऐसा माना जाता है। चीनी यात्री ह्यून सांग ने भी अपनी यात्रा के दौरान यहां के संस्मरणों में इसके बारे में लिखा है।

अक्षयवट एक अति प्राचीन बरगद का पेड़ है जिसे पौराणिक काल का माना जाता है और आज भी जीवंत है। ये वृक्ष सबके के लिए आकर्षण का केंद्र है।

3. इलाहाबाद किला

1575 में अकबर ने प्रयाग में एक राजशाही शहर इलाहाबाद की स्थापना की और 1583 यहीं गंगा - यमुना संगम पर एक किले का निर्माण करवाया। चार भागो में बनवाये गये इस किले के पहले हिस्से में 12 भवन और कुछ बगीचे थे। दूसरे हिस्से में शाही औरतों के महल और तीसरे हिस्से में शाही परिवार के दूर के रिश्तेदारों और नौकरों के इन्तेजाम थे। चौथा हिस्सा सैनिको के लिये था। फिलहाल इसका उपयोग भारतीय सेना कर रही है और एक सीमित हिस्सा ही पर्यटकों के लिए खुला है। पर्यटकों को 10.6 मीटर ऊंचे अशोक स्तंभ (आज से 2250 साल पुराना) और सरस्वती कूप को ही देखने की अनुमति है। सरस्वती कूप, किले के भीतर स्थित एक कुआं है जिसके बारे में माना जाता है कि अदृश्य सरस्वती नदी का स्रोत यही है। यहां की प्राचीर से संगम के सूर्यास्त और सूर्योदय को देखना आपको वाकई अतीत में खो देता है। सुरक्षा की दृष्टि से किला एक परफेक्ट स्थान पर बना है।

इलाहाबाद किला, यमुना तट

Photo of Allahabad fort by Roaming Mayank

4. उल्टा किला

ये उल्टा किला 14 किमी की दूरी पर गंगा के उस पार, झूंसी में स्थित है। माना जाता है कि यह सतयुग के समय से यहां पर स्थित है। करीब 120 सीढियां चढ़ने के बाद आप किले पर पहुंचते हैं। यहां से महाकुंभ का दृश्य बड़ा ही मनोरम होता है या शायद सबसे अच्छा दृश्य। हालांकि निर्माण तो इसका भी सीधा ही है पर कुछ अवशेष और अध्ययन इसके किसी समय में उल्टे बने होने के साक्ष्य देते हैं। ये चंद्रवंशी राजाओं की राजधानी हुआ करता था।

यह एक कुंआ है जो गंगा पार झूँसी में उल्टे किले के अन्दर एक काफी उंचे टिले पर स्थित है। इसका श्रोत समुद्र में माना जाता है क्यूंकि इसका जलस्तर आश्चर्यजनक रूप से समुद्र के जलस्तर के बराबर और खारा है। इसका निर्माण समुद्रगुप्त ने कराया था।

समुदकूप, उल्टा किला PC - allahabad.nic.in

Photo of Samudra Koop by Roaming Mayank

5. लाक्षागृह

महाभारत में दुर्योधन ने पांडवों को षडयंत्र करके अग्नि से जलाकर समाप्त करने के लिए जिस लाक्षागृह को बनवाया था, ये वही इमारत है। यह गंगा नदी के तट पर हंडिया से ६ किमी दूर स्थित है।

लाक्षागृह, प्रयाग pc - allahabad.nic.in

Photo of Lakshagrih by Roaming Mayank

6. खुसरो बाग

इलाहाबाद जंक्शन(प्रयागराज) रेलवे स्टेशन के पास स्थित खुसरो बाग मुगलकालीन इमारत है। यह 17 बीधे के विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है प्रांगण है। अकबर के बेटे जहांगीर ने इसे अपनी आरामगाह के तौर पर बनवाया था। इस बाग में तीन मकबरे हैं। पहला मकबरा शहजादे खुसरो का हैं, जहागीर के बेटे खुसरो के नाम पर इसका नाम खुसरो बाग पडा। खुसरो बाग के अन्दर जाने का मुख्यद्वार बहुत बड़ा है और इसमें अनगिनत घोडों की नाल लगी हुयी हैं। बाग में अमरुद के कई बगीचे हैं और ये अमरुद विदेश में निर्यात किये जाते हैं। यहां वर्तमान में यहाँ पौधशाला भी है।

खुसरो बाग

Photo of Khusro Bagh by Roaming Mayank

7. आल सैंटस् कैथैड्रिल

सिविल लाइन के निकट स्थित यह ब्रिटिश चर्च पत्थर गिरजाघर के नाम से प्रसिद्ध है। देखने पर यह मानो किसी रोमन साम्राज्य का महल लगता है। 1879 में बन कर तैयार हुये इस चर्च का नक्शा सुप्रसिद्ध अंग्रेज वास्तुविद विलियन इमरसन ने बनवाया था। यह चर्च चौराहे के बीचो-बीच स्थित हैं। आप लोग यहाँ अंदर घूम भी सकते हैं

