
अभी पिछले सप्ताह अच्छी छुट्टियां मिल रही थी इसलिए मैंने तुंगनाथ चोपता का ट्रेक करने का प्लान बनाया और उसके लिए हम 14 दोस्तो का एक ग्रुप बन गया जिसमें हम सभी लोग अपने अपने स्थान से रवाना होकर हरिद्वार में इक्कठे हो गए अब वहाँ से आगे हमारा प्लान स्कूटी या बाइक से सफर करने का था क्योकि इनमे जो आनंद आता है वो बाकी किसी में सफर करने में नही आता मुझे तो इसके लिए हमने हरिद्वार रेलवे स्टेशन के पास से ही 7 स्कूटी किराए पर ले ली और 5 तारीख को सुबह हरिद्वार से रवाना होकर शाम तक पहाड़ों के नजारों का आनंद लेते लेते चोपता पहुँच गए और चोपता पहुँचने के बाद तो सारा मामला ही चेंज हो गया जहाँ नॉर्मल एरिया में गर्मी से लोग थोड़ा परेशान हो रहे थे वही चोपता में इस समय अच्छी वाली सर्दी पड़ रही थी। इस समय चोपता में ज्यादा भीड़ नहीं थी इसलिए रूम मिलने में कोई दिक्कत नहीं हुई अधिकतर होटल वाले ₹200 प्रति व्यक्ति के हिसाब से रूम दे रहे थे जो कि उस एरिया के हिसाब से बिल्कुल सही था क्योंकि वहाँ पर रहने के ऑप्शन बहुत ही सीमित है व खाने-पीने के के ऑप्शन भी सीमित मात्रा में ही थे वहाँ पर खाने की थाली ₹100 से ₹150 तक मिल रही थी मगर अधिकतर खाने की दुकानों में 9:00 बजे तक ही खाना मिल पाता है इसलिए हम खाना खाकर सो गए मगर रात में शर्दी इतनी थी कि 2-2 रजाइयों से भी काम नही चल रहा था अब आप खुद ही समझ जाएं कि जब रात में इतनी शर्दी थी तो जब सुबह उठ के हम टॉयलेट में फ्रेश होने गए होंगे तब हमारी हालात कैसी हुई होगी🤣🤣🤣🤣। चोपता में लाइट की सुविधा नहीं है इसलिए आपको गर्म पानी नही मिलेगा मगर आप 100 रु देके एक बाल्टी गर्म पानी ले सकते हो। होटल वाले सौर ऊर्जा का उपयोग करते हैं और उनसे बैटरी चार्ज कर लेते हैं जिससे शाम को कुछ समय के लिए फोन वगैरा चार्ज करने के लिए हमें लाइट मिल जाती बाकी अगर दिन में मौसम ज्यादा खराब हुआ तो वो भी नही मिल पाती हैं। अगले दिन हम नाश्ता करके तुंगनाथ व चंद्रशिला के ट्रेक के लिए निकल लिए इसके लिए हमे 150 रु प्रति व्यक्ति के हिसाब से एक पर्ची कटवानी पड़ती है। शुरुआत में चलते ही सुंदर-सुंदर लाल गुलाबी बुरांस के फूल देखने को मिले जिन्हें देखकर दिल खुश हो जाता है और बीच में बड़े-बड़े हरे भरे घास के मैदान देखने को मिले जो कि आपका दिन भी हरा भरा बना देते है उस दिन मौसम ज्यादा साफ नहीं था और दोपहर तक मौसम बिल्कुल बिगड़ चुका था तुंगनाथ मंदिर में पहुँचने से लगभग एक डेढ़ किलोमीटर पहले ही हमें बर्फ मिलनी स्टार्ट हो गई जोकि मंदिर तक पहुँचते- पहुँचते चारों तरफ फैली हुई थी चारो तरफ बस एक ही रंग था और वो था सफेद। हम सब रास्ते में बर्फ से खेलते एन्जॉय करते मंदिर तक पहुँच गए हम में से कुछ लोग नये भी थे जिन्होंने पहली बार पहाड़ों पर बर्फ देखी थी उन्होंने ही ज्यादा आतंक मचाया हुआ था बर्फ पर 😜😜😜😜। इस समय मंदिर के पट बंद थे इसलिए हम बाहर से दर्शन करके वहाँ बैठ के दिलकश नज़ारों का आनंद लेने लगे जो कि यहाँ शब्दो