2. Manikarnika Ghat: Known as the "burning ghat," this is the primary cremation ground in Varanasi. It is considered auspicious to be cremated here as it is believed to release the soul from the cycle of birth and death.
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मणिकर्णिका घाट - इस घाट को इंदौर की महारानी अहिल्याबाई ने 1795 ईसवीं में बनाया था| यह घाट पूरी तरह बना नहीं था और उनका देहांत हो गया था| इस घाट का एक हिस्सा अभी भी अधूरा है| यहाँ पर लोगों के अंतिम संस्कार किए जाते हैं| यहाँ आकर ऐसा लगता है जैसे जिंदगी का सत्य हमारे सामने हो | हमारी आखिरी मंजिल कया है| यहाँ जिंदगी ठहर जाती है| ऐसा प्रतीत होता है| मुंशी घाट- यह घाट नागपुर के दीवान मुंशी श्रीधर नारायण ने बनाया था| इस घाट पर की हुई पत्थर की कारीगरी बहुत आकर्षित करती है|
काशी विश्वनाथ मंदिर शैव और शक्ति दोनो हिन्दू संप्रदायों में अतिविशिष्ट महत्व रखता है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि केवल तीन ही मंदिर ऐसे हैं जो ज्योतिर्लिंग होने के साथ साथ शक्तिपीठ भी हैं। श्रीमल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग होने के साथ साथ यह शक्तिपीठ भी है। काशी विश्वनाथ मंदिर के पास गंगा के किनारे मणिकर्णिका घाट को शक्तिपीठ माना जाता है, जो शक्ति संप्रदाय के लिए पूजनीय स्थान है।
અમે આગળ વધ્યા અને વિશાળ પટ પર પ્રગટી રહેલી અનેક ચિતાઓ ધરાવતા આ ઘાટ પર પહોંચ્યા. કોવિડ 19 નો બીજો વેવ હજુ શરુ નહોતો થયો તેમ છતાં માસ્ક પહેરવાનો નિયમ બરાબર પાળી રહ્યા હતા. સ્થાનિકોના કહ્યા પ્રમાણે મણિકર્ણિકા ઘાટ એટલો પવિત્ર છે કે આસપાસના 100-200 કિમી દૂરના વિસ્તારોમાંથી પણ ઘણા મૃતદેહને ખાસ મણિકર્ણિકા ઘાટે અગ્નિદાહ માટે લાવવામાં આવે છે.