विंटर एवेरेस्ट बेस कैंप का एक अद्भुद अनुभव

Tripoto
23rd Feb 2023
Photo of विंटर एवेरेस्ट बेस कैंप का एक अद्भुद अनुभव by Rishabh Bharawa
Day 1

25 दिसंबर 2022 ,मतलब 2022 का क्रिसमस का दिन वह दिन था जब हम लोग एवरेस्ट बेस कैंप पर "भारत माता की जय" के नारे लगा रहे थे।यहां "हम" से मतलब भारत के अलग अलग राज्यों के ,अलग- अलग एज ग्रुप के हम 8 सदस्यों से हैं जिन्होंने उस समय में एवरेस्ट बेस कैंप पर जाने का प्लान बनाया जिस समय कोई उधर जाने की सपने में भी सोचने से कतराते हैं।हमारे इस विंटर एडवेंचर की शुरुवात हुई काठमांडू से,जहां हम लोग पहली बार आपस में मिले,फिर साथ में दुनिया के एक सबसे खतरनाक एयरपोर्ट तक पहुंचने के लिए एक 20 सीटर विमान से "लुकला" पहुंचे। लुकला का एयरपोर्ट इतना छोटा हैं कि वहां केवल एक बार में 4 विमान ही ठहर सकते हैं।काठमांडू से लुकला लाने वाले विमान इतना छोटा होता है कि हम आराम से कॉकपिट में प्लेन उड़ा रहे पायलट को अपनी सीट से देख सकते हैं।

लुकला से शुरू हुआ 11 दिन का पैदल दुर्गम सफर जिसमें हमको करीब 130 किमी पैदल चलना पड़ा।एवरेस्ट बेस कैम्प ट्रेक गर्मियों में एक औसत दर्जे का ट्रेक रहता हैं लेकिन सर्दियों के समय अत्यधिक ठंड के कारण यह खतरनाक लेवल के ट्रेक्स में गिना जाता हैं।पूरे दिन भर तीन लेयर के कपड़े पहने रहना,रात को उन्ही को पहने सो जाना,नहाने के नाम से ही कंपकंपी छूटना,खाने के नाम पर रोज ही एक ही प्रकार का मेनू देखना इन सब के हम आदि हो गए थे। जहां गर्मियों में उधर सारे रेस्ट हाउस फुल रहते हैं,वही अभी सर्दियों में एक दो जगह तो ऐसा लगा कि यात्रियों के नाम पर पूरे गांव में केवल हम लोग ही मौजूद थे।नामचे बाजार, देबुचे,पेंगबुचे ,गोरक्षेप , खुमजूंग जैसे गांवों के नाम पहली ही बार हमने सुने थे।11 दिन में कई ऐसे शेरपा और यात्रियों से भी हम मिले जिन्होंने कई बार एवरेस्ट और उसके आस पास की चोटियों को फतह किया था।शाम को 5 बजे बाद वहां एक तरह से रात हो जाती,सभी लोग डायनिंग हाल की गर्म भट्टी के आस पास बैठ जाते ताकि शरीर में गर्मी बनी रह सके।ऐसा नहीं करते तो हाथ और पैर सुन्न पड़ने लग जाते और उन्हें थोड़ा हिलाते ही तेज दर्द होने लग जाता।

सर्दी में इतने समय उधर रह पाना और रोज सुबह जल्दी उठकर खतरनाक इलाकों में से पैदल गुजरना इतना आसान नहीं होता हैं।हम 8 लोगों में से 4 ने तो हेलीकॉप्टर से अपनी वापसी की थी और पैदल ट्रेक पर लौटते समय हम केवल 4 लोग ही रहे थे।रात को तापमान माइनस 25 डिग्री तक चला जाता।इतना कम तापमान मुझे 2019 में चादर ट्रेक के दौरान मिला था और इस ट्रेक पर मुझे चादर ट्रेक के अनुभव काफी काम आए।एवरेस्ट बेस कैंप पर समुद्रतल से ऊंचाई करीब 17800 फीट मिलती हैं ,मुझे कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान इस से भी ज्यादा ऊंचाई पर जाने का अनुभव था।लेकिन यहां एवरेस्ट बेस कैंप में चेलेंज अत्यधिक ठंड का था।हालांकि जिस पल हम बेस कैंप पर पड़ी उस चट्टान के पास पहुंचे , उस समय सब दुख दर्द हम भूल गए और फिर वही गरबा किया जिसमें कुछ विदेशी यात्रियों ने भी हमारा साथ दिया।जल्दी ही मेरी अगली पुस्तक एवरेस्ट बेस कैंप की यात्रा पर ही आयेगी जिसमें हर एक दिन के अनुभव और घटनाओं के साथ एक शानदार ट्रैवल गाइड पढ़ने को मिलेगी।इस ट्रेक के काफी किस्से मैने Tripoto पर भी पोस्ट कर रखे हैं

विंटर EBC पर पूरी सीरीज जो मैंने इस ट्रिप पर शूट की थी ,उसे देखे -

धन्यवाद

–ऋषभ भरावा

Photo of विंटर एवेरेस्ट बेस कैंप का एक अद्भुद अनुभव by Rishabh Bharawa
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