केदारनाथ यात्रा - स्वर्ग की पहली झलक

Tripoto
25th Dec 2021
Photo of केदारनाथ यात्रा - स्वर्ग की पहली झलक by Mohit Kandwal

आप सभी दोस्तों का धन्यवाद जो आप आज इस ब्लॉग को पढ़ने के लिए समय निकाल रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि आपको यह यात्रा वृतांत पसंद आऐगा।

मैं एक घुमक्कड़ प्रवृत्ति का व्यक्ति हूँ। जगह-जगह घूमना व नई - नई जगहों को एक्सप्लोर करना मेरा शौक है। लेकिन जिस यात्रा के बारे में मैं आज आप लोगों को बताऊँगा वो कोई घुमक्कड़ी व शौकिया यात्रा नहीं थी। वो एक शुद्ध आध्यात्मिक व पहले से तय यात्रा थी। हाँ पहले से तय! मुझे लगता है इस दुनिया में जो भी घटित हो रहा है वो पहले से तय है। हर वह घटना जिस से हम गुजरते हैं वो इस ब्रह्मांड में पहले ही रच ली जा चुकी होती है। बचपन से पत्र -पत्रिकाओं, समाचार व पुस्तकों में एंव बड़े बुजुर्गों के माध्यम से बाबा केदारनाथ के बारे सुना व पढा था। दुर्गम व पहाड़ी रास्ता, बर्फीली चोटियाँ, बिन समय बरसात और भी कई कठिनाईयों के बाद व्यक्ति वहाँ पहुँच सकता है ऐसा विचार मन में बैठ चुका था। खैर वक्त बदला और जमाना अपडेट हुआ। सोशल मीडिया का दौर आया और फिर बाबा केदारनाथ धाम के और भी ज्यादा वीडियो व फोटोग्राफ देखने को मिले। यही वह समय था जब पहली दफा बाबा के दर्शनों की इच्छा मन में उत्पन्न हुई और मुझे यकीन है कि यह इच्छा नहीं बुलावा था बाबा का। भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर में उत्तराखंड राज्य के रूद्रप्रयाग जिले की पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य वृहत हिमालय में स्थित बाबा शिव का धाम केदारनाथ 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। 3581 मी. की ऊंचाई पर मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित केदारनाथ का भव्य एवं आकर्षक मंदिर ग्रेनाइट शिलाखंडों से निर्मित है। राहुल सांकृत्यायन के अनुसार इस मंदिर का निर्माण वीं सदी के बीच हुआ था। 66 फीट ऊंचे इस मंदिर के बाहर चबूतरे में नंदी की विशाल मूर्ति है। इस मंदिर की महत्ता के कारण ही गढ़वाल का प्राचीन नाम केदारखण्ड़ पड़ा था। अतः यह धाम वंदनीय एंव पूजनीय है। संपूर्ण भारतवर्ष की आस्था का केंद्र चार धामों से एक केदारनाथ धाम शिव का निवास स्थान है।

Photo of Kedarnath by Mohit Kandwal
Photo of Kotdwara, Uttarakhand, India by Mohit Kandwal
Day 1

कुछ पल वहाँ ठहरने के पश्चात हमने आगे का सफर शुरू किया। चूँकि कोरोना काल में यात्रा कर रहे थे इसलिए रूद्रप्रयाग बोर्डर में घुसने से पहले हमारे यात्रा पास चैक किये गये और कुछ जानकारी लेने के बाद हमें रूद्रप्रयाग जिले में प्रवेश करने की अनुमति मिली। कुछ आगे चलकर दोपहर तक हम अगस्तमुनी पहुँच गए। चलते-चलते हमारी नजर हमारे बाईं ओर बह रही सुन्दर मंदाकिनी नदी पर पड़ी। सहसा गाड़ी रोककर हम नदी में उतर आए। ठण्डे पानी से मुँह-हाथ धोने के पश्चात कुछ फोटोग्राफ्स हमने लिए और फिर आगे का सफर शुरू किया।

