राजस्थान का ऐतिहासिक नगर मंडावा अपनी भव्य हवेलियों और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। हाल ही में, मैं अपने परिवार के साथ इस अद्भुत स्थान की यात्रा पर गया, जहाँ हमने मंडावा की एक आलीशान कोठी में ठहरने का अद्भुत अनुभव किया। इस यात्रा ने न केवल हमें राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर के निकट लाया बल्कि हमें उस कालखंड की झलक भी दी जिसमें ये हवेलियाँ बनाई गई थीं। ये सारा अनुभव हमे त्रिपोटो के माध्यम से हुआ ।
सारा अनुभव बेहद ही शानदार रहा। परिवार वाले भी ऐसा अनुभव करके अभिभूत हो गए।
मंडावा का परिचय – मंडावा, राजस्थान के झुंझुनू जिले में स्थित है और इसे शेखावाटी क्षेत्र का हिस्सा माना जाता है। इस नगर की स्थापना 18वीं सदी में हुई थी और यह अपने सुंदर हवेलियों, किलों और मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। मंडावा की हवेलियों की भित्तिचित्र और जटिल नक्काशी विश्वभर में प्रसिद्ध है। मुझे व्यक्तिगत तौर पर ये लगा की ये शहर अभी भी कुछ रुका रुका सा है। बाकी दुनिया जहा सरपट दौड़ रही है। इस शहर को बाकी दुनिया से कुछ लेना देना ही नही
सब कुछ थोड़ा ठहरा हुआ सा लगा मुझे।
हम मंडावा की जिस कोठी में ठहरे थे, वह एक पारंपरिक हवेली थी जिसे अब एक लक्जरी होटल में बदल दिया गया है। इस हवेली में ठहरना अपने आप में एक अविस्मरणीय अनुभव था।
कोठी का वास्तुकला – हवेली की वास्तुकला बेहद शानदार थी। इसकी दीवारों पर किए गए भित्तिचित्र और जटिल नक्काशी राजस्थान की कला का उत्कृष्ट उदाहरण थे। कोठी के आँगन में एक सुंदर फव्वारा था और चारों ओर हरियाली थी। कोठी की प्रत्येक दीवार और खिड़की पर नक्काशी की गई थी, जिससे उसकी सुंदरता और भी बढ़ जाती थी एक बड़े आकार का तरणताल ( स्विमिंग पूल) भी था । शाम को हमने कोठी की रूफटॉप से सूर्यास्त का अनुपम नजारा भी देखा।
सुविधाएं और आतिथ्य – कोठी में आधुनिक सुविधाओं के साथ पारंपरिक आतिथ्य का अनूठा मिश्रण था। हमें बड़े और आरामदायक कमरे मिले, जिनमें पारंपरिक सजावट थी। यहाँ का स्टाफ बेहद मित्रवत और सहयोगी था। हमें राजस्थानी व्यंजनों का स्वाद चखने का मौका मिला, जो बेहद स्वादिष्ट थे। विशेषकर दाल,बाटी चूरमा, छाज ,इत्यादि
कोठी में ठहरने के बाद हमने मंडावा के विभिन्न आकर्षण स्थलों की सैर की।
मंडावा किला – मंडावा का किला हमारी यात्रा का मुख्य आकर्षण था। इस किले का निर्माण 18वीं सदी में हुआ था और यह अब एक होटल में बदल दिया गया है। किले की दीवारों पर सुंदर भित्तिचित्र और जटिल नक्काशी देखने लायक थी।
हवेलिया – मंडावा की हवेलियाँ अपनी अद्वितीय कला और स्थापत्य शैली के लिए प्रसिद्ध हैं। हमने यहाँ की कई प्रसिद्ध हवेलियों का दौरा किया, जिनमें झुनझुनवाला हवेली, मोहनलाल सर्राफ हवेली और गोयनका हवेली शामिल थीं। इन हवेलियों की दीवारों पर किए गए चित्र और नक्काशी अद्भुत थे और हमें पुराने समय की राजस्थानी संस्कृति की झलक दी।
स्थानीय बाजार –मंडावा का स्थानीय बाजार भी बेहद आकर्षक था। यहाँ हमें पारंपरिक राजस्थानी हस्तशिल्प, वस्त्र और आभूषण मिले। बाजार में घूमते हुए हमें राजस्थान की जीवंत संस्कृति और परंपराओं का अनुभव हुआ।
मंडावा की यात्रा हमारे लिए एक यादगार अनुभव था। यह यात्रा न केवल राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को समझने का अवसर था बल्कि परिवार के साथ बिताए गए सुनहरे पलों का खजाना भी थी। मंडावा की हवेलियों की सुंदरता, वहाँ के लोगों का आतिथ्य और राजस्थानी संस्कृति की झलक हमें हमेशा याद रहेगी। यह यात्रा हमारे दिलों में राजस्थान की एक अनमोल याद बनकर रह गई है।
इस खूबसूरत यात्रा के लिए त्रिपोटो के लिए का तहे दिल से धन्यवाद और शुक्रिया।