शिवभक्ति के लिए मध्यप्रदेश देश ही में नही बल्कि पूरी दुनिया में जाना जाता रहा है। उज्जैन में जहां विश्वविख्यात महाकालेश्वर मंदिर है वहीं मंदसौर का भगवान पशुपतिनाथ का मंदिर भी शिवभक्तों के लिए श्रद्धा का केंद्र है। भगवान पशुपतिनाथ का मंदिर मंदसौर का मुख्य धार्मिक स्थल है। मंदसौर के अष्टमुखी भगवान पशुपतिनाथ मंदिर में देश का सबसे बड़ा घंटा लगा हुआ है । ये घंटा अष्टधातु से बना है जिसका वजन 37 क्विंटल का और यह घंटा अब तक देश के मंदिरों में लगे घंटों में सबसे बड़ा है
पशुपतिनाथ जी का ये मंदिर शिवना नदी के तट पर स्थित जिसमे गहरे तांबे से बनी भगवान शिव की मूर्ति की कलात्मकता हर किसी का मन मोह लेती है।
अष्टमुखी पशुपतिनाथ की प्रतिमा का सौंदर्य अपने-आप में अनूठा है। अपने पहले के लेख में मैने बताया था नेपाल के पशुपतिनाथ में चार मुख की प्रतिमा है, जबकि मंदसौर में प्रतिमा अष्टमुखी है।
अगर बात करें इस मंदिर के इतिहास की तो 75 बरस पहले शिवना नदी की कोख से भगवान पशुपतिनाथ जी की को निकाला गया था
शिवना नदी से बाहर आने के बाद 21 साल तक भगवान पशुपतिनाथ की प्रतिमा नदी के तट पर ही रखी रही। प्रतिमा को सबसे पहले स्व. उदाजी पुत्र कालू जी धोबी ने चिमन चिश्ती की दरगाह के सामने नदी के गर्भ में दबी अवस्था में देखा था।
प्रतिमा को नदी से बाहर निकलने के बाद चैतन्य आश्रम के स्वामी प्रत्याक्षानंद महाराज ने 23 नवंबर 1961 को इसकी प्राण प्रतिष्ठा की। 27 नवंबर को मूर्ति का नामकरण पशुपतिनाथ कर दिया गया। इसके बाद मंदिर निर्माण हुआ।
सावन में यहां लाखों श्रद्धालु आते हैं। 101 फीट ऊंचे मंदिर के शिखर पर 100 किलो वजनी कलश स्थापित है, जिस पर 51 तोला सोने की परत चढ़ाई गई है।
प्रतिमा का इतिहास
माना जाता है कि प्रतिमा का निर्माण विक्रम संवत 575 ई. में सम्राट यशोधर्मन की हूणों पर विजय के आसपास का है। पर जब हिंदुस्तान में मुस्लिम प्रभाव बढ़ने लगा और मुस्लिम आक्रमकारियों ने हिन्दू मंदिरो को तोड़ना शुरू किया तब मूर्ति की रक्षा के लिए इसे शिवना नदी में दबा दिया गया था। अनुमान के अनुसार अज्ञात कलाकार ने प्रतिमा के ऊपर के चार मुख पूरी तरह बना दिए थे, जबकि नीचे के चार मुख निर्माणाधीन थे।
पशुपतिनाथ की तुलना काठमांडू स्थित पशुपतिनाथ से की जाती है। मंदसौर स्थित पशुपतिनाथ प्रतिमा अष्टमुखी है। जबकि नेपाल स्थित पशुपतिनाथ चारमुखी हैं। प्रतिमा में बाल्यावस्था, युवावस्था, अधेड़ावस्था व वृद्धावस्था के दर्शन होते हैं। इसमें चारों दिशाओं में एक के ऊपर एक दो शीर्ष हैं। प्रतिमा में गंगावतरण जैसी दिखाई देने वाली सफेद धारियां हैं।
प्रतिमा की विशेषता : मुख- 08, ऊंचाई - 7.3 फीट, गोलाई - 11.3 फीट, वजन - 64065 किलो 525 ग्राम।
अष्टमुख की विशेषता
प्रतिमा के आठों मुखों का नामांकरण भगवान शिव के अष्ट तत्व के अनुसार है। हर मुख के भाव व जीवन काल भी अलग-अलग हैं।
1 - शर्व, 2 - भव, 3 - रुद्र, 4 - उग्र, 5 - भीम, 6 - पशुपति, 7 - ईशान और 8 महादेव।