शाम होते-होते हम सोनप्रयाग पहुँच चुके थे। तय किए गए समय के मुताबिक हम अपने गंतव्य पर थे। लाॅकड़ाउन में जब केवल उत्तराखंड के ही निवासियों को यात्रा की अनुमति थी बावजूद उसके भी काफी संख्या में गाड़ियों की पार्किंग वहाँ हो रखी थी। खैर वहाँ पहुँचते ही हमने सबसे पहले अपना यात्रा पास और रजिस्ट्रेशन करने की सोची। जैसे ही हम काउन्टर पर पहुँचे वैसे ही समय पूरा हो चुका था और खिड़की बंद हो गई थी। पर वहाँ मौजूद अधिकारियों से बातचीत करके जैसे-तैसे बात बनी और हमारा रजिस्ट्रेशन पूरा हुआ। अब हमें रात गुजारने के लिए कोई सराय ढूँढना था। ज्यादातर होटल और लाॅज खाली ही थे। हमें एक अच्छा लाॅज काफी कम खर्चें में मिल गया।

कार पार्किंग में खड़ी करके जहाँ हमें 24 घण्टे का 120 रूपये भुगतान करना था, हम अपने लाॅज में आ गए। अपने गैजेट्स जैसे फोन, कैमरा, पावर बैंक आदि हमने चार्जिंग पर लगा दिये और रात्रि भोजन की तलाश में हम पास ही एक छोटे से रेस्टोरेंट में गए। भोजन करने उपरांत हम वापस कमरे में आए और कुछ देर घर वालों व दोस्तों को अपडेट करने के बाद आपसी हंसी मजाक चली और फिर हम सोने चले गए।

होटल की बालकनी से सोनप्रयाग बाजार का सुबह का नजारा

Photo of Dhari Devi Mandir, Kalyasaur, Uttarakhand, India by Mohit Kandwal
Day 2

रात भर भारी बारिश के बाद सुबह मौसम खुलने पर मन ही मन अपनी दबी हुई मुस्कान के साथ खुशी जाहिर करता अजय और साथ ही बगल में खड़ा राहुल आगे की रणनीति सोचता हुआ।

Photo of Sonprayag, Uttarakhand, India by Mohit Kandwal
Photo of Gaurikund, Uttarakhand, India by Mohit Kandwal

ट्रैकिंग की शुरुआत करते राहुल और अजय

Photo of Kedarnath Trekking way, Kedarnath, Uttarakhand, India by Mohit Kandwal

केदारनाथ ट्रैकिंग रूट में रास्ते में स्थित खूबसूरत ग्लेशियर

Photo of Kedarnath Trekking way, Kedarnath, Uttarakhand, India by Mohit Kandwal

अजय के साथ यह फोटो हमेशा के लिए अमर हो गया

Photo of Kedarnath Trekking way, Kedarnath, Uttarakhand, India by Mohit Kandwal
Photo of Kedarnath Trekking way, Kedarnath, Uttarakhand, India by Mohit Kandwal
Photo of Kedarnath Trekking way, Kedarnath, Uttarakhand, India by Mohit Kandwal
Day 1