All Saint's Cathedral, सरोजिनी नायडू मार्ग, प्रयाग

Photo of All Saints' Cathedral by Roaming Mayank

8. आनंद भवन

स्वराज भवन, प्रयागराज में स्थित एक ऐतिहासिक भवन एवं संग्रहालय है। इसका मूलनाम 'आनन्द भवन' था। इसका निर्माण 1899 में मोतीलाल नेहरू ने करवाया था। 1930 में उन्होंने इसे राष्ट्र को समर्पित कर दिया था। इसके बाद यहां कांग्रेस कमेटी का मुख्यालय बनाया गया। आज इसे संग्रहालय का रूप दे दिया गया है। जब इस बंगले में नेहरु परिवार रहने के लिये आया तब इसका नाम आनन्द भवन रखा गया। पुरानी इमारत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को सौँप दी गयी। इस इमारत के एक हिस्से में आज कमलानेहरु के नाम से जाना जाने वाला अस्पताल चलता है। और शेष अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के उपयोग के लिये रखा गया। 1948 से 1974 तक इस ईमारत का उपयोग बच्चोँ की शैक्षणिक गतिविधियों के विकास के लिये किया जता रहा और इसमें एक बाल भवन कि स्थापना की गयी।

आनंद भवन

Photo of Anand Bhawan Museum by Roaming Mayank

गांधी जी, सरदार पटेल आनंद भवन में चर्चा करते हुए ।

Photo of Anand Bhawan Museum by Roaming Mayank

9. चन्द्रशेखर आजाद पार्क

1870 में ब्रिटिश राजकुमारों की यात्रा के स्मरण चिन्ह के रूप में 133 एकड़ भूमि पर इस पार्क (अल्फ्रेड पार्क) का निर्माण किया गया था। ये सिविल लाइन्स में स्थित है। 27 फ़रवरी, साल 1931 में इसी पार्क में महान क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी चन्द्रशेखर आज़ाद को एक मित्र द्वारा दिए गए धोखे के कारण अंग्रेज़ों ने चारों ओर से घेर लिया था। एक पेड़ की आड़ लेकर भयंकर गोलीबारी के बीच भी आजाद डटे रहे और अंतिम गोली खुद को मारकर वीरगति को प्राप्त हुए थे। वह स्थान आपको जरूर देखना चाहिए। तब चंद्रशेखर आज़ाद की उम्र महज 24 साल की थी। बताते हैं कि अंग्रेजी सेना में आजाद का इतना खौफ था कि उनके मरने के बाद भी सिपाही बहुत देर तक आजाद के दिवंगत शरीर के पास जाने से डरते रहे थे, क्यूंकि उन्हें आजाद के मरने का विश्वास नहीं हो रहा था। आज यहां स्मारक के अतिरिक्त एक संग्रहालय, एक संस्कृत इंस्टिट्यूट और एक शानदार रनिंग ट्रैक बना हुआ है और हरियाली व पार्क बच्चे , बूढों और जवान सबका मन खींच लेता है।

चन्द्रशेखर आजाद पार्क

Photo of ChandraShekhar Azad Park Allahabad by Roaming Mayank

चन्द्रशेखर आजाद की प्रतिमा

Photo of ChandraShekhar Azad Park Allahabad by Roaming Mayank

10. इंडियन कॉफी हाउस

एक बिल्कुल सामान्य सा दिखने वाला कॉफी हाउस जहां आप सुबह के नाश्ते के लिए जरूर जाइए। यहां का कॉफी टोस्ट कॉम्बिनेशन बहुत ही बढ़िया है। 1957 में बना ये इंडियन कॉफी हाउस चेन का देश मे आखिरी रेस्टोरेंट है। इसमे फॅमिली के लिए अलग से बैठने की जगह है। यहां पिछले 6 दशकों शायद ही कुछ बदला हो सिवाय स्टाफ और कुछ नए आइटम मेन्यू में जोड़ने के। एक हल्की बातचीत हो और ये जगह आपको अच्छा एहसास कराएगी।

इंडियन कॉफी हाउस, सिविल लाइन

Photo of Indian Coffee House by Roaming Mayank

प्रयागराज एक पौराणिक और ऐतिहासिक दोनों ही रूप से महत्वपूर्ण स्थान रहा है। इसकी यात्रा जरूर करें और अगर आप भाग्यशाली हों तो देहाती के गुलाब जामुन जरूर चलें।

मिलते हैं अगली किसी नयी जगह पर.....🙏

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