पंजाब गुरुओं और पीरों की धरती है। पंजाब का कण कण पपंजाबियों की बहादरी की गवाही भरता है। सिक्ख धर्म के 10 गुरु साहिबान ने पंजाब को पवित्र बानी से सींचा है। पंजाब में अनेक गुरुद्वारा साहिब है, जहां 10 गुरु साहिबान ने अपने चरण स्पर्श किए तथा पंजाब के लोगों को सही दिशा दी।
ऐसा ही एक गुरुद्वारा साहिब है, जहां तीन गुरु साहिबान बिराजे थे, इस धरती को पवित्र किया था तथा लोगों को अच्छी सेध दी। यह जगह है तख्तूपूरा साहिब।
यहां पहले गुरु श्री गुरु नानक देव जी, छठे गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी, दसवें गुरु श्री श्री गुरु गोबिंद सिंह जी आए। न्यू ईयर के अवसर पर इस पवित्र जगह के दर्शन करने का सौभाग्य मिला।
चलिए जानते है इस खास धरती के बारे में, क्यों है खास?तीन गुरुद्वारा साहिब का क्या है इतिहास?
प्रथम गुरुद्वारा नानकसर तख्तूपुरा
इस पवित्र जगह पर श्री गुरु नानक देव जी भाई बाला जी और मरदाना जी के साथ आए थे। इस जगह को अपने चरणों से पवित्र कर लोगों को सही दिशा दी थी। लोगों ने सलाह करके इस गुरुद्वारा साहिब की इमारत को नयी बनाया था। 14 जनवरी 1975 को लोपों वाले संत दरबारा सिंह जी ने दोपहर के 12 बजे नींव पत्थर रख कर गुरुद्वारा साहिब की उसारी करवाई थी। 14 जनवरी मकर सक्रांति के दिन यहां पर काफी बड़ा मेला आयोजित होता है।जिस की तैयारी 2 हफ्ते पहले नए साल पर देखने को भी मिल गई थी।
दूसरा गुरुद्वारा साहिब
तख्तूपूरे का दूसरा गुरुद्वारा साहिब सिक्खों के छठे गुरु श्री गुरु हरगोबिंद साहिब से संबंधित है। श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी ड्रोली भाई से महराज जाते समय महराज की जंग से पहले यहां पर सवा महीना रुके थे। संगतों की उनकी याद में यहां पर सुंदर दरबार बनाया था। यहां पर बहुत सारे गुरु जी के शस्त्र भी है। मीरी पीरी के मालिक श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी की पहचान है यह शास्त्र।
तीसरा गुरुद्वारा साहिब
तख्तूपुरे साहिब का तीसरा गुरुद्वारा साहिब सिक्खों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी से संबंधित है। सबसे विशेष गुरुद्वारा साहिब है। यहां पर भी गुरु जी के शस्त्र है। इसके पास ही लंगर हाल है, यहां पर हमने लंगर छका। गुरुद्वारा साहिब में मधुर बानी का कीर्तन मंत्र मुग्ध कर रहा था।
तीनों गुरद्वारों साहिब के बीच में पवित्र सरोवर है। यहीं पर श्रद्धालु दूर दूर से इशनान करने आते है, विशेष कर मकर सक्रांति पर। हम ने भी यहां हाथ मूंह धो कर पांच एशनान किया।
गुरुद्वारा साहिब के बाहर बहुत सारी दुकानें है। पास में ही एक ओर ऐतहासिक जगह है, पुरातन कुआ है। पास में एक डेरा भी है। मन को सुकून देने वाली जगह है।
जब भी आए पंजाब तब इस पवित्र जगह को देखने जरूर आना।
कैसे पहुंचे :
पंजाब के बठिंडा शहर से तख्तूपुरा साहिब 72 किलोमीटर की दूरी पर है। बठिंडा शहर रेल और सड़क मार्ग से देश के अन्य शहरों से जुड़ा हुआ है।
हवाई मार्ग में निकटतम एअरपोर्ट अमृतसर और चंडीगढ़ है। अमृतसर से तख्तूपुरा की दूरी 142 किलोमीटर है।
चंडीगढ़ से दूरी 161 किलोमीटर है।