हम सुबह-सुबह 5 बजे घर से निकल पड़े बाबा के दर्शनों हेतु। हम तीन दोस्त केदारनाथ धाम की यात्रा करने वाले थे। मैं, राहुल जोशी और अजय बुड़ाकोटी एक साथ बाबा के दर्शन करने वाले थे। राहुल की कार टाटा टियागो से हमलोग सफर तय करने वाले थे। अजय को हमें सतपुली से साथ लेना था। जो हमारा इंतजार सतपुली स्थित अपने ही निवास में कर रहा था। हमलोग जल्द से जल्द सोनप्रयाग पहुँचना चाहते थे। क्योंकि केदारनाथ यात्रा का अंतिम एंव मुख्य रजिस्ट्रेशन व थर्मल स्क्रीनिंग वहीं पर होनी थी जो शाम 5 बजे तक ही होती है। चूँकि हम कोरोना काल में यात्रा कर रहे थे इसलिए यह हमारे लिए बहुत जरूरी था कि हम अपना स्क्रीनिंग उसी शाम करवा लें नहीं तो अगली सुबह लम्बी लाईन में खड़ा होना पड़ता। अजय हमें बीच बीच में फोन के माध्यम से हमारी लोकेशन पूछ रहा था। लगभग 8 बजे हम अजय के घर पर थे। वहाँ से उसका सामान गाड़ी में रखा और परिवार जनों से आशिर्वाद लिया और निकल पड़े सफर पर।

हमारा अगला पड़ाव पौड़ी था। चूँकि सुबह जल्दी घर से निकलने के चक्कर में हम खाली पेट थे तो पौड़ी पहुँचते-पहुँचते भूख के मारे चूहे पेट में उछल कूद कर रहे थे। पौड़ी से कुछ पहले ही बुआखाल में हमने एक जगह देख कर गाड़ी किनारे खड़ी की और कुछ हल्का जलपान किया और फिर सफर शुरू करते हुए पौड़ी और फिर श्रीनगर को पार किया। श्रीनगर से तकरीबन 10-12 किमी दूर माँ धारी देवी का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। चारधाम की यात्रा शुरू करने से पहले कहते हैं कि माँ धारी देवी का आशिर्वाद लेना अनिवार्य होता है। इसलिए हमने भी माँ धारी के दर्शन किये और कुछ पल मंदिर प्रांगण में शांति का अनुभव किया।

Photo of केदारनाथ यात्रा - स्वर्ग की पहली झलक by Mohit Kandwal
Photo of केदारनाथ यात्रा - स्वर्ग की पहली झलक by Mohit Kandwal

माँ धारी देवी का प्रसिद्ध मंदिर

Photo of केदारनाथ यात्रा - स्वर्ग की पहली झलक by Mohit Kandwal

रात नींद अच्छी आई। सुबह की नींद किसी अलार्म ने नहीं बल्कि बहार हो रही बारिश की आवाज ने खोली। हम थोड़ा घबरा गए कि अब यात्रा कैसे प्रारंभ होगी। पर बाबा का नाम लेते-लेते बारिश थम गई और मौसम खुल गया। हमने अपना सामान समेटा और गौरीकुंड़ के लिए लोकल टैक्सी पकड़ने निकल पड़े। जिस टैक्सी में हम बैठे थे वह बाकी सवारियों के चक्कर में लेट कर रहा था। और हमारा प्लान में असर पड़ रहा था। हमने तय किया था कि सुबह जल्दी उठकर हम ट्रैक शुरू कर देंगे पर मौसम खराब होने के कारण ऐसा हो नहीं पाया। खैर आखिरकार गाड़ी चल पड़ी और संकरी सड़क से होते हुए हम पहुंच गए गौरीकुंड़। 2013 में आई त्रासदी की झलक हमें सोनप्रयाग से ही मिलनी शुरू हो गई थी पर गौरीकुंड़ पहुँचकर हम उस आपदा को करीब से महसूस कर रहे थे। गौरीकुंड़ से हमने अपना-अपना रकसैक उठाया और जोश जुनून के साथ ट्रैक शुरू किया। लेकिन 500 मीटर चलते ही मुझे रकसैक का वजन असहाय महसूस हुआ। हिम्मत जवाब देने लगी जो कि अच्छा संकेत नहीं था क्योंकि अभी तो ट्रैक शुरू ही हुआ था। हम तीनों ने आपसी विचार-विमर्श करने के पश्चात सिर्फ जरूरी सामान ही साथ ले जाना उचित समझा और बाकी का सामना रास्ते में ही एक दुकान पर छोड़कर आगे बढ़ गए। खुबसूरत नजारों व झरनों का दीदार करते हुए हम ट्रैक कर रहे थे।

