हरसिल वैली और गंगनानी घूमने के बाद हम उसी दिन उत्तरकाशी के लिए निकल चुके थे हमें उस रात उत्तरकाशी में ही रुकना था और अगले दिन केदारनाथ के लिए निकलना था उत्तरकाशी पहुंचने के बाद हमने एक रूम बुक किया रूम बुक करने के बाद हमने बस का पता किया कि केदारनाथ जाने के लिए कहां से बस मिलेगी बस का पता करने पर पता चला कि यहां से कोई भी डायरेक्ट बस केदारनाथ के लिए नहीं है यदि केदारनाथ जाना है तो उसके पहले यहां से बस पकड़ कर न्यू टिहरी बस स्टॉप जाना पड़ेगा वहां से फिर केदारनाथ के लिए बस मिलेगी
ऐसे में हम लोगों ने विचार बनाया कि क्यों ना गाड़ी ही बुक कर ली जाए जिस गाड़ी से हम कल गंगोत्री से उत्तरकाशी के लिए आए थे गाड़ी वाले भैया को फोन मिला तो पता चला वहां अपने गांव जा चुके हैं उन्होंने दूसरे गाड़ी वाले का नंबर दिया उनसे बात की तो वह ₹15000 बोल रहे थे काफी मोलभाव करने के बाद हमने बुलेरो ₹11000 में 5 लोगों के लिए बुक करें जो कि हमें सीधे सोनप्रयाग छोड़ने वाली थी गाड़ी वाले भैया यही लोकल के थे इसलिए उन्होंने शॉर्टकट वाले रास्ते से हमें ले गए जो कि घनसाली होते हुए तिलवारा पर केदारनाथ वाले हाईवे से जाकर मिलता है सुबह 8:30 बजे हम उत्तरकाशी से निकले और काफी हरे-भरे पहाड़ों सुंदर नजारों को देखते हुए और रास्ते में खाना खाते हुए और कहीं कहीं पर चाय के लिए रखते हुए हम शाम को लगभग 6:00 बजे सोनप्रयाग पहुंचे सोनप्रयाग जैसे ही पहुंचे होटल वालों ने घेरना शुरू कर दिया लेकिन हमें सोनप्रयाग में नहीं रोक कर आगे गौरीकुंड में ही रुकना था जहां से कि हम सुबह जल्दी यात्रा शुरू कर सकें सोनप्रयाग से गौरीकुंड जाने के लिए ₹50 में शेयरिंग में गाड़ी मिल जाती है उसके लिए सोनप्रयाग से थोड़ा आगे एक ब्रिज पार करके आगे गाड़ी जाती है गौरीकुंड पहुंचकर आमने रूम की तलाश शुरू की ऑक्सीजन होने के कारण हमें थोड़ा रूम काम में मिल गया 15 सो रुपए में हमने रूम बुक किया काफी थक चुके थे दिनभर की यात्रा के बाद हमने जाकर सीधे अपना सामान रखा और नहाने के लिए गीजर ऑन किया नहाने के बाद सीधे नीचे खाने की तलाश में पहुंच गए यहां पर भी खाने का एक ही फंडा है थाली वाला सिस्टम डेड सो ₹200 में आराम से थाली मिल जाती है खाना खाने के बाद हम रूम पर जाकर सो गए क्योंकि सुबह जल्दी केदारनाथ की पैदल यात्रा शुरू करनी थी
अगले दिन सुबह 4:30 बजे उठकर हमने अपना सामान वहीं अब जहां रूम लिया था उन्हीं के लॉकर में अपनी बैग जमा कर दी है और कुछ जरूरी सामान जैसे हाथ के मोजे टोपी जैकेट आदि हमने दूसरे छोटे बैग में रख लिए जो बैक को हम ऊपर ले जाने वाले थे बरसाती तो हमने यमुनोत्री में ही खरीदी थी वही बरसा दी हम यहां पर भी उपयोग करने वाले थे लेकिन बारिश का मौसम नहीं लग रहा था लेकिन फिर भी कुछ कहा नहीं जा सकता हूं पर जाकर आजादी बारिश हो जाए तो बैग जमा करने के बाद हमने हमारी पैदल यात्रा शुरू की यात्रा शुरू करने से पहले ही हमने अपने लिए डंडी खरीद ली थी जिसके सहारे धीरे-धीरे हम पैदल चल सके क्योंकि या काफी पहाड़ी रास्ता है मुझे तो इतनी