बोलो हर हर महादेव, हर हर महादेव 🕉️
तुंगनाथ पर्वत पर बसा ये मंदिर लगभग ५०० वर्ष पुराना है
ये पंचकेदार में से एक है यहां पर शिव जी के बाहु और हृदय की पूजा की जाती है, यूं तो मई से नवंबर तक कभी भी तुंगनाथ के दर्शनों के लिए जा सकते हैं, उसके बाद कपट बंद हो जाते है और अगले छ: महीने तक के लिए दीए को जलता हुआ रखा जाता है
नवंबर दिसंबर में मंदिर और आस पास का सारा एरिया बर्फ से ढक जाता है तब भी लोग यहां मंदिर के दर्शन करने आते है
(11,385 फीट) की ऊंचाई पर स्थित ये मंदिर चोपता से ४ किमी पर है, सुबह देवरिया ताल से निकलने के बाद गाड़ी से पहले में चोपता आई फिर लगभग २ बजे चढ़ाई शुरू की और ५:३० पर में तुंगनाथ के सामने थी, बारिश और कोहरा शुरू हो गया था दर्शन और आरती देखकर , रात तुंगनाथ में ही स्टे किया
तुंगनाथ में लगभग १०० लोगों के रुकने की व्यवस्था है
५०० रुपए में कमरा मिल गया रात बहुत बारिश और ठंड हुई
जैसे तैसे रात कटी, सूर्या नाम का स्टे जिसे अरविंद जी चलते है वहां रुके, गरमा गरम खाना चाय सब उपलब्ध हैं
अरविंद:
सूर्या होटल, तुंगनाथ, 9548360562
सुबह ५:३० बजे चंद्रशिला के लिए चढ़ाई शुरू की जो की तुंगनाथ से लगभग १.५ किमी पर स्तिथ है कोशिश करे की चंद्रशिला से सनराइज या सनसेट दोनो में से कोई एक देख ले
आप चाहे तो एक ही दिन में दोनो जगह देखकर नीचे आ सकते है
उसके लिए सुबह जल्दी शुरू करे ताकि शाम होने तक आप चोपता आ जाए
आप बड़े आराम से इसे सोलो कर सकते है एक ही रास्ता है
किसी गाइड की जरूरत नहीं है बहुत से लोग आना
जाना करते है
साथ ही अगर आपकी चढ़ने की क्षमता ना हो तो आप घोड़ा भी कर सकते है
अपना समान आप चोपता में ही ड्रॉप कर दे और डे पैक जैसा रख ले, आपके कोई और सवाल हो तो कमेंट में पूछ सकते है
हर हर महादेव 🕉️
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