उत्तराखण्ड के टनकपुर में स्थित माता पूर्णा गिरि के दर्शन बाद मुझे नानकमत्ता जाना था इन्टरनेट से प्राप्त जानकारी के अनुसार नानकमत्ता में एक गुरुद्वारा और झील है तो मै नानकमत्ता की तरफ जाने हेतु टनकपुर बसड्डे पर था और मुझे एक बस मिल भी गई जिसने मुझे बिलकुल नानकमत्ता गुरूद्वारे के सामने उतार दिया |
मैंने वही सराय में रूम ले लिया और जानकारी की तो मालूम हुआ की झील यहाँ से थोड़ी ही दूरी पर है मै उत्सुकता वश जल्दी रूम से निकलकर झील की तरफ बढ़ रहा था और रास्ते में नानकमत्ता की सड़को को खेतो को गलियारों को देखता जा रहा था |
अब थोड़ी देर पदयात्रा करने के बाद सामने कुछ ऊँचा सा दिखाई दिया एक बाँध सा मै उपर गया तो वहां का नजारा देखकर मै दंग रह गया यह एक बहुत बड़ी झील थी आप जिधर तक देखो बस पानी ही पानी इसका नाम नानक सागर झील है और यहाँ पर झील में एक गुरुद्वारा भी बना है सबसे पहले तो मैंने गुरूद्वारे के मत्था टेका फिर झील को देखा |
यह झील आँखों को सकून देने वाली एक विशाल झील है जहाँ पर आप बोटिंग का भी लुत्फ़ ले सकते है यहाँ मै शाम को पहुंचा था और सूर्यास्त का समय था सूर्यास्त इस जगह से देखने में बहुत ही खूबसूरत लग रहा था |
नानक सागर झील से हटने का बिलकुल भी मन नहीं कर रहा था यहाँ पर खड़े होकर शांत ठहरे हुये जल को निहारने में एक अजीब ही मजा अ रहा था आप कभी भी टनकपुर तरफ आये तो इस जगह पर जरूर आये |