आपदा से आई त्रासदी से हुआ नुकसान भी हमें दिखाई दे रहा था। रास्ते भर में छोटे-छोटे ढाबे मौजूद थे जहाँ हम रूक- रूककर रिफ्रेसमेंट ले रहे थे। शुरुआत में मेरे लिए ट्रैक करना मुश्किल था पर धीरे-धीरे फ्लो बन गया। राहुल और अजय काफी अच्छे ट्रैकर साबित हुए।

केदारनाथ का सुन्दर ट्रैक हो और फोटोग्राफी न हो ऐसा हो नहीं सकता। रास्ते भर में हमने जमकर फोटोग्राफी की। फोन हो या कैमरा हमने हर तरह से सुंदर वादियों को कैद करने की पूरी कोशिश की। साथ लाए ड़ेयरी मिल्क की चाकलेट्स हमारा साथ निभा रही थी जो हमें भरपूर एनर्जी दे रही थी। रास्ते भर में काफी लोग ट्रैक कर रहे थे। पोर्टर अपनी-अपनी सवारियों को लेकर चल रहे थे और कुछ पोर्टर यात्रियों को छोड़कर आ रहे थे। 2013 में आई भयानक केदारनाथ आपदा के कारण सबसे ज्यादा नुकसान रामबाड़ा को हुआ था। यात्रा का पुराना मार्ग टूटने के कारण रास्ता 3-4 किमी ज्यादा लम्बा हो गया था। हम कछुए की चाल से धीरे-धीरे चलते हुए शाम लगभग 5 बजे केदारनाथ धाम पहुंच गए थे। पहली झलक जब मंदिर की दिखाई दी तो ऐसा लगा मानो हमने स्वर्ग के दर्शन कर लिए हों। मुख्य मंदिर नजर आने के बाद कदम साधारण गति से दो गुना तेज चलने लगे। जैसे-जैसे मंदिर के नजदीक पहुँच रहे थे वैसे-वैसे जोश व ऊर्जा बढ रही थी। कुछ ही देर बाद हम केदारनाथ धाम पहुंच चुके थे।

मंदिर दर्शन से पूर्व हमने रात्रि रूकने के लिए पहले कोई लाॅज बुक करना उचित समझा। हमें बहुत ही कम खर्चे में एक लाॅज गर्म पानी की सुविधा के साथ मिल गया। ये बात और है कि लाॅज का मालिक एक गर्म पानी की बाल्टी का हमसे सौ रूपये ले रहा था। हम अपना सामान कमरे में रखकर निकल पड़े मंदिर की ओर। आपदा के पूर्व जो तस्वीर हमने केदारनाथ धाम की देखी वैसा अब कुछ भी वहाँ नहीं था। मुख्य मार्ग जिसे अब आस्था पथ के नाम से जाना जाता है काफी चौड़ा व आकर्षक है। दूर से ही मंदिर दिखाई पड़ता है। कत्यूरी शैली में बना यह सुंदर पाण्ड़व कालीन शिव मंदिर विश्व अनोखा है। मंदिर प्रांगण पर पहुँचते ही हम मंदिर को निहारते ही रह गए। हमने मंदिर की परिक्रमा की। और उसके पश्चात वीडियो काॅल के माध्यम से अपने परिवारजनों व मित्रों को बाबा के धाम के वर्चुअल दर्शन करवाए। उत्तराखंड सरकार की कोरोना महामारी के कारण लाॅकड़ाउन की गाइडलाइंस के अनुसार मंदिर में प्रवेश प्रतिबंधित था। अतः भक्तगण नंदी के समीप से ही पूजा अर्चना कर सकते थे और जब हम मंदिर पर पहुँचे तब तक कपाट बंद हो गए थे। हमने कुछ देर वहीं रूक कर ध्यान किया और भारत के साल पुराने वैभवशाली सनातन इतिहास का चिंतन करने लगे।