परेशानी नहीं हुई क्योंकि मैं इसके पहले दो बार अमरनाथ की यात्रा कर चुका हूं और अमरनाथ की यात्रा इससे भी कठिन है केदारनाथ से ज्यादा अमरनाथ में पैदल चलना पड़ता है तो मुझे इतनी दिक्कत नहीं हुई लेकिन उस यात्रा को 2 साल हो चुके थे जोर काफी समय से मैं भी पैदल चला हुआ नहीं था धीरे-धीरे हम आगे बढ़ने लगे जगह-जगह पर मेडिकल कैंप शौचालय आदि बने हुए हैं मेडिकल कैंप में फ्री में दवाइयां मिल जाती है 7:00 बजे हमारी पैदल यात्रा शुरू हुई थी और भीम बली रामबाड़ा होते हुए हम धीरे-धीरे केदारनाथ की चढ़ाई चढ़ते हुए शाम के लगभग 4:30 बजे केदारनाथ पहुंच चुके थे केदारनाथ जाने का मार्ग काफी खूबसूरत है जगह-जगह पर जाने खूबसूरत पहाड़ हरे भरे वृक्ष दिखाई देते हैं जिससे थकान का पता ही नहीं चलता है जैसे-जैसे मंदिर नजदीक आते जा रहा था वैसे वैसे शरीर में अलग ही एक एनर्जी आ रही थी केदारनाथ धाम में एकदम मंदिर के नजदीक का घोड़े नहीं जा सकते हैं मंदिर की 1 किलोमीटर पहले ही घोड़ा स्टैंड है वहीं तक घोड़े जाते हैं घोड़ा स्टैंड के पास से ही दो पहाड़ी के बीच में बने हुए बहुत सारे होटल बिल्डिंग दिखाई देने लगती है जिससे मन मंदिर के तरफ आकर्षित होने लगता है और सारी थकान दूर हो जाती है केदारनाथ धाम पहुंचने पर हमने रूम की तलाश शुरू की जिसमें हमने देखा कि केदारनाथ धाम में रूम का भी मांगे मिलते हैं दो हजार से नीचे का कोई भी रूम उपलब्ध नहीं था काफी मोलभाव करने के बाद हमें 15 सो रुपए में एक रूम मिला केदारनाथ धाम हम जैसे 4:30 बजे पहुंचे थे मेन गेट पर ही लंगर चल रहा था वहां पर जाकर राजमा चावल का पेट भर आनंद लिया और उसके बाद रूम पर जाकर के थोड़ी देर आराम किया
एक घंटा आराम करने के बाद हम दर्शन करने के लिए मंदिर की ओर बढ़े शाम की आरती भी होने वाली ही थी हम लोग भी जाकर आरती में शामिल हो गए केदारनाथ धाम में नेटवर्क काफी कम है जिओ का नेटवर्क भी लगभग ठीक-ठाक ही है
थोड़ी ही देर में बाबा केदार की आरती शुरू हो गई आरती का आनंद लिया और दर्शन करने के बाद हम वही काफी समय तक रूखे ठंड धीरे-धीरे बढ़ रही थी कि हमने विचार किया कि आप जाकर खाना खाकर सोना ही ठीक रहेगा क्योंकि हमेशा दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर फिर से एक बार दर्शन करके नीचे के लिए निकलना था
अगले दिन सुबह उठकर जल्दी हम वापस दर्शन के लिए गए सुबह काफी भीड़ हो चुकी थी सभी लोग दर्शन कर रहे थे और अपनी यादों के लिए कुछ फोटो खिंचवा रहे थे केदारनाथ धाम के दर्शन करने के बाद और कुछ फोटो खिंचवाने के बाद हम लोग भैरव मंदिर के लिए गए वहां दर्शन करने के बाद हम वापस से नीचे आकर बाबा केदार के बार फिर दर्शन किए और जहां हमने कमरा बुक किया था
केदारनाथ धाम से वापस आने की तो इच्छा नहीं हो रही थी परंतु हमें आगे भी और भी यात्राएं करनी थी इसलिए अपने मन को बनाकर हमें नीचे आना पड़ा वहां से अपना सामान लेकर वापस नीचे की तरफ निकल चुके थे वापस आने में इतना समय नहीं लगता है जितना के ऊपर चढ़ाई चढ़ते समय लगता है सोनप्रयाग काम शाम के 3:00 बजे पहुंच चुके थे