हिमाचल प्रदेश हर दो कदम पर पर्यटकों के लिए अपने अंदर कुछ ना कुछ समेटे हुए हैं, इस खूबसूरत राज्य को आप कितना भी घूम लें, फिर भी आप इसकी तह तक नहीं घूम पाएंगे। इस कारणवश हिमाचल प्रदेश में साल भर सैलानियों का आवागमन लगा रहता हैं। देवभूमि हिमाचल जहाँ प्रकृति पग-पग पर अपनी आलौकिक सुन्दरता बिखेरती है। यहाँ के कण-कण को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि मानो ईश्वर ने स्वयं अपने हाथों से इसकी संरचना की है। अगर आप धार्मिक आस्था और प्राकृतिक सौन्दर्य का अद्भुत संगम देखना चाहते हो, तो आपको हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में प्रसिद्ध पर्यटन स्थल यूला कंडा में स्थित एक अद्भुत टेंपल कों देखने एक बार जरूर आना चाहिए।
आज हम आपको किन्नौर के एक ऐसे अनोखे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जोकि में एक प्राकृतिक झील में है, जिस झील के अंदर श्री कृष्ण का एक अद्भुत मंदिर स्थित है। यह कृष्णा जी का सबसे अधिक उंचाई वाला मंदिर हैं। यह मंदिर(3,895) मीटर तक का एक आध्यात्मिक ट्रैक हैं। यह बहुत ही चौंकाने वाली बात है कि यह झील सबकी तकदीर तय करती है। यह मंदिर समंदर तल से 12000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह दुनिया का एक ही ऐसा कृष्णा मंदिर है जो कि एक झील के अंदर स्थित है। इस मंदिर में पहले केवल श्री कृष्णा जी की पत्थर की मूर्ति थी जिसकी पूजा पांडव किया करते थे पर अब वहां नयी मूर्ति स्थापित की गई हैं।
पौराणिक कथा व जनश्रुतियों के अनुसार कहा जाता है कि इसका निर्माण पांडवों ने वनवास के समय किया था। उसके बाद झील के बीच कृष्ण मंदिर का निर्माण किया गया।झील के चारों ओर बौद्ध धर्म की पवित्र पताकायें लगाई गई हैं जोकि यहाँ के वातावरण को और भी पूजनीय व दिव्य बना देती हैं।इस झील को बेहद पवित्र माना जाता है।11 किमी ट्रैक करके युला कुंडा झील पहुँचा जा सकता है, ट्रेकिंग के दौरान आप खूबसूरत बर्फ से ढके पहाड़ों घने जंगलों के बीच से होते हुए झील तक पहुंचेंगे। पहुँचने के बाद आप खुले आसमान के नीचे बैठकर प्राकृतिक नजारों के बीच झील को निहार सकते हैं।मंदिर आने वाले भक्तों और पुजारियों के माने तो इस झील का पानी बेहद औषधीय है, यहां डुबकी लगाने से मन को शांति मिलती है।
एक अन्य रोचक प्रथा के अनुसार यहाँ आने वाले धर्मावलम्बी मन्दिर के समीप बहने वाली जलधारा में अपने सिर की टोपी से अपना भविष्य जानते हैं। प्राचीन मान्यता के अनुसार यदि आपके द्वारा डाली गई उलटी टोपी जलधारा में बिना रूकावट बहती हुई झील तक पहुँच जाती है तो इसका मतलब आने वाला वर्ष आपके लिए शुभकारी होगा।
जन्माष्टमी के दौरान इस मंदिर में भक्तों की भीड़ होती है।जन्माष्टमी के पर्व पर यहां प्रत्येक वर्ष एक जिला स्तरीय मेला आयोजित किया जाता है, जिसमें किन्नौर के वासी और बौद्ध धर्म के लोग एकत्रित होते हैं। जन्माष्टमी के दिन सुबह सारे गांव वासी भी एकत्रित होते है और यहां के पुजारी 16 रंगो के फूलों को इकट्ठा कर पूजा करते है और भक्त जनो में भांट देते हैं। यहां जन्माष्टमी का उत्सव बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है।
युला कुंडा झील से शिमला की दूरी लगभग 205 किलोमीटर है। इसके लिए वाहनों की मदद से शिमला से लगभग 194 किलोमीटर की दूरी तय करके किन्रौर में टापरी तक पहुंचते हैं। टापरी से लगभग तीन किलोमीटर की पैदल यात्रा तय करके बेस कैंप तक पहुंचना होता है। इसके बाद यहां से 8-9 किलोमीटर की ट्रैकिंग कर युला कुंडा झील तक पहुंचा जाता है। इस सफर को तीन दिन और दो रात में आसानी से खत्म किया जा सकता है। युला कुंडा से नजदीकी हवाई अड्डा शिमला में और बड़ा हवाई अड्डा लगभग 320 किलोमीटर दूर चंडीगढ़ में है। युला कुंडा से नजदीकी बड़ा रेलवे स्टेशन लगभग 293 किलोमीटर कालका में है। कालका रेल मार्ग द्वारा दिल्ली और चंडीगढ़ से जुड़ा हुआ है। कालका से टॉय ट्रेन की मदद से शिमला तक आया जा सकता है।