बाबा केदार की शरण में सुख के कुछ पल।।

Photo of केदारनाथ यात्रा - स्वर्ग की पहली झलक by Mohit Kandwal

यह मंदिर खर्चाखंड़, भरतखंड़ और केदारखंड के मध्य स्थित है। इसके वाम भाग में पुरंदर पर्वत है। यह मंदिर कत्यूरी निर्माण शैली का है। इसके निर्माण में भूरे रंग के विशाल पत्थरों का प्रयोग किया गया है। यह मंदिर छत्र प्रासाद युक्त है। सभामंड़प में चार विशाल पाषाण स्तम्भ हैं तथा दिवारों के गौरवों में नवनाथों की मूर्तियां हैं। दिवारों पर सुंदर चित्रकारी भी की गई है। मंदिर के बाहर रक्षक देवता भैरवनाथ का मंदिर है। इस मंदिर के निकट आदि शंकराचार्य की समाधि है।

थोड़ी देर बाद मंदिर प्रांगण में बैठने के बाद हम खाने के लिए पास ही एक छोटी सी दुकान में गए। जहाँ पहले से ही बहुत से लोग अपनी बारी आने के इंतजार में खड़े थे। थोड़ा इंतजार करने के बाद हमें भी गरम-गरम खाने की थाली प्राप्त हुई। 150 रू. में हमने भरपेट खाना खाया। खाना खाने के बाद हम अपने कमरे में गए और सुबह होने की इंतजार में सो गए।

सुबह-सुबह केदारनाथ की पहली झलक कुछ इस तरह दिखाई दी है।

Photo of केदारनाथ यात्रा - स्वर्ग की पहली झलक by Mohit Kandwal
Photo of केदारनाथ यात्रा - स्वर्ग की पहली झलक by Mohit Kandwal

वह विशाल "भीम शिला" जिसने वर्ष 2013 केदारनाथ में आई आपदा के दौरान मुख्य मंदिर को बाढ़ के पानी से बचाया था

Photo of केदारनाथ यात्रा - स्वर्ग की पहली झलक by Mohit Kandwal

मंदिर प्रांगण में मुख्य मंदिर के आगे नंदी महाराज

Photo of केदारनाथ यात्रा - स्वर्ग की पहली झलक by Mohit Kandwal
Photo of केदारनाथ यात्रा - स्वर्ग की पहली झलक by Mohit Kandwal
Day 3

सुबह होते ही मैं कमरे से बाहर ऐसे ही टहलने के लिए आया और जब कमरे की बालकनी से मंदिर की तरफ देखा तो मेरी आँखें खुली की खुली ही रह गई और मैं चिल्लाता हुआ कमरे की तरफ आया और राहुल और अजय को उस अद्भुत दृश्य के बारे में बताना शुरू किया। दरअसल शाम जब हम मंदिर पहुँचे थे तो कोहरे के कारण मंदिर के पीछे की पर्वत चोटी ढक गई थी और आज सुबह जब मैंने मंदिर देखा तो काँच की तरह साफ स्पष्ट दिखाई दे रहा था जो कि धरती पर स्थित किसी भी दूसरी चीज से ज्यादा खूबसूरत था। फिर मैं कैमरा लेके मंदिर की तरफ भागा ताकि उस अद्भुत व अविश्वसनीय दृश्य को हमेशा के लिए संजो के रख दूँ।

उसके बाद हमने पूजा अर्चना की और सुबह की चमकती धूप में केदार घाटी के दर्शन किये। 2013 में आई आपदा के कारण हुए भीषण त्रासदी व उसके बाद सरकार के सराहनीय पुनर्निर्माण कार्यों का गवाह हम उस वक्त बन रहे थे। कुछ देर बाद हमने केदारनाथ के क्षेत्रपाल भुकुंट भैरवनाथ जो कि मुख्य मंदिर से दक्षिण की ओर स्थित है के दर्शन करने चल पड़े।