मे बयां करने मुश्किल है उसे तो सिर्फ वहीं बैठ के महसूस किया जा सकता है☃️☃️☃️☃️☃️। तुंगनाथ के बाद हमारा प्लान ऊपर चंद्रशिला तक जाने का था मगर जब हमने देखा कि ऊपर जाने का रास्ता बिल्कुल खराब हो रखा था ज्यादा बर्फ गिरने की वजह से लोगों को ऊपर चढ़ने में और नीचे आने में बहुत ही परेशानी का सामना करना पड़ रहा था कुछ लोग तो स्टिक के सहारे से बैठ बैठ के नीचे की तरफ आ रहे थे क्योंकि चंद्रशिला तक जाने वाले रास्ते पर किसी प्रकार की रेलिंग नहीं लगी हुई थी जिससे बर्फ में फिसलने का खतरा ज्यादा बन रहा था इसलिए चंद्रशिला से वापस लौटे कुछ लोगों से हमने पूछा तो उन्होंने साफ मना कर दिया कि अगर आपके पास प्रॉपर बर्फ में चलने का सामान नहीं है तो ऊपर बिल्कुल मत जाना क्योंकि वहाँ बर्फ बहुत ज्यादा है और उसकी वजह से फिसलन बहुत ही ज्यादा हो रही है इसलिए हमने ऊपर जाने का प्लान कैंसिल कर दिया क्योंकि हमारे साथ वालों साथ वालों में किसी के पास ट्रैकिंग का सामान तो दूर की बात थी उन्होंने तो नॉर्मल स्पोर्ट्स सूज ही पहन रखे थे जो कि बर्फ में जाते ही भीग जाते और घूमते फिरते वापिस नीचे उतरने लगे अब हमारे नए दोस्तों की किस्मत और भी अच्छी थी क्योंकि उनमें से कईयों ने पहली बार बर्फ देख ली और अब ऊपर से उस दिन स्नोफॉल भी स्टार्ट हो गया जो कि उनके लिए एक नया अनुभव था🌨️🌨️🌨️🌨️🌨️।नीचे आने के बाद ज्यादा सर्दी की वजह से कुछ दोस्तों का प्लान बना की रात्रि में यहाँ ना रुक के नीचे की तरफ चला जाए और हम 3-4 बजे के लगभग नीचे की तरफ चल दिए और रात्रि में रुद्रप्रयाग पहुँच के वहीं रात्रि निवास किया उसके बाद कुछ दोस्तों का प्लान सुबह हरिद्वार वापस निकलने का बना लेकिन हम 6 दोस्त टिहरी डैम देखने चले गए वैसे तो मेरा पहले भी टिहरी डैम देखा हुआ था मगर उस समय सिर्फ ऊपर से देखा था इस बार हमारे किसी परिचित से बात हुई और उन्होंने हमें डैम में नीचे जाने की परमिशन दिला दी जो कि बहुत ही कम लोगो को मिलती है टिहरी डैम के ऊपर एक छोटा म्यूजियम भी बना रखा है जिसमें टिहरी डैम का पूरा इतिहास बताया गया है तथा उसके बाद हम लोग गाड़ी से टिहरी डैम में बिल्कुल नीचे तक डैम के पानी से लगभग 800 फ़ीट नीचे तक गए वहाँ पर जो नज़ारा था वो अद्भुत था हमारे लिए किस प्रकार से टरबाइन वगैरह घुमा के लाइट बनाई जाती है कैसे उसको मैनेज किया जाता है वह सारा कुछ देखने का मौका मिला जो कि हमारे लिए एक अलग दुनिया की तरह था क्योंकि हम सोच ही नहीं पा रहे थे कि ऐसा भी हो सकता है बहुत ही शानदार अनुभव था। टिहरी डैम को देखने के बाद हम लोगों ने रात्रि विश्राम के लिए न्यू टिहरी जाने का प्लान बनाया आप को बता दूं कि पुरानी टिहरी को पानी मे डुबाने के बाद ही न्यू टिहरी बसाया गया था जो दिखने में काफी व्यवस्थित लग रहा था और वहीं पर हमने रात्रि विश्राम किया और अगले दिन नज़ारों का आनंद लेते लेते हरिद्वार पहुँच गए और निकल लिए अपने अपने आशियाने की तरफ खूबसूरत यादें अपने दिलों में सजा के।