भुकुंट भैरव का यह मंदिर केदारनाथ मंदिर से करीब आधा किमी दूर दक्षिण की ओर स्थित है। यहां मूर्तियां बाबा भैरव की हैं जो बिना छत के स्‍थापित की गई हैं। बाबा भुकुंट भैरव को केदारनाथ का पहला रावल माना जाता है। उन्‍हें यहां का क्षेत्रपाल माना जाता है। बाबा केदार की पूजा से पहले केदारनाथ भुकुंट बाबा की पूजा किए जाने का विधान है और उसके बाद विधिविधान से केदानाथ मंदिर के कपाट खोले जाते हैं।

भैरों बाबा के मंदिर दर्शन के बाद हम उसी ऊँचाई पर थोड़ी दूर ट्रैक करने निकल पड़े। वहाँ हमने अपने जीवन की सबसे खूबसूरत व अनोखी अनुभूति महसूस की। बादल रह रहकर चौराबाड़ी ग्लेशियर व आसपास की चोटियों को ढक रहे थे। दूर-दूर तक फैले हरे-भरे बुग्याल मन को सम्मोहित कर रहे थे। जीवन की सारी थकान, सारी चिंता और सारी नकारात्मकता मानो वहाँ पहुँचकर खो सी गई और हम खुद को नव संचालित ऊर्जा में पूर्ण महसूस कर रहे थे। मैं एहसानमंद रहूँगा हर उस उस व्यक्ति व परिस्थितियों का जिनके कारण हम यहाँ तक पहुँच पाए थे। थोड़ी देर उस मनमोहक चोटी पर ठहरने के बाद हमने नीचे उतरना शुरू किया। थोड़ी देर में मुख्य मंदिर प्रांगण में थे। आखिरी दर्शन व प्रार्थना के पश्चात हम तीनों ने बाबा के धाम से विदा ली। फिर से केदारनाथ धाम की यात्रा पर हम आऐंगे इसी विश्वास के साथ हमने गौरीकुंड़ की ओर प्रस्थान किया और शाम 4 बजे तक हम गौरीकुंड़ पहुँच चुके थे। जिसके बाद रास्ते भर में यात्रा की चर्चा करते-करते न जाने कब सतपुली पहुँच गए जहाँ हमारे लिए अजय की माता जी ने रात्रि का भोजन बनाया हुआ था। खाना खाकर हम थोड़ा बैठे रहे और फिर रात काफी हो चुकी थी तो हमने निकलना उचित समझा और फिर राहुल और मैं कोटद्वार की ओर चल पड़े और तकरीबन 12 बजे हम घर पर थे।

Photo of केदारनाथ यात्रा - स्वर्ग की पहली झलक by Mohit Kandwal
Photo of केदारनाथ यात्रा - स्वर्ग की पहली झलक by Mohit Kandwal
Photo of केदारनाथ यात्रा - स्वर्ग की पहली झलक by Mohit Kandwal
Photo of केदारनाथ यात्रा - स्वर्ग की पहली झलक by Mohit Kandwal

मेरे लिए केदारनाथ की यात्रा कभी न भूल सकने वाली दिल के सबसे करीब यात्राओं में से एक बन गई थी। कई बार के प्रयास के बाद आखिरकार हम बाबा के धाम होकर आ चुके थे। आप सभी का धन्यवाद कि आपने इस मानसिक यात्रा में अपना कीमती समय दिया। फिर मिलूँगा किसी ओर यात्रा संस्मरण के साथ। आपका प्यार व आशीर्वाद सदा बना रहेगा इन्हीं शब्दों के साथ धन्यवाद।

ॐ नमः शिवाय

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